दरअसल, प्रियांशी के पापा बैंक में जौब करते थे और उन का ट्रांसफर इसी महीने उत्तराखंड से चैन्नई हो गया था. प्रियांशी का एडमिशन उन्होंने चैन्नई के एक प्रतिष्ठित स्कूल में करवा दिया था. गरमी की छुट्टियों के बाद स्कूल खुलने में दो दिन बाकी थे.
"मम्मा, मुझे बहुत डर लग रहा है. मैं स्कूल में किस से बात करूंगी? मुझे तो यहां की भाषा भी नहीं आती. मैं तो हिंदी बोलती हूं. यहां सब तमिल में बातें करते हैं. इस अनजान शहर और स्कूल में सभी नए चेहरे होंगे. मेरा मन नहीं लगेगा स्कूल में," प्रियांशी ने रोआंसा होते हुए कहा.
"अरे बेटा, चिंता मत करो. सब ठीक हो जाएगा. धीरेधीरे तुम्हारे दोस्त बन जाएंगे. तुम यहां की भाषा भी सीख जाओगी. तुम्हें इंग्लिश तो आती है. तुम अपने दोस्तों से अंग्रेजी में बात कर सकती हो. फिर धीरेधीर तुम अपने दोस्तों को हिंदी सिखा देना. वे तुम्हें तमिल सीखा देंगे. बस, एक बार उन से दोस्ती कर लो,” मम्मा ने पुचकारते हुए समझाया.
मम्मा की बातों से प्रियांशी का हौसला बढ़ा. दो दिन बाद जब स्कूल खुला और प्रियांशी स्कूल गई तो उसे वहां सबकुछ नया लग रहा था. बच्चे आपस में बातचीत कर रहे थे और सभी के चेहरों पर मुसकान थी.
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जो ढूंढ़े वही पाए
अपनी ठंडी, फूस वाली झोंपड़ी से राजी बाहर आई. उस के छोटे, नन्हे पैरों को खुरदरी, धूप से तपती जमीन झुलसा रही थी. उस ने सूरज की ओर देखा, वह अभी आसमान में बहुत ऊपर नहीं था. उस की स्थिति को देखते हुए राजी अनुमान लगाया कि लगभग 10 बज रहे होंगे.
एक कुत्ता जिस का नाम डौट था
डौट की तरह दिखने वाले कुत्ते चैन्नई की सड़कों पर बहुत अधिक पाए जाते हैं. दीया कभी नहीं समझ पाई कि आखिर क्यों उस जैसे एक खास कुत्ते ने जो किसी भी अन्य सफेद और भूरे कुत्ते की तरह हीथा, उस के दिल के तारों को छू लिया था.
स्कूल का संविधान
10 वर्षीय मयंक ने खाने के लिए अपना टिफिन खोला ही था कि उस के खाने की खुशबू पूरी क्लास में फैल गई.
तरुण की कहानी
\"कहानियां ताजी हवा के झोंके की तरह होनी चाहिए, ताकि वे हमारी आत्मा को शक्ति दें,” तरुण की दादी ने उस से कहा.
फौक्सी को सबक
एक समय की बात है, एक घने, हरेभरे जंगल में जिंदगी की चहलपहल गूंज रही थी, वहां फौक्सी नाम का एक लोमड़ रहता था. फौक्सी को उस के तेज दिमाग और आकर्षण के लिए जाना जाता था, फिर भी वह अकसर अपने कारनामों को बढ़ाचढ़ा कर पेश करता था. उस के सब से अच्छे दोस्त सैंडी गौरैया, रोजी खरगोश और टिम्मी कछुआ थे.
बच्चे देश का भविष्य
भारत की आजादी के कुछ साल बाद देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू, जिन्हें प्यार से 'चाचा नेहरू' के नाम से भी जाना जाता है, वे एक कार्यक्रम में छोटे से गांव में आए. नेहरूजी के आने की खबर गांव में फैल गई और हर कोई उन के स्वागत के लिए उत्सुक था. खास कर बच्चे काफी उत्साहित थे कि उन के प्यारे चाचा नेहरू उन से मिलने आ रहे हैं.
पोपी और करण की मास्टरशेफ मम्मी
“इस बार आप बार आप ने क्या बनाया हैं, मम्मी?\"
अद्भुत दीवाली
जब छोटा मैडी बंदर स्कूल से घर आया तो वह हताश था. उसकी मां लता समझ नहीं पा रही थी कि उसे क्या हो गया है? सुबह जब वह खुशीखुशी स्कूल के लिए निकला था तो बोला, “मम्मी, शाम को हम खरीदारी करने के लिए शहर चलेंगे.\"
डिक्शनरी
बहुत से विद्वानों ने अलगअलग समय पर विभिन्न भाषाओं में डिक्शनरी बनाने का प्रयत्न किया, जिस से सभी को शब्दों के अर्थ खोजने में सुविधा हो. 1604 में रौबर्ट कौड्रे ने कड़ी मेहनत कर के अंग्रेजी भाषा के 3 हजार शब्दों का उन के अर्थ सहित संग्रह किया.
सिल्वर लेक की यादगार दीवाली
\"पटाखों के बिना दीवाली नहीं होती है,” ऋषभ ने नाराज हो कर कहा.