उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार के दूसरे कार्यकाल का तीसरा बजट इस बार नई ऊंचाइयां छू रहा था. 5 फरवरी को वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने विधानसभा में जैसे ही यह शेर हौसले दिल में जब मचलते हैं, आंधियों में चिराग जलते हैं पढ़कर वित्त वर्ष 2024-25 के प्रावधानों को बताना शुरू किया, सत्ता पक्ष के विधायकों ने एक साथ मेजें थपथपा कर स्वागत किया. हालांकि पूरे बजट भाषण के दौरान रुक-रुक कर थोड़ी बहुत मेजें थपथपाई जाती रहीं लेकिन करीब एक घंटे के बाद ये मेजें एकसाथ फिर थपथपाई गईं जब बजट भाषण के अंत में खन्ना ने प्रस्तुत बजट का आकार 7.36 लाख करोड़ रु. का होने की सूचना सदन को दी. इस तरह यूपी का यह बजट अपने आकार में अब तक का सबसे बड़ा बजट था. इतने बड़े बजट और उसे खर्च करने की चुनौती का एहसास सरकार को था. इसलिए आमतौर पर 20 फरवरी के आसपास पेश होने वाला यूपी का बजट इस बार दो हफ्ते पहले सदन में रखा गया. इस जल्दबाजी को करीब आ चुके लोकसभा चुनाव की आचार संहिता और फरवरी के मध्य में शीर्ष भाजपा नेताओं की दिल्ली में होने वाली बैठक से जोड़ा जा रहा है.
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