काम के पक्के और कानून के लिए सख्त आईपीएस अफसर माने जाने वाले आरएस भट्टी को डीजीपी बनाये जाने के बाद तो बक्सर जैसी घटना नहीं ही होनी चाहिये थी. जिस देश में किसानों के आंदोलन की वजह से बेहद मजबूत मोदी सरकार को पीछे कदम खींचने पड़े हों, बक्सर के किसानों को हल्के में क्यों लिया गया? कहीं इसलिए तो नहीं क्योंकि प्रोजेक्ट का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था? जाहिर है, आने वाले दिनों में क्रेडिट लेने की कोशिश भी बीजेपी की तरफ से ही होगी. ऐसे में महागठबंधन की सरकार की दिलचस्पी कम होना स्वाभाविक ही है. मार्च, 2019 में नोएडा से ही वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये प्रधानमंत्री मोदी ने बक्सर के लोगों को धन्यवाद देते हुए उम्मीद जतायी थी कि प्लांट से काफी बिजली मिलेगी और बिहार की हालत में भी सुधार होगा. उद्योग धंधे भी बढ़ेंगे. लगे हाथ प्रधानमंत्री मोदी ने ये भी कह दिया कि पहले की सरकारों ने ध्यान नहीं दिया.
'पहले की सरकारों' का जिक्र कर प्रधानमंत्री मोदी ने 2014 से पहले की केंद्र सरकार और 2005 से पहले की बिहार सरकार की तरफ ही इशारा किया होगा. तब भी नीतीश कुमार ही बिहार के मुख्यमंत्री रहे, लेकिन तब वो केंद्र की बीजेपी सरकार के सहयोगी हुआ करते थे. बक्सर का राजनीतिक समीकरण भी बिहार के मौजूदा गठबंधन को सूट नहीं करता. बीजेपी के अश्विनी चौबे बक्सर से सांसद हैं, और केंद्रीय मंत्री भी हैं. जब मोदी ने प्लांट का उद्घाटन किया था, तब वो भी मौके पर मौजूद थे. अश्विनी चौबे ने अधिकारियों से बात कर हालात का जायजा लिया और कहा कि जिस तरह से पुलिस ने किसानों के घर में घुस कर कार्रवाई की है, वो गुंडागर्दी है.
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