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अंदर से आश्चर्यजनक
बाहर से इसे पसंद कर पाना शायद कठिन हो तो इंटीरियर में खामी खोज पाना और भी ज्यादा मुश्किल, सातवीं पीढ़ी की बीएमडब्ल्यू 7 सीरीज भारत में फिलहाल बेची जा रही किसी भी लग्जरी कार से मेल नहीं खाती
कारों की भारतीय सुरक्षा रेटिंग
भारत न्यू कार एसेसमेंट प्रोग्राम बालिगों और बच्चों दोनों सवारियों की सुरक्षा के लिहाज से कारों की सुरक्षा की रेटिंग करता है
माध्यम हैं, संदेश नहीं
इंडिया टुडे कॉन्क्लेव 2024 धन्यवाद प्रस्ताव
जमीं बदली, फिर मिला आसमां
इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास परियोजनाएं बनेगा तो बढ़ेगा भारत
समझ का फेर
फॉल्स अलार्म - पश्चिम क्यों नहीं समझ पाया भारतीय लोकतंत्र
बिगड़ी बनाए एआइ
एआइ के साथ ईश्वर होना प्रेरणा, कल्पना और नवाचार की एक कमान
खुशहाल शहर
योजनाबद्ध शहरीकरण 'माइंडफुल' शहर का सृजन
सिर पर फिर मंडराता खतरा
स्वास्थ्यः क्या भारत डिजीज एक्स के लिए तैयार है?
मानव 2.0 का युग
एआइ क्रांति न्यूरल ब्रेन इंप्लांट्स हमारी दुनिया को कैसे बदल देंगे?
चमकता 'ध्रुव' टैलेंट की 'खान'
शानदार शुरुआत - दृढ़ विश्वास, साहस और क्रिकेट की दो दास्तान
अपने साथी सितारे और देश से करो प्यार
बड़े मियां बनाम छोटे मियां: ऐक्शन का डबल डोज
सेहतबरश स्पर्श
अध्यात्म कलयुग में रामराज्य
भविष्य के शिल्पी
नई पीढ़ी, नए नियम बदलती दुनिया में नेतृत्व
भारत से बहुत उम्मीदें
भारत का इक्विटी परिदृश्य @ 2047 विकसित भारत के लिए विकसित बाजार
वैश्विक झंझावातों से मुकाबला
वैश्विक उथल-पुथल के बीच लचीलापन तथ्य और असलियत
तारीफ और त्यौरियां भी
विदेश नीति - नई विश्व अव्यवस्थाः भारत के लिए सबक
अब सवारी नई लहरों की
भारत और हिंद-प्रशांतः खतरे और चुनौतियां
महासागरों को पाटते पुल
कूटनीति भारत के साथ हितों का 'प्रशांत' संगम
उड़ने को अपने-अपने पंख और प्रार्थनाएं
विपक्ष नैरेटिव और रणनीति की तलाश
सियासी समर में एक कदम आगे भगवा खेमा
चुनाव अनुमान कौन जीतेगा 2024 का चुनाव?
सत्तर वाला वह रोमांस
मॉडर्न लव इन्फोसिस युगल का दिलचस्प सफर
सामने खड़े तूफान से भिड़ने की जिद
आखिर 2024 में भी कांग्रेस की अहमियत क्यों है
विकास का बल
पीढ़ीगत बदलाव : विकसित भारत को लेकर मेरी सोच
सुखी संतुष्ट मुल्क
हिमालयी विस्मय जीएनएच 2.0: इक्कीसवीं सदी का सकल खुशी उत्पाद
पहाड़-सी बाधाएं
राष्ट्रीय सुरक्षा भारतीय सेना की चुनौतियां
"हमें सब के साथ निरंतर प्रयास जारी रखने होंगे”
भारत की कदमताल एक अनिश्चित विश्व में भारत की भूमिका
विकास की ऊंची डगर: कह दिया तो कह दिया
2030 तक 70 खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था वादे और उसके खतरे
सब कुछ खरी-खरी
अगर कोई एक चीज जिससे अमित शाह कभी नहीं घबराते तो वह है कठोर सवालों का सामना. गर्मियों में आम चुनाव के कार्यक्रम की घोषणा से एक दिन पहले इंडिया टुडे कॉन्क्लेव के 21वें संस्करण में भी ऐसा ही था जब देश के गृह मंत्री ने हर उस कड़वे सवाल का सीधा जवाब दिया जो उनसे पूछा गया. फिर चाहे वह नागरिकता संशोधन अधिनियम की अधिसूचना हो, चुनाव बॉन्ड पर सुप्रीम कोर्ट की सख्ती हो, गठजोड़ों का बनना और बिगड़ना हो, शाह ने इन सभी पर अपनी पार्टी भाजपा की स्थिति स्पष्ट की-कभी सहज वाक्चातुर्य से तो कभी दो टूक जवाब से.
"डेडलाइन के लिए काम करता हूं, हेडलाइन के लिए नहीं"
भविष्य के समावेशी भारत के अपने विजन की रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह भी बताया कि इस यात्रा में देश कितना आगे आ गया है
बढ़ते भारत की बात
इंडिया टुडे कॉन्क्लेव के 21वें संस्करण में कथनी और करनी एक करके देश को आगे ले जाने की वक्ताओं ने एक स्वर में की अपील