दशकों से भाजपा का कोर वोटर समझे जाने वाले राजपूत समाज की नाराजगी की खबरें प्रमुखता के साथ सामने आ रही हैं। हालांकि 2014 में नरेंद्र मोदी के नाम पर भाजपा की जीत ने जाति के बंधनों को काफी हद तक तोड़ा था।, परंतु भाजपाई माने जाने वाले राजपूतों की इस बार भाजपा से बेरुखी ने सभी को चौंका दिया है। टिकट वितरण में राजपूतों की अनदेखी को लेकर भाजपा से किनारा करने के तमाम वीडियो और खबरें सामने आई हैं। कई जगह बाकायदा सभा बुलाकर वोटिंग के बहिष्कार की बात हुई तो कई जगह 'जो भाजपा को हराएगा, वोट उसको जाएगा' के नारे लगे। आम तौर पर अभी तक देखा जाता रहा है कि चुनाव में जाति के मुद्दे पर दलित, ओबीसी जैसी जातियां गोलबंद होकर हावी रहा करती थीं। ब्राह्मण, बनियों की भी बात होती रहती थी, पर राजपूत समाज किसको वोट दे रहा है, किससे नाराज है, इस पर चर्चा एक नया विषय है। राजपूत राजनीति में विरोध के स्वर गुजरात से शुरू हुए, फिर राजपूत बाहुल्य राजस्थान और पश्चिमी उत्तर प्रदेश से एक के बाद एक खबरें आने लगीं।
राजपूत समाज की नाराजगी का कारण सम्राट मिहिरभोज को गुर्जर बताए जाने पर भी रही। देशभर की जातियों में अपने को राजपूत और ब्राह्मण बताए जाने की प्रवृत्ति रही है। अगर गुर्जर समाज मिहिरभोज को गुर्जर मानता है तो उसे कैसे रोका जा सकता है। इस पूरे प्रकरण से ठाकुर समाज में कैराना से भाजपा सांसद और वर्तमान में लोकसभा चुनाव में उम्मीदवार प्रदीप चौधरी की भूमिका से काफी नाराजगी है। राजपूत नेताओं का मानना है कि पिछले वर्ष प्रदीप चौधरी और मेरठ से सपा विधायक अतुल प्रधान के उकसाने पर ही सहारनपुर से 'मिहिर भोज प्रतिहार गौरव यात्रा' निकाली गई थी। इसके बाद से ठाकुर समुदाय प्रदीप चौधरी का विरोध कर रहा है। राजपूत समाज की यह भी मांग है कि सरकार द्वारा ईडब्ल्यूएस श्रेणी में जो 10 प्रतिशत आरक्षण दिया जा रहा है, उसे बढ़ाकर कम से कम 14 प्रतिशत किया जाना चाहिए। हालांकि चुनावों के तीसरे चरण के मतदान होने तक भाजपा ने ठाकुर क्षत्रपों को काफी हद तक मैनेज कर लिया किन्तु आम क्षत्रिय मतदाताओं में अभी भी नाराजगी महसूस की जा सकती है।
यूपी में राजपूतों की नाराजगी के मायने
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अब आकांक्षा पुरी संग रोमांस करेंगे खेसारी
भोजपुरी सिनेमा के ट्रेंडिंग स्टार खेसारी लाल यादव एक बार फिर चर्चा में हैं और इस बार उनके साथ खूबसूरत अभिनेत्री आकांक्षा पुरी हैं। दोनों की एक खास तस्वीर सोशल मीडिया पर धूम मचा रही है।
ऑस्ट्रेलिया में लगेगी जीत की हैट्रिक!
