"क्या आप ने सारा सामान पैक कर दिया है?” विकास की मां मुक्ता ने टिफिन पैक करते हुए पूछा.
“हां, मां, आप चिंता मत करो. हम ने कुछ पैक कर दिया है. हम छुट्टियों में पहली बार यात्रा नहीं कर रहे हैं. हर साल ही जाते हैं. हमें काफी अनुभव हो चुका है,” विकास ने कहा.
"वह पढ़ने के लिए कुछ किताबें रख रहा था. उसे यात्रा में किताब पढ़ना बहुत पसंद था. वे लोनावाला जा रहे थे.
“मैं इस बार डैम भी देख कर आऊंगा. सुना है, बहुत सुंदर है,” विकास ने अपनी योजना बताई.
“जरूर, तुम्हें जहां भी घूमना हो, जी भर कर घूम लेना. मैं मना नहीं करूंगा,” पापा ने सहमति दी.
“हां, पापा. मैं भी घूमूंगा. पिछली बार आप ने पहाड़ पर चढ़ने से मना कर दिया था. कितनी सुंदर हरीभरी पहाड़ी थी. पास में झरना भी बह रहा था. पर आप ने हमें वहां जाने नहीं दिया था, ” विकास बोला.
"बेटा, उस समय हम जल्दी में थे. फिर बरसात का मौसम था . तुम जानते हो, इस मौसम में पहाड़ों पर नहीं जाना चाहिए. भूस्खलन का खतरा होता है, पापा ने सफाई दी.
"हां मां, लगता है हमारी बस आ गई है. चलो, सामान रखें. बाहर से आवाज आ रही है," उन का घर बस स्टौप के पास ही था.
उन्होंने अपना सामान बस में रखा और जा कर अपनी सीटों पर बैठ गए.
उन्होंने मास्क लगा लिया और हाथों को भी सैनिटाइज कर लिया. थोड़ी देर बाद बस चल पड़ी. एसी बस थी, अतः अंदर ठंडक थी.
मार्केट और गलियां पार कर बस अब स्पीड से हाइवे पर दौड़ रही थी. विकास ने किताब निकाली और पढ़ना शुरू कर दिया. मां ने इयर फोन कानों में लगा लिया. उन्हें सफर में गाना सुनना पसंद था. वे अपने बालों को सहला रही थीं और पापा आंखें बंद कर गीत गुनगुना रहे थे.
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