सुरक्षा बल और केंद्र बार-बार उम्मीद भरे माहौल का ऐलान कर रहे हैं कि आखिरकार कश्मीर घाटी में सामान्य हालात लौट आए हैं. आतंक से जुड़ी वारदात कम हो गई हैं, ऐसे तत्व तेजी से बेमानी कर दिए गए। हैं और उनके जमीनी नेटवर्क तबाह कर दिए गए हैं. सबूत भी साफ-साफ सामने हैं: भारतीय नौसेना ने बढ़ते उपद्रव और अशांति के चलते 1989 में कश्मीर की सुंदर मानसबल झील पर बंद कर दिए गए एनसीसी प्रशिक्षण केंद्र को 33 साल बाद फिर खोल दिया है. दो नावें झील के मुहाने पर खड़ी हैं. इसके अलावा घाटी में मल्टीप्लेक्स के बहुचर्चित उद्घाटन पर गौर कीजिए, जिससे तीन दशक बाद सिनेमा की वापसी हुई है. कारोबारी संभावनाएं बढ़ी हैं और इन गर्मियों में पर्यटकों की भारी आमद भी हुई.
घाटी में सुरक्षा के हालात में सुधार का काफी कुछ श्रेय अलगाववाद-रोधी बल राष्ट्रीय राइफल्स (आरआर) की काबिलियत को दिया जाता है, जो कि जम्मू-कश्मीर में तैनात है. अब सेना के योजनाकार घाटी में सुरक्षा बलों की तैनाती का तरीका बदलने पर फोकस कर रहे हैं. अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 के हटाए जाने के बाद कश्मीर घाटी के हालात पर प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) की करीबी नजर बनी हुई है और शांति तथा स्थिरता कायम करने पर काफी कुछ दांव पर लगा है. इस तरह कश्मीर में आरआर की मौजूदगी घटाने की कोशिशें चल रही हैं. केंद्र सरकार का मानना है कि सैन्य वेशभूषा में बंदूक ताने हर जगह फौजियों की मौजूदगी से यह पता नहीं चलता कि जन्नत में शांति धीरे-धीरे लौट रही है.
आरआर की तैनाती घटाने की एक दूसरी वजह भी है. दिसंबर से भारत जी-20 की अध्यक्षता संभाल रहा है, केंद्र जम्मू-कश्मीर में उसकी बैठक आयोजित करने को लेकर तत्पर है और बंद दरवाजे की बैठकों में वर्दीवालों की मौजूदगी घटाने पर बातचीत में भी तेजी आई है.
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