भारत ने आस्ट्रेलिया में पिछली दो टेस्ट सीरीज जीतकर बॉर्डर-गावस्कर ट्राफी पर कब्जा बना रखा है, जबकि आस्ट्रेलिया ने 2015 के शुरुआत में घरेलू सीरीज में 2-0 से जीत हासिल की थी। रवि शास्त्री ने इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल बातचीत में कहा, जसप्रीत बुमराह फिट हैं, मोहम्मद शमी फिट हैं, आपके पास मोहम्मद सिराज भी हैं।
थम गये स्वर कोकिला के स्वर
बिहार की स्वर कोकिला शारदा सिन्हा ने 72 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया, लेकिन उनकी जिंदगी की कहानियां, छठ गीत और उनकी मधुर आवाज शायद ही किसी संगीतप्रेमी के मन से जा सकती है।
बॉडीगार्ड
अपने काले चश्मे से डेविड की ओर देखकर रिकी ने कहा, शिकागो से मेरा दोस्त जॉकी रॉबिन्सन यहां आने वाला है। डेविड ने स्वीकृति में अपना सिर हिला दिया। उसने मुंह से सिगार बाहर निकालकर उसकी राख को एश ट्रे में छोड़ दिया फिर उसे अपने होठों के बीच रख लिया।
परिश्रम से ही कामनाओं की प्राप्ति होगी
ऋग्वेद में प्रत्यक्ष सांसारिक कर्तव्य पालन पर ढेर सारे मंत्र हैं। कृषि कर्म समृद्धिसूचक है। पशुपालन सहज व्यवसाय है। पूर्वजों को गायें प्रिय हैं। पूर्वज उनकी सेवा करते हैं। उन पर हिंसा को अपराध बताते हैं। ऋषि का अनुरोध है 'हे मित्रों! गायों, पशुओं के पानी पीने के बहुत स्थान बनाओ।' आर्य अश्व प्रिय भी हैं। घोड़े पालते हैं।
छठी मइया आईं न दुअरिया
छठ पर्व की लोकप्रियता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि यह पूरे चार दिन तक जोश-खरोश के साथ निरंतर चलता है। पर्व के प्रारम्भिक चरण में प्रथम दिन व्रती स्नान करके सात्विक भोजन ग्रहण करते हैं, जिसे 'नहाय खाय' कहा जाता है। वस्तुतः यह व्रत की तैयारी के लिए शरीर और मन के शुद्धिकरण की प्रक्रिया होती है। मान्यता है कि स्वच्छता का ख्याल न रखने से छठी मइया रुष्ट हो जाती हैं- प्रथम दिन सुबह सूर्य को जल देने के बाद ही कुछ खाया जाता है।
ब्रिक्स विकासशील देशों का मंच या एंटी वेस्टर्न ब्लॉक
भारत इस ब्लॉक में सबसे सकारात्मक रवैए को लेकर चलता है लेकिन रूस और चीन के अपने हित, चिंताएं और उसके अनुरूप डिप्लोमेसी है। ब्रिक्स के वर्तमान सदस्य देशों और अन्य नए बनने वाले सदस्यों में से कई ऐसे हैं जो अमेरिका के नेतृत्व वाले वेस्टर्न ब्लॉक, नाटो, यूरोपीय संघ की सामरिक आर्थिक नीतियों से नकारात्मक रूप से प्रभावित होते हैं। रूस और ईरान इसके विशेष उदाहरण हैं।
कोल्हान और संथाल तय करेगा झारखंड का सियासी भविष्य
कोल्हान क्षेत्र की जनता इस बार कई बड़ी हस्तियों का सियासी भविष्य भी तय करेगी। पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन इसके सबसे बड़े नजीर होंगे। पूर्णिमा दास साहू की जमशेदपुर पूर्वी सीट से जीत-हार सीधे उड़ीसा के राज्यपाल रघुवर दास की राजनीति पर असर पड़ेगा। वहीं पोटका से पूर्व सीएम अर्जुन मुंडा की पत्नी मीरा मुंडा की लड़ाई दोनों की जमीनी पकड़ परखेगी। सबसे दिलचस्प नजारा जमशेदपुर पश्चिम में दिखेगा यहां सरयू राय और मंत्री बना गुप्ता मैदान में हैं।
क्या हरियाणा कांग्रेस विद्रोह के कगार पर खड़ी है!
कांग्रेस हाई कमान के दोबारा हुड्डा को गद्दीनशीन करने के कदम से गैर जाट वर्ग और आक्रोशित हो गया तथा 2014 के विधानसभा चुनावों में, जो पुनः हुड्डा के ही नेतृत्व में लड़े गए थे, कांग्रेस को 15 सीटों तक समेट कर रख दिया। हाईकमान को अपनी गलती का आभास होने लगा तथा हाईकमान ने भजन लाल के राजनीतिक वारिस कुलदीप बिश्नोई को 2016 में दोबारा शामिल कर लिया ताकि नाराज गैर जाट वर्ग को अपने साथ जोड़ सके।
किसमें कितना दम
राज्य की चार विधानसभा सीटों तरारी, बेलागंज, इमामगंज और रामगढ़ में उपचुनाव होगा। इनमें से तीन सीट पर महागठबंधन का कब्जा रहा है। यहां से विधायकों के लोकसभा चुनाव में जीतकर सांसद बनने के चलते यह सीटें खाली हुई हैं। इस तरह देखा जाए तो सबसे अधिक दांव महागठबंन का लगा है। महागठबंधन की ओर से तीन सीटों रामगढ़, बेलागंज और इमामगंज से राजद, जबकि भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी लेनिनवादी) तरारी से चुनाव लड़ रही है। एनडीए की ओर से दो पर भाजपा तो एक-एक पर जदयू और हम लड़ रहे हैं।