CATEGORIES
فئات
أخبار

राजनयिक के साहस को दिखाती फिल्म
काफी अरसे से बौलीवुड में अच्छी कहानियों का अभाव सा चल रहा है, इसलिए या तो इतिहास की घटनाओं पर या बायोपिक्स और सच्ची घटनाओं पर फिल्में बनने लगी हैं.

राजेश खन्ना आज के अभिनेताओं से अलग संदेश देने वाला सुपरस्टार
बाबू मोशाय समाज नफरत से नहीं मोहब्बत से बनता है

धन के मोह में फर्ज से दूर हो रहा चिकित्सा जगत
आज कुकुरमुत्तों की तरह जगहजगह उग रहे निजी अस्पताल पैसा बनाने की फैक्टरी बन गए हैं, जो छोटी सी बीमारी में भी तमाम तरह के टैस्ट करवाते हैं और वह भी अपने कहे हुए पैथलैब्स से.

कलाकारों का सारा ध्यान अभिनय के बजाय प्रौपर्टी खरीदने बेचने पर
पहले कलाकार अभिनय को सिर्फ कला से जोड़ कर देखते थे इसलिए उन्हें प्रोपर्टी जोड़ने या अत्यधिक पैसों का लोभ नहीं था। बदलते समय की फिल्मों में कॉर्पोरेट के दखल और कलाकारों की पैसा कूटने की भूख ने कला को दोयम बना दिया।

भारत में बढ़ती कंगाली
क्या सचमुच में आर्थिक असमानता बहुत ज्यादा बढ़ रही है और गरीबी भी इतनी बढ़ रही है कि लोग खर्च करने लायक पैसा भी नहीं कमा पा रहे?

औरंगजेब की कब्र पर राजनीतिक मातम
आजकल ट्रैंड चल पड़ा है कि जिस को भी बड़ा नेता बनना होता है वह हिंदू भावनाओं को भड़काने वाला कोई विवादित बयान दे देता है.

बिहार में क्या गुल खिलाएगी कांग्रेस
बिहार के चुनाव पर देशभर की नजर लगी है. कांग्रेस लालू प्रसाद के साथ तालमेल करेगी या फिर उन के साथ केजरीवाल जैसा व्यवहार करेगी?

सिलबट्टा नहीं सिलबट्टी मानसिकता की शिकार महिलाएं
महिलाएं थकान की शिकार हो रही हैं, बीमारियों से घिर रही हैं लेकिन उफ भी नहीं कर रहीं, समानता की मांग नहीं कर रहीं. वे यह भी नहीं पूछ पा रहीं कि उन के कमाए पैसों पर उन का पूरा हक क्यों नहीं.

पूर्वजन्म के कर्म सच या अंधविश्वास
जो विश्वास तर्क पर आधारित नहीं, वह रेत पर बने घर के समान है, जो समय की कसौटी पर टिक नहीं सकता.

शादी या बच्चे खुशी का पैमाना नहीं
अब तुम्हारी उम्र हो गई है शादी की, उम्र निकल गई तो अच्छी लड़की या लड़का नहीं मिलेगा, एडजस्ट करना पड़ेगा, चौइस नहीं बचेगी आदिआदि. सिर्फ पेरैंट्स ही नहीं, सोसाइटी के लोग भी ये डायलौग्स बोलबोल कर शादी का प्रैशर बनाना शुरू कर देते हैं. क्या सच में शादी के बिना जीवन व्यर्थ है?

तीये की रस्म
सब मोहमाया है लेकिन मायारामजी ने माया जिंदगीभर छोड़ी ही नहीं. लेकिन मोक्षधाम में एंट्री से वंचित न रह जाएं, इस का इंतजाम जीतेजी जरूर करवा लिया था.

बच्चों के इंस्टा अकाउंट पर रहेगी नजर
मेटा ने भारत में इंस्टाग्राम किशोर अकाउंट नीतियों में बदलाव की घोषणा की है. नए नियमों के तहत बच्चों और किशोरों के लिए सुरक्षा उपाय बढ़ाए जाएंगे.

तार्किक लोगों के श्मशान घाट
कहने वाले गलत नहीं कहते कि मौत का खौफ आदमी को चैन और सुकून से जीने भी नहीं देता. कैसेकैसे होते हैं ये डर और कौन इन्हें फैलाता है, यह जानते समझते हुए भी लोग खामोश रहते हैं.

क्या छोटे दलों को लील जाएगी भाजपा
बड़ी मछली मछली मछली को खा जाती है..छोटी राजनीति में भी बड़े दल पहले छोटे दलों को लोलीपोप देते हैं, फिर उन को खत्म कर देते हैं. भाजपा अब बड़ी मछली बन कर छोटे दलों को खा रही है.

फ्लैट कल्चर और आप की प्राइवेसी
बढ़ती जनसंख्या ने जगह तंग कर दी है. अब लोग आगेपीछे, दाएंबाएं फैलने की जगह ऊपर की तरफ बढ़ रहे हैं. कहने का अर्थ यह कि अब रहने के लिए घर नहीं बल्कि फ्लैट अधिक बन रहे हैं. ऊंचीऊंची बिल्डिंगों में कबूतरखाने हैं, जहां प्राइवेसी का नामोनिशान नहीं.

मुसलिम लड़कों की शादी में अड़चन क्यों
20 साल पहले तक मुसलिम समाज में आपसी शादियों का प्रचलन जोरों पर था. गरीब हो या अमीर, मुसलमानों के बीच खून के रिश्तों में निकाह हो जाना आम बात थी. मगर अब यह चलन कम होता जा रहा है और मुसलिम शादियों में भी कई तरह की अड़चनें आने लगी हैं.

