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साइलेंट मोड पर जाते रिश्ते
आज आम जीवन में रिश्तों के बीच एक सन्नाटा सा पसरता जा रहा है. लोग अपनों से दिल की बात छिपाते हैं. वे कछुए की तरह अपने कवच में घुसे रहते हैं. ऐसे में दूरियां बढ़नी तो लाजिमी हैं.
शर्म छोड़िए आत्मनिर्भर बनिए
कोई भी धंधा छोटा नहीं होता और बेगार घर में रहने से शर्मनाक कुछ और नहीं होता. बेशक, कई लोग छोटामोटा धंधा सिर्फ इसलिए नहीं शुरू करते क्योंकि उन के आड़े उन की शर्म आ जाती है, पर यकीन मानिए ऐसे कई उदाहरण हैं जो इस रोड़े को कब का फांद कामयाब हो चुके हैं.
बच्चों को मोबाइल से कैसे रखें दूर
कोविडकाल चल रहा है तो अधिकतर बच्चों की दिनचर्या फोन में केंद्रित हो कर रह गई है, इस से बच्चों की सेहत और व्यवहार पर दुष्प्रभाव दिखने लगे हैं.
मृत्यु के बाद भी पाखंड का अंत नहीं
भारत में कोरोना की दूसरी लहर में सारे मृत्युपरांत कर्मकांड धरे के धरे रह गए. संस्कार तो दूर, पंडे तो मृतक के नजदीक तक न फटके. लेकिन इन सब से सबक लेने की जगह लोग फिर से पाखंड की इस फंतासी में फंसते जा रहे हैं और हैरानी यह कि इन में पढ़ेलिखे बढ़चढ़ कर हैं.
रामचरितमानस में अपशब्द
रामचरितमानस को अधिकतर हिंदू अपना धार्मिक ग्रंथ मानते हैं. लेकिन बहुत कम ही इन चीजों पर ध्यान देते हैं या पूरी तरह नजरअंदाज कर देते हैं कि यह ग्रंथ अपशब्दों से भरा पड़ा है.
सामान शिफ्टिंग के 10 टिप्स
पहले शहरों में रूम या फ्लैट की शिफ्टिग करना आसान नहीं था, सामान लाने व ले जाने में हालत खराब हो जाती थी लेकिन अब सामान शिफ्ट करने वाली कुछ कंपनियों की मदद से यह काम आसान हो गया है.
पैगासस जासूसी गुलामी की जंजीर
सरकार हर प्रकार से जनता को जंजीरों में जकड़ना चाहती है. वह इस के लिए उन माध्यमों को तहसनहस कर देना चाहती है जो लोकतंत्र में उन की पहली आवाज बन कर उठते हैं चाहे वे पत्रकार हों, विपक्षी पार्टियां हों या फिर न्यायालय हों. 'पैगासस प्रोजैक्ट' रिपोर्ट के सनसनीखेज खुलासे से यह खुल कर सामने आ गया है.
दलितों पर हावी हो रहे कर्मकांड 40 साल बाद धार्मिक शादी
भारतीय राजनीति में एक समय था जब दलित राजनीति का केंद्र धार्मिक अंधविश्वासों और कर्मकांडों के खिलाफ मोरचा लेना था, क्योंकि धार्मिक मान्यताओं के चलते ही सालोंसाल दलितपिछड़ों ने बर्बर प्रताड़ना झेली. लेकिन लंबे चले संघर्ष के बाद अब यही कर्मकांड दलितपिछड़ों पर हावी होने लगे हैं. वे इस के जंजाल में फंसते जा रहे हैं.
तालिबानियों से डरी अफगानी औरतें
अफगानिस्तान का जिक्र आते ही बम-धमाके, मौतें, मजलूमों पर कोडे बरसाते तालिबानी और सिर से पैर तक परदे में ढकी औरतों की छवि आंखों के सामने उभरती है. रूढ़िवादी, दकियानूसी, चैन ओ अमन के दुश्मन और औरतों पर जुल्म ढाने वाले तालिबानियों के कब्जे में फंसता जा रहा अफगानिस्तान अपने भविष्य को ले कर सशंकित है.
अधर में प्रतियोगी युवा सरकारी नौकरी का लालच
सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहे ज्यादातर ऐसे सक्षम युवा हैं जिन्हें संभव है कि सीट की कमी और सरकारी कुव्यवस्था के चलते सरकारी नौकरी नहीं मिलने वाली, लेकिन परिवार की एक बड़ी पूंजी अभी तक वे इन तैयारियों में उम्मीद के सहारे खर्च कर चुके हैं. ऐसे में प्रतियोगी युवाओं का भविष्य अंधकार में गहराता जा रहा है. ये वे युवा हैं जो सबकुछ दांव पर लगा कर एक अनिश्चित भविष्य की तरफ बढ़ रहे हैं.
