कर्नाटक की 28 लोकसभा सीटों पर भाजपा-जेडीएस गठजोड़ और कांग्रेस की चुनावी जंग ने पहले से ही गरमा रहे मौसम का पारा और चढ़ा दिया है। यहां दो चरणों में 26 अप्रैल और 7 मई को मतदान होना है। मोटे तौर पर यह चुनाव दोध्रुवीय ही रहेगा, लेकिन इस बार मामला दोनों पक्षों के लिए जीने और मरने का बन चुका है। यहां कांग्रेस की सीटों में 1989 के बाद से लगातार गिरावट आई है जबकि भाजपा को 2019 के आम चुनाव में इस सूबे से सबसे ज्यादा सीटें दक्षिण भारत में मिली थीं। सूबे की राजनीति मोटे तौर से स्थानीय और क्षेत्रीय मुद्दों के अधीन रही है, जिनमें वोक्कालिगा और लिंगायतों का जातिगत समीकरण, लोकरंजक योजनाएं और ऐतिहासिक तालमेल जैसे कारक प्रभावी रहे हैं। इस राज्य में कभी भी विधानसभा और लोकसभा चुनाव में मतदान का सलीका एक नहीं रहा । इसीलिए 4 जून को आने वाले नतीजे न सिर्फ मौजूदा सरकार के प्रदर्शन पर टिप्पणी होंगे बल्कि जेडीएस के वजूद और भाजपा की किस्मत को भी तय करेंगे।
जातिगत कारक
सूबे में किसी भी दल के चुनावी प्रदर्शन में लिंगायतों और वोक्कालिगा समुदायों का समर्थन अहम स्थान रखता रहा है। वोक्कालिगा परंपरागत रूप से खेतिहर समुदाय है और मोटे तौर से दक्षिण कर्नाटक में बसता है, वहीं लिंगायत उत्तरी कर्नाटक में पाए जाते हैं। पिछले आम चुनाव में भाजपा ने दोनों इलाकों में अच्छा प्रदर्शन किया था, हालांकि 2023 के विधानसभा चुनाव में कहानी ने नया मोड़ ले लिया जब वोक्कालिगा, लिंगायत और अहिन्दा (अल्पसंख्यक, पिछड़ा और दलित के सम्मिलित समूह के लिए कन्नड़ का शब्द) एक साथ कांग्रेस के पीछे हो लिए जिसकी कीमत भाजपा की तत्कालीन राज्य सरकार को चुकानी पड़ी। इसके अलावा, लिंगायतों को एक छतरी के नीचे बनाए रखने में अहम भूमिका निभाने वाले कर्नाटक भाजपा के कद्दावर नेता बीएस येदियुरप्पा को पद से हटाया जाना और पूर्व मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टार को टिकट न मिलना भी भाजपा की हार के पीछे का कारण रहा। उसके बाद से शेट्टार पार्टी में लौटकर आ चुके हैं।
هذه القصة مأخوذة من طبعة May 13, 2024 من Outlook Hindi.
ابدأ النسخة التجريبية المجانية من Magzter GOLD لمدة 7 أيام للوصول إلى آلاف القصص المتميزة المنسقة وأكثر من 9,000 مجلة وصحيفة.
بالفعل مشترك ? تسجيل الدخول
هذه القصة مأخوذة من طبعة May 13, 2024 من Outlook Hindi.
ابدأ النسخة التجريبية المجانية من Magzter GOLD لمدة 7 أيام للوصول إلى آلاف القصص المتميزة المنسقة وأكثر من 9,000 مجلة وصحيفة.
بالفعل مشترك? تسجيل الدخول
'वाह उस्ताद' बोलिए!
पहला ग्रैमी पुरस्कार उन्हें विश्व प्रसिद्ध संगीतकार मिकी हार्ट के साथ काम करके संगीत अलबम के लिए मिला था। उसके बाद उन्होंने कुल चार ग्रैमी जीते
सिने प्रेमियों का महाकुंभ
विविध संस्कृतियों पर आधारित फिल्मों की शैली और फिल्म निर्माण का सबसे बड़ा उत्सव
विश्व चैंपियन गुकेश
18वें साल में काले-सफेद चौखानों का बादशाह बन जाने वाला युवा
सिनेमा, समाज और राजनीति का बाइस्कोप
भारतीय और विश्व सिनेमा पर विद्यार्थी चटर्जी के किए लेखन का तीन खंडों में छपना गंभीर सिने प्रेमियों के लिए एक संग्रहणीय सौगात
रफी-किशोर का सुरीला दोस्ताना
एक की आवाज में मिठास भरी गहराई थी, तो दूसरे की आवाज में खिलंदड़ापन, पर दोनों की तुलना बेमानी
हरफनमौला गायक, नेकदिल इंसान
मोहम्मद रफी का गायन और जीवन समर्पण, प्यार और अनुशासन की एक अभूतपूर्व कहानी
तुम मुझे यूं भुला ना पाओगे
रफी जैसा बनने में केवल हुनर काम नहीं आता, मेहनत, समर्पण और शख्सियत भी
'इंसानी भावनाओं को पर्दे पर उतारने में बेजोड़ थे राज साहब'
लव स्टोरी (1981), बेताब (1983), अर्जुन (1985), डकैत (1987), अंजाम (1994), और अर्जुन पंडित (1999) जैसी हिट फिल्मों के निर्देशन के लिए चर्चित राहुल रवैल दो बार सर्वश्रेष्ठ निर्देशक के लिए फिल्मफेयर पुरस्कार के लिए नामांकित हो चुके हैं।
आधी हकीकत, आधा फसाना
राज कपूर की निजी और सार्वजनिक अभिव्यक्ति का एक होना और नेहरूवादी दौर की सिनेमाई छवियां
संभल की चीखती चुप्पियां
संभल में मस्जिद के नीचे मंदिर होने का दावा करने वाली याचिका के बाद हुई सांप्रदायिकता में एक और कड़ी