मानसून का सुहाना मौसम कई बीमारियों के पनपने का समय भी है। मच्छरों और कीड़े-मकोड़ों के कारण कई तरह की बीमारियां जन्म लेती हैं। मानसून में मा मच्छरों का प्रकोप भी बढ़ जाता है, जिससे डेंगू, येलो फीवर, मलेरिया जैसी बीमारियां उत्पन्न हो जाती हैं, वहीं बारिश के कारण कई प्रकार के वायरस हैजा, कोल्ड और फ्लू को जन्म देते हैं। बरसात के मौसम में बैक्टीरिया और वायरस के संक्रमण-
कोल्ड और फ्लू : ये वायरस के कारण होनेवाली बीमारियां हैं। वायरस के कारण सरदी-जुकाम, खांसी और बुखार जैसी समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं, इसीलिए ऐसे मौसम में अपनी इम्युनिटी पावर को बढ़ाने के उपाय करने चाहिए, जिससे ऐसे वायरल इंफेक्शन से बचा जा सके।
लाइम डिजीज : बरसात में लाइम डिजीज Borrelia burgdorferi बैक्टीरिया के कारण होती है। यह काली टांगों वाला एक संक्रमित कीड़ा होता है, जिसके काटने से ये बीमारी फैलती है। हालांकि इस बीमारी के मामले भारत में कम ही देखने को मिलते हैं।
हेपेटाइटिस ए : यह बीमारी गंदा पानी पीने के कारण होती है। इस बीमारी का प्रभाव लिवर में होता है, जिससे बुखार व उल्टी जैसी दिक्कतें होती हैं।
टायफाइड : मानसून में टायफाइड के मामले बढ़ जाते हैं। यह साल्मोनेला टाइफी बैक्टीरिया के कारण होता है। इस बीमारी में बार-बार बुखार आता है, सिरदर्द बना रहता है, भूख में कमी आ जाती है, कब्ज और दस्त जैसी समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं।
हैजा : हैजा भी मानसून की एक आम बीमारी है, जो गंदा भोजन व दूषित पानी पीने से होती है, इसमें दस्त और उल्टी के साथ पैरों में अकड़न जैसी समस्याएं होती हैं।
लेप्टोस्पायरोसिस : यह बीमारी बरसात के दौरान काफी बढ़ जाती है। जानवरों के यूरिन व स्टूल में लेप्टोस्पाइरा नामक बैक्टीरिया होने से यह बीमारी फैलती है। इस बीमारी में भूख में कमी आ जाती है, पीठ के निचले हिस्से में दर्द रहता है, साथ ही खांसी जैसी समस्या भी होती है।
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