"कैसे हो मेरे भाई डमरू?” चीकू खरगोश ने राह चलते डमरू गधे से पूछा तो वह रुक गया.
“हालचाल बाद में पूछना, पहले मेरे एक सवाल का में जवाब दो,” डमरू बोला, "मच्छर बड़ा कि भैंस ? अगर तुम ने इस सवाल का सही उत्तर दे दिया तो तुम जीते वरना तुम गधे.”
“यह भी कोई पूछने लायक सवाल है? अंधा व्यक्ति भी बता देगा कि भैंस मच्छर से बड़ी होती है,” चीकू मुसकराते हुए बोला.
“गलत, बिलकुल गलत. तुम ने इस सवाल का गलत उत्तर दिया है मेरे भाई."
"वह कैसे? भला भैंस के आगे मच्छर की क्या औकात?” चीकू ने मुसकराते हुए पूछा.
“यह तो तुम जानते हो कि मच्छर भैंस पर बैठ सकता है, पर भैंस मच्छर पर नहीं बैठ सकती. इसलिए मच्छर ही बड़ा हुआ न भैया, आज के बाद मैं नहीं बल्कि तुम गधे कहलाओगे,” इतना कह कर डमरू आगे बढ़ गया.
डमरू का यह रोज का काम था. राह चलते वह किसी को भी रोक लेता और फिर उस से कोई उल्टासीधा सवाल पूछता. जब सामने वाला गलत जवाब देता तो वह उसे गधा साबित कर देता.
एक दिन जंबो हाथी किसी काम से बाजार जा रहा था. तभी रास्ते में उसे डमरू गधा मिल गया.
“भाई, मेरे एक सवाल का जवाब तो देते जाओ, ताकि मुझे पता चले कि गधा कौन है,” अपनी आदत के मुताबिक डमरू ने उस से कहा तो जंबो रुक गया.
“ठीक है, पूछो. मैं जरा जल्दी में हूं, मुझे जरूरी काम से जाना है.
"तुम्हारी पूंछ कौन सी है? आगे वाली या पीछे वाली?”
डमरू ने सवाल पूछा तो जंबो झुंझला गया.
"अबे गधे, तुझे इतना भी नहीं पता कि आगे पूंछ नहीं बल्कि सूंड़ होती है,” जंबो की बात सुन कर डमरू हंसने लगा.
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