परी और पोपो तोते बरगद के विशाल वृक्ष पर एकसाथ रहते थे. दोनों बहुत सुंदर थे. उन के चटक हरे चेहरे पर काली आंखें और लाल चोंच बहुत ही मनमोहक लगते थे. दोनों एकदूसरे से बहुत प्यार करते थे.
एकदिन किसान कृष उसी पेड़ के नीचे घात लगा कर बैठा था. परी और पोपो पेड़ के नीचे दाना चुगने आए. कृष ने लपक कर परी को पकड़ लिया और पिंजरे में बंद कर के जाने लगा. परी आजाद होने के लिए जोरजोर से शोर मचाने लगी. पोपो को यह देख कर बहुत गुस्सा आया और वह कृष पर चिल्लाने लगा.
पेड़ पर लेटी जेरी गिलहरी यह देख कर बोली, "पोपो, तू इस किसान के पीछे उड़ते हुए जा, यह कहां रहता है? अभी रात घिरने वाली है. कल सुबह हम कोई उपाय निकालेंगे."
परी को जेरी की सलाह पसंद आई और वह किसान के पीछेपीछे उड़ने लगा. अचानक कृष एक कच्चे मकान के सामने रुक गया. मकान के आंगन में आम, नीम और अशोक के पेड़ थे.
कृष दरवाजा खोल कर घर के अंदर चला गया. अंदर कमरे में एक छोटी सी लड़की चारपाई पर लेटी दर्द से कराह रही थी.
पोपो को जब अंदर जाने का रास्ता नहीं मिला तो वह आंगन के एक पेड़ पर बैठ कर टेंटें करने लगा. जब परी बाहर आई, तो वह मायूस हो कर अपने पुराने बरगद के पेड़ पर लौट आया.
जब कृष कमरे में दाखिल हुआ तो परी ने देखा कि बीमार लड़की चारपाई पर पड़ी है. किसान ने उस लड़की से का, "आराध्या देखो, मैं तुम्हारे लिए लाया हूं."
आराध्या रजाई से सिर निकाल कर बाहर देखने लगी, तो उसे परी दिख गई. वह खुश हो कर बैठती हुई बोली, "ओह पापा, आप कितने अच्छे हैं. आप मेरे लिए एक प्यारा सा दोस्त ले आए हैं. पिंजरा मुझे दे दो ताकि मैं अपने दोस्त से मिल तो लूं."
आराध्या पिंजरे को हाथ में ले कर बोली, "मेरे प्यारे दोस्त, तुम अब तक कहां थे? मैं तुम्हें बहुत प्यार करूंगी . तुम मुझे छोड़ कर कहीं मत जाना."
यह सुन कर कृष ने झट से कहा, "देखो आराध्या, तुम भूल कर भी पिंजरे का दरवाजा मत खोलना वरना यह तोता उड़ जाएगा."
परी यह सुन कर डर गई कि अब उस की आजादी का रास्ता बंद हो गया है. अब उसे कैदी का जीवन ही जीना पड़ेगा.
अगले दिन पोपो जल्दी आ कर घर के आंगन में आम के पेड़ पर बैठ गया और परीपरी कह कर पुकारने लगा. पिंजरें में बंद परी भी अपने पंख फड़फड़ाती हुई पोपो को पुकारने लगी.
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