हर इंसान का एक अतीत अवश्य होता है। हम सबकी जिंदगी में कोई न कोई ऐसा पड़ाव जरूर आता है, जिसे हम अपने मन के भीतर दबाकर रखना चाहते हैं। हम जानते हैं कि उसके बारे में सबको पता लगने पर हम सहज महसूस नहीं करेंगे। यह ho समस्या ज्यादा गंभीर तब हो जाती है, जब बात आपके निजी रिश्तों की हो। यानी आप किसी भी सूरत में अपने अतीत की परछाई आने वाले कल पर नहीं पड़ने देना चाहते।
वैसे इस बात में कोई बुराई नहीं है, क्योंकि जो बीत गया वो कल था। लेकिन यदि आपके साथी का अतीत आपके सामने आ जाए तो उसको सहजता से ले पाना शायद उतना आसान न हो। यह सलाह सुनने में तो बहुत अच्छी लगती है कि पुरानी बातों को भूलकर एक नए सिरे से शुरूआत करना ही समझदारी की निशानी होती है। पर, क्या वास्तव में यह इतना आसान होता है? हमारा मन अनेक जटिल भावनाओं से भरा होता है, जो मौके और स्थिति के हिसाब से अपना असर दिखाता है। फिर ऐसे में पता चले कि जो आपके लिए दुनिया में सबसे महत्वपूर्ण है, कभी उसके जीवन में आपकी जगह किसी और ने ले रखी थी तो समझाना मुश्किल हो जाता है। लेकिन परिवक्वता और समझदारी का परिचय देते हुए दि शांत दिमाग से काम लिया जाए तो इतनी पीड़ादाई लगने वाली स्थिति का सामना भी सहजता से किया जा सकता है।
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