يحاول ذهب - حر
ईवी में ऊंची छलांग के लिए भारत क्या करे
January 15, 2025
|India Today Hindi
स्थानीयकरण से नवाचार तक... चार्जिंग की दुश्वारियां दूर करना, बैटरी तकनीक बेहतर करना और बिक्री के बाद की सेवाएं बेहतर करना ही इलेक्ट्रिक वाहन क्रांति को मजबूत करने का मूल मंत्र है

साल 2024 खत्म होते-होते भारत के इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) उद्योग पर नजर रखने वालों के बीच साफ तौर पर उत्साह का माहौल था. दिसंबर के मध्य तक ईवी की कुल बिक्री में सालाना आधार पर 35 फीसद की बढ़ोतरी हुई और यह नए मील के पत्थर- 20 लाख इकाइयों-से बस कुछ ही पीछे थी. इसकी अगुआई करते हुए इलेक्ट्रिक दोपहियों या ई2डब्ल्यू ने वृद्धि के अपने वायदे काफी पूरे किए. परंपरागत दोपहिया निर्माताओं के इलेक्ट्रिक दोपहियों निर्माण में आने और विशाल शहरी बाजारों में पैठ बनाने से हुई वृद्धि के साथ '10 लाख+' बिक्री का आंकड़ा हकीकत बन गया. शीर्ष 10 शहरी केंद्रों में बिकने वाले हर चार स्कूटरों में तकरीबन एक से ज्यादा अब ई2डब्ल्यू हैं. इलेक्ट्रिक तिपहियों या ई3डब्ल्यू ने भी इतना ही दमदार प्रदर्शन किया, जो साल के ज्यादातर वक्त करीब 20 फीसद की वृद्धि दर्ज करते हुए 6,00,000 इकाइयों से ऊपर पहुंच गए. उत्साह में खलल डालने वाला एकमात्र सेग्मेंट बहुत ज्यादा दिखाई देने और उम्मीदें पैदा करने वाले इलेक्ट्रिक चौपहिया वाहनों या ई4डब्ल्यू का सेग्मेंट था, जिसे 1,00,000 के निशान से नीचे ठिठकते देखा गया.
ध्यान अब स्वाभाविक ही 2025 की दशा-दिशा पर है. मौजूदा उपभोक्ताओं के सामने और इच्छुक उपभोक्ताओं के लिए प्रत्याशित सबसे अहम मुद्दा शायद रेंज यानी बैटरी के चुकने की चिंता और चार्जिंग सुविधाओं की उपलब्धता/गुणवत्ता का है. मैन्यूफैक्चरर को उपभोक्ताओं को यह समझाने की कहीं ज्यादा कोशिशें करनी होंगी कि रेंज के मसलों को बेहतर ढंग से संभालने के लिए उन्हें क्या करना और क्या नहीं करना चाहिए, वहीं चार्जिंग के बुनियादी ढांचे को लेकर चिंताएं जायज हैं. चार्जरों के काम न करने या नक्शे पर दिखाई गई जगह पर मौजूद न होने की रिपोर्टों से सोशल मीडिया भरा पड़ा है. बदतर यह कि वाहनों के ट्रैफिक के बीच खड़े हो जाने या सॉफ्टवेयर के स्क्रीन से एकदम गायब हो जाने सरीखी अनेक शिकायतें सीधे चार्जिंग के बुनियादी ढांचे की गुणवत्ता से जुड़ी हो सकती हैं.
هذه القصة من طبعة January 15, 2025 من India Today Hindi.
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