ऐंटी सैक्स बैड मैदान से पहले बिस्तर का खेल
इन दिनों पूरी दुनिया में 'ऐंटी सैक्स बैड' खासा चर्चा में बना हुआ है. टोक्यो ओलिंपिक खेल से उठा यह विवाद जितना अनोखा है उतना हास्यास्पद भी, तभी तो लोग इस के मजे ले रहे हैं और इसे पलंगतोड तरकीब कह रहे हैं.
“कोविड की वजह से दुनिया में फिल्मों की मार्केटिंग बहुत बदली है
बौलीवुड अभिनेता फरहान अख्तर को भला कौन नहीं जानता. पूरा देश वाकिफ है कि वे बहुप्रतिभाओं के धनी हैं.वे इंडस्ट्री के उन गिनेचुने कलाकारों में से हैं जो विरासत में सिर्फ कला साथ लाए बाकी अपने दमखम से इंडस्ट्री पर छाए. उन की हाल ही में फिल्म 'तूफान' रिलीज हुई है.
मध्यवर्ग और कोरोना
कोरोना की मार हर वर्ग पर पड़ी है. मध्यवर्ग के लोगों को इस की बड़ी कीमत चुकानी पड़ रही है. मात्र एक घटना के चलते वे एक झटके में मध्य से निम्नवर्ग में दाखिल हो जा रहे हैं, जो देश की अर्थव्यवस्था के लिए घातक साबित हो सकता है.
मोदी का नया कैबिनेट- भानुमती का फुस कुनबा
प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी के कैबिनेट विस्तार की जिस तरह छीछालेदर हो रही है वह अभूतपूर्व कही जा सकती है. आखिर असल वजह क्या है...
स्टैन स्वामी की मौत कानून ने की यह हत्या
देश ही नहीं बल्कि दुनियाभर की चुनी सरकारें उन जागरूक लोगों से डरती हैं जो दूसरों को जगाते हैं और सरकार के गलत कामों का निडर हो कर विरोध भी करते हैं.ये लोग शोषण और असमानता का विरोध करने का कोई मौका नहीं चूकते. लिहाजा, सरकार इन का मुंह बंद करने के लिए कानूनों को हथियार बनाने लगती है. यही स्टैन स्वामी के साथ हुआ.
कहीं आप बच्चों को ज्यादा डांटते तो नहीं
बच्चों का बदमाश और शरारती होना स्वाभाविक होता है.लेकिन उन्हें सुधारने के चक्कर में आप उन्हें परेशान करने लगते हैं. आप कब ओवर-करैक्टिग या क्रिटिकल मोड में चले जाते हैं, आप को पता ही नहीं चलता.
न्यूज चैनलों की थूक कर चाटने की कला
न्यूज चैनल्स की खबरें अब विश्वसनीय नहीं रह गई हैं क्योंकि ये प्रायोजित व पूर्वाग्रह से ग्रस्त होती हैं. इस के अलावा टीआरपी के लिए चैनल्स किसी भी हद तक गिरने को तैयार रहते हैं, वहीं सनसनी मचाने के लिए तिल का ताड़ बनाने से नहीं चूकते.
बच्चों में पोस्ट कोविड एमआईएस-सी को न करें नजरअंदाज
बच्चों में कोविड होने के 2 से 6 हफ्तों के भीतर बुखार, खांसी, हार्ट में सूजन, चक्कर, सीने में दर्द, सांस लेने में कठिनाई हो तो संभव है कि ये पोस्ट कोविड एमआईएस-सी के लक्ष्ण हों. आखिर क्या है यह एमआईएस-सी और क्यों है यह बच्चों के लिए घातक?
जब स्मार्टफोन चोरी हो जाए
जैसेजैसे डिजिटीकरण बढ़ा है, वैसे ही औनलाइन साइबर क्राइम में भी बढ़ोतरी हुई है. लोगों के हाथ में इंटरनेट और स्मार्टफोन की सुविधा आने से काम तो आसान हो गए लेकिन कई बार बड़े हर्जाने भी भरने पड़ते हैं.
हम कैसे विश्वगुरु हैं
दुनिया का इतिहास व वर्तमान देखने से यह तय है कि जो भी बदलाव आए, क्रांतियां हुईं उन का नेतृत्व नास्तिकों ने तर्कसंगत किया है. वहीं आस्तिक होना दुनिया का सब से सरल कार्य है. आंख बंद करो, सुनो और पीछे चल दो. आस्तिक लोग स्थापित मूढ़ताओं व मूर्खताओं के सब से बड़े रखवाले होते हैं. ऐसे में बिना इसे समझे, हम विश्वगुरु कैसे बन सकते हैं?
