गरमी के मौसम में आपका ऑवरओल लुक ही बदल जाता है। ऐसे में कहीं आप अपने फुटवियर स्टाइल में बदलाव करना तो नहीं भूल गईं? गरमी के मौसम में फुटवियर न सिर्फ आपको आकर्षक लुक देते हैं, बल्कि पैरों की हिफाजत भी करते हैं। इसलिए मौसम के अनुरूप ही आपको फुटवियर पहनने चाहिए। आमतौर पर गरमियों में फ्लेट फुटवियर्स की डिमांड बढ़ जाती है, क्योंकि ये पैरों को खुला रखते हैं। वहीं इस मौसम में पैरों को बंद रखने से उनकी त्वचा प्रभावित हो सकती है और कई अन्य तरह की परेशानियां हो सकती हैं। तो क्यों न इस बार आप पैरों में जूतियों को स्टाइल करें।
■ पॉम पॉम: अपने लुक को फंकी टच देने के लिए आप फुटवियर में पॉम पॉम जूतियों को चुन सकती हैं। ये जूतियां न सिर्फ सिंपल एथनिक आउटफिट पर अच्छी लगती हैं, बल्कि आपके वेस्टर्न लुक को भी खास बना देती हैं। आप इसे शॉर्ट कुर्ती और कुछ एक्सेसरीज के साथ पहन सकती हैं, जिससे आपका लुक खिलकर सामने आएगा।
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शाप भी देते हैं पितर
धर्मशास्त्रों ने श्राद्ध न करने से जिस भीषण कष्ट का वर्णन किया है, वह अत्यंत मार्मिक है। इसीलिए शास्त्रों में पितृपक्ष में पूर्वजों का श्राद्ध करने को कहा गया है।
हर तिथि का अलग श्राद्धफल
पितृपक्ष में पितरों के निमित्त तिथियों का ध्यान रखना भी जरूरी है। शास्त्रों के अनुसार, तिथि अनुसार किए गए श्राद्ध का फल भी अलग-अलग होता है।
पितृदोष में पीपल की परिक्रमा
शास्त्रों के अनुसार, पितृपक्ष में पितृदोष दूर करने के उपाय जरूर करने चाहिए, ताकि पितर प्रसन्न होकर सुख-समृद्धि का आशीर्वाद दें।
पिंडदान के अलग-अलग विधान
व्यक्ति का अंत समय कैसा रहा, इस आधार पर उसकी श्राद्ध विधि भी विशेष हो जाती है। अलग-अलग मृत्यु स्थितियों के लिए अलग-अलग तरह से पिंडदान का विधान है।
पितृपक्ष में दान
भारतीय संस्कृति में दान की महत्ता अपरंपार है। लेकिन पितृ पक्ष के दौरान दान का विशेष महत्व है। कुछ वस्तुओं के दान को तो महादान माना गया है।
जैसी श्रद्धा, वैसा भोज
पितृपक्ष में ब्राह्मण भोज जरूरी है। लेकिन अगर कोई व्यक्ति अत्यंत गरीब है तो वह जल में काले तिल डालकर ही पूर्वजों का तर्पण कर सकता है।
स्त्रियों को भी है अधिकार
यदि परिवार में कोई पुरुष सदस्य नहीं है तो ऐसी स्थिति में स्त्री भी संकल्प लेकर श्राद्ध कर सकती है। शास्त्रों ने इसके लिए कुछ नियम बताए हैं।
निस्संतान के श्राद्ध की विधि
शास्त्रों के अनुसार, पुत्र ही पिता का श्राद्ध कर्म करता है। ऐसे में जो लोग निस्संतान थे, उन्हें तृप्ति कैसे मिलेगी ? शास्त्रों ने उनके लिए भी कुछ विधान बताए हैं।
पंडित न हों तो कैसे करें पिंडदान
पिंडदान के लिए यदि कोई पंडित उपलब्ध नहीं हो पा रहा है तो ऐसे में शास्त्रों ने इसका भी मार्ग बताया है, जिससे आप श्राद्ध कर्म संपन्न कर सकते हैं।
किस दिशा से पितरों का आगमन
पितरों के तर्पण में कुछ वास्तु नियम भी बहुत महत्वपूर्ण हैं, जिनके पालन से तर्पण का अधिकतम लाभ होता है और पितरों की आत्मा को शांति मिलती है।