"विधताओं से भरा दफ्तर बेहतर ही नहीं, आकर्षक भी होता है." चीफ सस्टेनेबिलिटी अफसर अंजलि रवि कुमार की यही विलक्षण सोच विशाल फूड एग्रीगेटर कंपनी जोमैटो का मूल मंत्र बन गई है. वे कहती हैं, "कर्मचारियों में ज्यादा विविधता वाली कंपनियां ज्यादा इनोवेटिव भी होती हैं." जोमैटो में यह बदलाव एकदम शिखर यानी बोर्ड ऑफ डायरेक्टर से शुरू होता है. इसके सात डायरेक्टरों में चार महिलाएं हैं - एयरवेदा टेक्नोलॉजीज की संस्थापक नमिता गुप्ता, जालोरा ग्रुप की सीईओ गुंजन तिलक राज सोनी, अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत की नुमाइंदगी कर चुकी बैडमिंटन खिलाड़ी अपर्णा पोपट वेद, और बैंकिंग दिग्गज सुतपा बनर्जी.
कंपनी जगत में जोमैटो उत्साहवर्धक मिसाल की तरह है. प्राइमइन्फोबेस डॉटकॉम के आंकड़ों के मुताबिक, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध कंपनियों के बोर्ड में एक दशक पहले 5 फीसद के मुकाबले अब 20 फीसद महिलाएं हैं. इस अहम बदलाव का कुछ श्रेय सेबी को जाता है जिसने सभी सूचीबद्ध फर्मों के लिए बोर्ड में कम से कम एक महिला स्वतंत्र डायरेक्टर को रखना अनिवार्य कर दिया है, तो कुछ श्रेय कंपनियों के डीईआइ (डाइवर्सिटी, इक्विटी और इन्क्लूजन या विविधता, समानता और समावेशी माहौल) अभियान को जाता है. प्राइम डेटाबेस ग्रुप के एमडी प्रणव हल्दिया कहते हैं, "2013 में सेबी के इस आदेश पर अमूमन करीबी महिला रिश्तेदारों को बोर्ड में रख लिया गया. लेकिन अब कई कंपनियों को विविधता के फायदों का एहसास हुआ है." 15 दिसंबर को एनएसई में सूचीबद्ध 2,271 कंपनियों में 997 या 45 फीसद के बोर्ड में एक से ज्यादा महिला डायरेक्टर थीं.
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