नींद की गोलियां इतनी भी नुकसानदेह नहीं
आजकल हर कोई नींद न आने की समस्या से ग्रस्त और त्रस्त है जिस की अपनी अलग अलग वजहें भी हैं. लेकिन नींद की गोली से सभी बचने की हर मुमकिन कोशिश करते हैं. इस के पीछे पूर्वाग्रह ही हैं नहीं तो नींद की गोली उतनी बुरी भी नहीं.

रोने को हथियार न बनाएं
कुछ लोगों के लिए रोना अपने इमोशन, दुख को एक्सप्रैस करने का एक जरिया होता है तो कुछ लोग जानबूझ कर रोते हैं ताकि सामने वाला उन्हें गंभीरता से सुने और उन की इच्छा पूरी हो.

पति भी पत्नी के खिलाफ कर सकता है शिकायत
जिस तरह ससुराल से प्रताड़ित महिला को कानूनों से हक मिले हुए हैं वैसे ही पुरुष को भी मिले हैं. पति भी पत्नी की प्रताड़ना की शिकायत करा सकते हैं.

अमेरिका का सनकी प्रैसिडेंट दुनिया के लिए खतरा
नसीम अंसारी कोचर

धर्म पर बनी 5 बौलीवुड फिल्में
फिल्ममेकर्स कुछ नया और बड़ा करने के लिए धार्मिक फिल्मों का सहारा लेते हैं. ये दर्शकों के बीच खूब पसंद भी की जाती हैं. बौलीवुड में ऐसी कुछ फिल्में हैं जो काफी विवादों में रहने के बावजूद छप्परफाड़ कमाई कर चुकी हैं.

क्या विचहंट का शिकार हो रहे रणवीर और समय रैना
इंटरनैट के जमाने में कंटेंट का क्या कोई देश है? क्या आप सोशल मीडिया से पारिवारिकता की उम्मीद लगा कर बैठे हैं? सोशल मीडिया पहले ही गटर बन चुका है. सब के पास चॉइस है अपनी पसंद का कंटेंट देखने की और न देखने की. फिर रणवीर और समय रैना से कैसी उम्मीद ?

झूठा दंभ
नौकरी को हलके में लेने वाले सुकेश के साथ एक दिन कुछ ऐसा घटित हुआ कि उस के पास सिवा पछताने के और कुछ नहीं बचा था.

बौडी आप की हक आप का
एकदूसरे के लिए प्रेम दर्शाना गलत नहीं है, लेकिन पब्लिक प्लेस में कई लोग अश्लीलता की हद पार कर देते हैं, जिस से आसपास के लोग अनकंफर्टेबल हो जाते हैं. ऐसे में लड़कियों को खास ध्यान रखना चाहिए, क्योंकि पब्लिक प्लेस में ऐसी हरकतों के वीडियोज सैकंड्स में वायरल हो सकते हैं या वीडियोज बना कर उन लोगों को ब्लैकमेल किया जा सकता है.

उर्दू से नफरत क्यों
किसी भाषा को पैदा होने, बढ़ने और समृद्ध होने में सदियों का समय लगता है. और किसी भाषा को मिटा कर कोई समाज या कोई देश कभी समृद्ध नहीं हुआ. भाषा को औजार बना कर दो संप्रदायों के बीच नफरत पैदा करने वालों को कोई बताए कि कठमुल्लापन उर्दू की देन नहीं, बल्कि सरकार की घटिया शिक्षा नीतियों की देन है, जो देश के बच्चों को एकसमान बेसिक शिक्षा तक उपलब्ध कराने में नाकाम है.

वोटोक्रेसी नहीं डैमोक्रेसी चाहिए
लोकतंत्र वोट देने और लेने तक सीमित रह गया है. जनता, जिसे कभी सत्ता का मुख्य बिंदु माना जाता था, अब सिर्फ एक दिन भूमिका निभाती है. वोटोक्रेसी व डैमोक्रेसी का फर्क धुंधलाता जा रहा है. आइए समझते हैं कि कैसे लोकतंत्र का रूप बदलते वक्त के साथ अपने माने खो रहा है. दि

प्रकृति की मौत और भगवा होता ओडिशा
है तो यह सीधीसादी कौम्पलैक्स लवस्टोरी और उस के बाद प्रेमी द्वारा प्रेमिका को ब्लैकमेल व प्रताड़ित करने की एक दुखद दास्तां जिस पर अब भगवा इबारत लिखी जा रही है.

सोसाइटीज में पैर पसारते मंदिर
आजकल हर सोसाइटी में मंदिर होना आम बात हो चली है. इस की आड़ में सोसाइटी में रहने वालों से मनमाना चंदा और भांतिभांति के कार्यक्रमों के नाम पर पैसे ऐंठे जा रहे हैं. लाउडस्पीकर का शोर और फुजूल का हल्लागुल्ला तो अलग बात है.

भाभी, न मत कहना
सुवित को अपने सामने देख समीरा के होश उड़ गए. अपने दिल को संभालना मुश्किल हो रहा था उस के लिए. वक्त कैसा खेल खेल रहा था उस के साथ?

शादी से पहले जब न रहे मंगेतर
शादी से पहले यदि किसी लड़की या लड़के की अचानक मृत्यु हो जाए तो परिवार वालों से अधिक ट्रौमा उस के पार्टनर को झेलना पड़ता है, उसे गहरा आघात लगता है. ऐसे में कैसे डील करें.