पश्चिम परेशान चढ़ता चीन
चीन से निकले कोरोना वायरस की दहशत ने दुनिया का चक्का जाम कर रखा है. कामधंधे ठप हैं, व्यापार चौपट हैं और लगभग हर देश अपनी डूबती अर्थव्यवस्था को ले कर चिंतित है. मगर आश्चर्यजनक रूप से चीन ने न सिर्फ कोरोना पर पूरी तरह काबू पा लिया बल्कि 2021 की पहली तिमाही में उस की अर्थव्यवस्था ने गजब का उछाल दर्ज किया है. दुनिया को पीछे छोड़ती चीन के विकास की बुलेट ट्रेन जिस रफ्तार से भाग रही है उस ने अमेरिका और यूरोप की चिंता बढ़ा दी है. भारत तो अब कहीं है ही नहीं.
औनलाइन श्रद्धांजलि
अब जब औनलाइन श्रद्धांजलि का चलन बढ़ ही गया है तो इस के नियम-कानून भी तय कर ही लिए जाने चाहिए. कब, कैसे, कितना, कहां, क्या बोलना है, यह पता होना चाहिए. कहीं ऐसा न हो कि पैर पटक कर जाने की नौबत आ जाए.
आईएएस अफसरों का दर्द
भ्रष्टाचार को सहज ढंग से लेने की मानसिकता दरअसल एक साजिश है जिस का विरोध एक आईएएस अधिकारी ने किया तो उसे तरहतरह से प्रताड़ित किया गया ताकि भविष्य में कोई दूसरा आपत्ति न जताए. पेश है खोखली होती प्रशासनिक व्यवस्था का सच बयां करती यह खास रिपोर्ट.
दिमाग स्वस्थ तो आप स्वस्थ
2019 के बाद मानव जीवन पूरी तरह से बदला है.व्यवहार, दिनचर्या और बातचीत का तरीका पूरी तरह से बदल गया है. ऐसे में लोगों को कई तरह की दिक्कतों को झेलना पड़ रहा है, जिन का सामना हमें अपने मजबूत दिमाग से करना है.
दलितपिछड़ा राजनीति घट रही आपसी दूरियां
उत्तर प्रदेश में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं. सभी राजनीतिक पार्टियां चुनाव की तैयारियों में जुटने लगी हैं, बंद कमरों में गुप्त मीटिंगें हो रही हैं, कुछ के आंतरिक कलह खुल कर सामने भी आने लगे हैं. इस बीच जमीन पर जनता क्या सोच रही है, उस का क्या मूड है, जानने के लिए पढ़ें यह ग्राउंड रिपोर्ट.
"समाज में एलजीबीटी समुदाय को ले कर जो टैबू है उसे बदलने का प्रयास है हमारी यह फिल्म" अंशुमन झा
'लव, सैक्स और धोखा' और 'नो फादर इन कश्मीर' जैसी फिल्मों में ऐक्टिग कर चुके अंशुमन अब अपनी फिल्म 'हम भी अकेले तुम भी अकेले' ले कर आए हैं. फिल्म एलजीबीटी समुदाय को केंद्र में रख कर बनाई गई है.
बरोजगारी का गहराता संकट
देश में करोड़ों लोग इस समय बेरोजगारी का दंश झेल रहे हैं. कइयों की घर में भूखे मरने की नौबत आ गई है और कई गहरे अवसाद में जी रहे हैं. बढ़ती बेरोजगारी भारत के लिए बड़ी चिंता का विषय है, यदि इस समय इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो अर्थव्यवस्था का वापस जल्दी पटरी पर आना बेहद मुश्किल होने वाला है.
इसराईल-फिलिस्तीन युद्ध धर्म के हाथों तबाह मध्यपूर्व एशिया
इसराईल और फिलिस्तीन का सारा झगड़ा धर्म, वर्चस्व, जमीन हथियाने आदि के इर्दगिर्द है. यहूदी और मुसलमान जिन के धर्म का मूल स्रोत एक ही है, बावजूद इस के दोनों एकदूसरे की जान के प्यासे हैं. दुनिया में धर्म ही हर फसाद की जड़ है. धर्मयुद्धों ने पूरे मध्यपूर्व एशिया को तबाह कर डाला है.
बढ़ती आत्महत्याएं गहराती चिंताएं
सरकार ने जनता को विध्वंस के कगार पर खड़ा कर दिया है. चारों ओर डर व दहशत का माहौल है.अर्थव्यवस्था चकनाचूर है. लोगों की नौकरियां छिन गई हैं. इस विध्वंस से जन्मी घनघोर निराशा व अवसाद के चलते आत्महत्या की घटनाएं तेजी से बढ़ने लगी हैं जो देश को गहराते अंधकार की तरफ धकेलती जा रही हैं.
वैधानिक चेतावनी तंबाकू का खतरा
तंबाकू के सेवन से होने वाली कुल मौतें, स्तन कैंसर, एड्स, सड़क दुर्घटनाओं से होने वाली कुल मौतों से भी अधिक हैं. 69 तरह के कैंसर तंबाकू के सेवन से हो सकते हैं. आज कोरोना महामारी पर सभी चिंतित हैं लेकिन तंबाकू जैसी पुरानी महामारी से नजात पाना भी तो जरूरी है.