![ऐसे दें दीवाली की शुभकामनाएं ऐसे दें दीवाली की शुभकामनाएं](https://cdn.magzter.com/1338812051/1666421161/articles/ZwPrPwc2v1666768443353/1666768675297.jpg)
सोशल मीडिया ने लोगों को न केवल निकम्मा बल्कि अव्वल दर्जे का चालाक भी बना दिया है. यह बात जिन खास मौकों पर उजागर होती है, दीवाली का त्योहर उन में से एक है. सब से बड़े इस सामाजिक त्योहार पर मिलनामिलाना स्मार्टफोन की स्क्रीन तक सिमट कर रह जाना बताता है कि हम कितने इंट्रोवर्ट और खुदगर्ज भी हो गए हैं। और फिर खुद ही रोना, वह भी सोशल मीडिया पर कुछ ऐसी पोस्टों के जरिए, रोते हैं कि फेसबुक पर उस के 3 हजार फ्रैंड थे लेकिन जब ऐक्सिडेंट में घायल हो कर अस्पताल में भरती हुआ तो देखने या मिजाजपुर्सी के लिए 3 लोग भी न आए.
जाहिर है कि हम एक आभासी और बनावटी दुनिया में जीने के आदी हो गए हैं. त्योहारों के माने यही थे कि हम वास्तविक समाज में जिएं. सुखदुख में साथ देने वालों के सुखदुख में शामिल हों पर अब हम न दुख में किसी के साथ हैं और न सुख में इस बात की हकीकत यह भी है कि सुखदुख में हमारे साथ भी कोई नहीं है. यह एक बड़ी नुकसानदेह बात भावनाओं और समाज के लिहाज से है जिस का अंदाजा मिलनेजुलने के मौकों पर होता है जिसे हम स्क्रीन से ढकने की नाकाम कोशिश में खुद को और औरों को धोखा देने में माहिर होते जा रहे हैं.
एक दौर था जब दीवाली की शुभकामनाएं लोग घरघर जा कर देते थे, मिठाई खातेखिलाते थे, नाश्ता करते थे, छोटेबड़ों का आशीर्वाद लेते थे और बराबरी वाले आपस में गले मिल कर शुभकामनाओं का आदानप्रदान करते थे और ये वाकई हार्दिक होती थीं, कोई मिलावट उन में नहीं होती थी.
यह ठीक है कि वक्त गुजरते लोग व्यस्त होते गए. बढ़ते शहरीकरण और एकल होते परिवारों ने दूरियां पैदा कीं पर उन की भरपाई ग्रीटिंग कार्ड्स की आत्मीयता से होने लगी लेकिन तब भी रूबरू मिलने का रिवाज पूरी तरह खत्म नहीं हुआ था. लोग अपने शहर के अपने वालों से मिलना ही दीवाली की सार्थकता समझते थे. अब आज के डिजिटल दौर ने आत्मीयता, भाईचारा, संवेदनाएं, भावनाएं और शुभकामनाएं जैसे निगल ली हैं.
هذه القصة مأخوذة من طبعة October Second 2022 من Sarita.
ابدأ النسخة التجريبية المجانية من Magzter GOLD لمدة 7 أيام للوصول إلى آلاف القصص المتميزة المنسقة وأكثر من 9,000 مجلة وصحيفة.
بالفعل مشترك ? تسجيل الدخول
هذه القصة مأخوذة من طبعة October Second 2022 من Sarita.
ابدأ النسخة التجريبية المجانية من Magzter GOLD لمدة 7 أيام للوصول إلى آلاف القصص المتميزة المنسقة وأكثر من 9,000 مجلة وصحيفة.
بالفعل مشترك? تسجيل الدخول
![मौन का मूलमंत्र जिंदगी को बनाए आसान मौन का मूलमंत्र जिंदगी को बनाए आसान](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/871/1990019/LowUfbRDd1739346630309/1739346915320.jpg)
मौन का मूलमंत्र जिंदगी को बनाए आसान
हम बचपन में बोलना तो सीख लेते हैं मगर क्या बोलना है और कितना बोलना है, यह सीखने के लिए पूरी उम्र भी कम पड़ जाती है. मौन रहना आज के दौर में ध्यान केंद्रित करने की तरह ही है.
![सरकार थोप रही मोबाइल सरकार थोप रही मोबाइल](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/871/1990019/PC285IuYk1739280195789/1739280474981.jpg)
सरकार थोप रही मोबाइल
सरकार द्वारा कई स्कीमों को चलाया जा रहा है. बिना एडवांस मोबाइल फोन और इंटरनैट सेवा की इन स्कीमों का फायदा उठाना असंभव है. ऐसा अनावश्यक जोर क्या सही है?
