उष्ट्रासन
उष्ट्रासन का अभ्यास नियमित तौर पर किया जाए, तो यह शरीर से हर शारीरिक और मानसिक परेशानी को दूर करके स्वस्थ जीवन देने में मदद करता है।
क्या है लाभ: उष्ट्रासन करने से अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, मधुमेह, थायरॉइड और पैराथायरॉइड विकार, स्पॉन्डिलाइटिस और आवाज संबंधी विकार दूर होते हैं। इस आसन से पाचन क्रिया में सुधार आता है। उष्ट्रासन के अभ्यास से वक्ष और पेट के निचले हिस्से से अतिरिक्त चरबी कम होती है। इस आसन को रेगुलर करने पर रीढ़ की हड्डी में लचीलापन बढ़ता है।
कैसे करें: इस आसन को करने के लिए मैट पर घुटनों के बल बैठ जाएं और अपने हाथ अपने हिप्स पर रख लें। इस बात का ध्यान रखें कि घुटने और कंधे एक ही लाइन में हों। सांस को अंदर की ओर खींचें और रीढ़ की निचली हड्डी पर दबाव डालें। इस दौरान पूरा दबाव नाभि पर महसूस होना चाहिए। इसे करने के दौरान अपनी कमर को पीठ की तरफ मोड़ें। धीरे से हथेलियों की पकड़ पैरों पर मजबूत बनाएं। इस दौरान अपनी गरदन को ढीला छोड़ दें। इस आसन में 60 सेकेंड तक रहें। फिर धीरे-धीरे इसे छोड़ते हुए अपनी पुरानी अवस्था में आएं।
कब ना करें: गरदन और कमर दर्द होने पर यह आसन नहीं करना चाहिए।
भुजंगासन
भुजंगासन में शरीर का आकार सांप की तरह बनता है, इसीलिए इसको भुजंगासन कहते हैं।
कैसे करें: पेट के बल मैट पर लेट जाएं। इसके बाद अपने दोनों हाथों को कंधे के बराबर ले कर आएं और दोनों हथेलियों को फर्श की तरफ करें। अब अपने शरीर का वजन अपनी हथेलियों पर डालें। सांस अंदर की ओर खींचें और सिर को ऊपर करके गरदन पीछे की तरफ खींचें।
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