पदम चरण को शांतिनगर थाने (सूरत) ला कर पूछताछ की गई तो उस ने बताया कि विजय सांचीदास उस के और रजनी के प्रेम में बाधा बन गया था. उसे समझाने पर भी वह नहीं माना तो उस का अपहरण कर के वह उद्यान खाड़ी क्षेत्र में ले गया और वहां गला दबा कर उस की हत्या करने के बाद वह ओडिशा भाग गया.
उत्तर प्रदेश की धार्मिक नगरी मथुरा के बरसाना का नंदगांव यहीं है कुंजकुटी आश्रम. 25 जून, 2023 को तपती गरमी से बेहाल 3 साधुओं की टोली कुंजकुटी आश्रम के दरवाजे पर आ कर रुक गई. इन के शरीर पर लाल, पीले रंग के साधुओं वाले कपड़े थे, तीनों ने सिर पर सफेद, भगवा रंग के अंगौछे बांध रखे थे. गले में रुद्राक्ष की माला और माथे पर चंदन का लेप था. तीनों साधु पसीने से तरबतर थे. कंधे पर लटक रही लाल रंग की झोली से भगवा रुमाल निकाल कर चेहरे का पसीना पोंछते हुए एक साधु हैरत से बोला, "दरवाजे पर क्यों रुक गए गुरुदेव, भीतर प्रवेश नहीं करेंगे क्या?"
"मछेंद्रनाथ, मैं किसी आश्रम वासी के बाहर आने की राह देख रहा हूं. बगैर इजाजत लिए किसी भी जगह प्रवेश करना उचित नहीं होता."
"आप का कहना ठीक है गुरुदेव," मछेंद्रनाथ विचलित हो कर बोला, "लेकिन मुझे जोरों की भूख लग रही है. हम अंदर जाते तो मैं पेट की भूख शांत कर लेता."
उस की बात पर दोनों साधु हंसने लगे. हंसते हुए गुरुदेव, जिन का नाम हरिहरनाथ था, बोले, "देखा कालीनाथ, इस पेटू मछेंद्र को खाने के अलावा कुछ नहीं सूझता."
फिर वह मछेंद्रनाथ की तरफ पलटे और कुछ कहना ही चाहते थे कि आश्रम के दरवाजे पर एक भगवा वस्त्र धारी दुबलापतला साधु आ गया.
"आप दरवाजे पर क्यों रुक गए?" उस साधु के स्वर में हैरानी थी, "कोई और आने वाला है क्या?"
"नहीं महाराज, हम तो अंदर आने की इजाजत की प्रतीक्षा में यहां रुक गए थे." हरिहरनाथ ने मुसकरा कर कहा.
"यहां इजाजत कौन देगा जी, गुरुजी की ओर से इस आश्रम में हर किसी को आने की छूट है. आप लोग अंदर आ जाइए."
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