![सास बदली लेकिन नजरिया नहीं सास बदली लेकिन नजरिया नहीं](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/871/1990019/pg03lBb3y1739281192590/1739281417705.jpg)
सास बदली लेकिन नजरिया नहीं
सास और और बहू को एकदूसरे की भूमिका को स्वीकार करना चाहिए. सास पुरानी परंपराओं का पालन करते हुए बहू को सिखा सकती है और बहू नई सोच व नए दृष्टिकोण से घर को बेहतर बना सकती है.
![अमेरिका में भी पनप रहा ब्राह्मण व बनिया गठजोड़ अमेरिका में भी पनप रहा ब्राह्मण व बनिया गठजोड़](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/871/1990019/s4o9Sj54G1739278764498/1739279348669.jpg)
अमेरिका में भी पनप रहा ब्राह्मण व बनिया गठजोड़
डोनाल्ड ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह के साथ ही अमेरिका में एक नए दौर की शुरुआत हो चुकी है जिसे ले कर हर कोई आशंकित है कि अब लोकतंत्र को हाशिए पर रख धार्मिक एजेंडे पर अमल होगा.
![किस संतान को मिले संपत्ति पर ज्यादा हक किस संतान को मिले संपत्ति पर ज्यादा हक](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/871/1990019/9JDheV0BY1739279671565/1739280166756.jpg)
किस संतान को मिले संपत्ति पर ज्यादा हक
यह वह दौर हैं जब पेरैंट्स की सेवा न करने वाली संतानों की अदालतें तक खिंचाई कर रही हैं लेकिन मांबाप की दिल से सेवा करने वाली संतान के लिए जायदाद में ज्यादा हिस्सा देने पर वे भी अचकचा जाती हैं क्योंकि कानून में ऐसा कोई प्रावधान ही नहीं है. क्या यह ज्यादती नहीं?
![युवाओं के सपनों के घर पर डाका युवाओं के सपनों के घर पर डाका](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/871/1990019/SzT5OWXW71739279379347/1739279671358.jpg)
युवाओं के सपनों के घर पर डाका
नौकरीपेशा होम लोन ले कर अपने सपनों का आशियाना खरीद लेते हैं. लेकिन यहां समस्या तब आती है जब किसी यूइत में वे लोन नहीं चुका पाते. ऐसे में कई बार उन्हें अपने घर से हाथ धोना पड़ता है.
![मेलजोल के अवसर बुफे पार्टी मेलजोल के अवसर बुफे पार्टी](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/871/1990019/kAkDNoyBV1739280807508/1739281176766.jpg)
मेलजोल के अवसर बुफे पार्टी
बूफे पार्टी में मेहमान भोजन और अच्छे समय का आनंद लेने के साथसाथ सोशल गैदरिंग के चलन को भी जीवित रखते हैं. यह अवसर न केवल खानपान के लिए होता है बल्कि यह लोगों के बीच बातचीत, हंसीमजाक और आपसी विचारों के आदानप्रदान का एक साधन भी है.
![अल्लू अर्जुन को जेल भगवान दोषमुक्त अल्लू अर्जुन को जेल भगवान दोषमुक्त](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/871/1990019/RkxmXuMNk1739280478617/1739280798357.jpg)
अल्लू अर्जुन को जेल भगवान दोषमुक्त
एक तरह के हादसे पर कानून दो तरह से कैसे काम कर सकता है? क्या यह न्याय और संविधान दोनों का अपमान नहीं ?
![ऊंचे ओहदे वालों में अकड़ क्यों ऊंचे ओहदे वालों में अकड़ क्यों](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/871/1971251/jsAA7PQtH1737712505485/1737712993859.jpg)
ऊंचे ओहदे वालों में अकड़ क्यों
कुछ लोगों में अपने रुतबे को ले कर अहंकार होता है. उन्हें लगता है कि उन का ओहदा, उन का पद बैस्ट है. वे सुपीरियर हैं. यह सोच अहंकार और ईगो लाती है जो इंसान के व्यवहार में अड़चन डालती है.
![बंटोगे तो कटोगे वाला नारा प्रधान राष्ट्र बंटोगे तो कटोगे वाला नारा प्रधान राष्ट्र](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/871/1971251/igzsVRgNl1737713300356/1737713410810.jpg)
बंटोगे तो कटोगे वाला नारा प्रधान राष्ट्र
देश नारा प्रधान है. काम भले कुछ न हो रहा हो पर पार्टियां और सरकारों द्वारा उछाले नारों की खुमारी जनता पर खूब छाई रहती है.