नयी-नयी शादी के बाद जोड़े एक नामालूम सी तिलिस्मी दुनिया में एक-दूसरे का हाथ थामे दाखिल होते हैं तो उनके तन-मन में उम्मीदों का सैलाब उमड़ रहा होता है। यह नयी दुनिया उन्हें कभी भरमाती है तो कभी बहकाती है। दुलहनें इस नए परिवेश में खुद को एडजस्ट करने की कोशिशों में लगी रहती हैं, वहीं दूल्हे राजा भी अपनी नयी जिम्मेदारियों को संभालने की जुगत में लग जाते हैं। ऐसे में कभी उनका मन उलझता है तो कभी तन से जुड़ी कुछ दिक्कतें भी उन्हें परेशान करती हैं। जो रिश्ता बेइंतिहा खुशी का सबब बनना चाहिए था, वह कई बार कांटों पर चलने जैसा हो जाता है।
नवविवाहित जोड़ों की मन और तन से जुड़ी दिक्कतों और उनसे निबटने के उपाय जानने के लिए हमने देश के प्रख्यात मनोविद डॉ. समीर पारिख और मशहूर सेक्सोलॉजिस्ट डॉ. प्रकाश कोठारी से संपर्क किया। आइए जानते हैं इन विशेषज्ञों ने नवविवाहित दंपतियों को क्या सलाह दी है -
बदलाव का करें स्वागत
मनोवैज्ञानिक डॉ. समीर पारिख कहते हैं कि जीवन में जब भी कोई नया पड़ाव आता है तो उसमें एडजस्ट करने में थोड़ा समय लगता है। शादी से पहले जिस तरह की जिंदगी आप जीते आए हैं, जरूरी नहीं कि शादी के बाद आपको ससुराल में भी वही सब मिले। ऐसे में अपनी पर्सनेलिटी को इतना लचीला बनाना चाहिए कि किसी तरह के बदलाव को स्वीकार कर सकें, उसमें ढल सकें। इससे नए माहौल में दुलहन को ढलने में सहजता होगी।
दूसरी बात, किसी भी रिश्ते को निभाने में कम्यूनिकेशन यानी बातचीत का बड़ा महत्व है। आप जो महसूस कर रहे हैं, वह साथी से बताएंगे नहीं, उनसे शेअर नहीं करेंगे तो उन्हें आपकी भावनाओं का पता कैसे चलेगा। कम्यूनिकेशन की बहुत वेल्यू है, उसमें हमें फोकस करना चाहिए।
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