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सुनें दिल की धड़कन
सांस लेने में मुश्किल, छाती में दर्द या बेचैनी महसूस हो, तो फौरन कार्डियोलोजिस्ट से हृदय की जांच करानी चाहिए क्योंकि शुरुआती लक्षणों को नजरअंदाज करने से स्थिति गंभीर हो सकती है.
जब ससुर लेता हो बहू का पक्ष
जिन मातापिता के पास सिर्फ बेटे ही होते हैं वे घर में बहू के आने के बाद बहुत खुश होते हैं. बहू में वे बेटी की कमी को पूरा करना चाहते हैं. ऐसे में ससुर के साथ बहू के रिश्ते बहुत अच्छे हो जाते हैं क्योंकि लड़कियां बाप की ज्यादा लाड़ली होती हैं.
डिंक कपल्स जीवन के अंतिम पड़ाव में अकेलेपन की खाई
आजकल शादीशुदा युवाओं की लाइफस्टाइल में डिंक कपल्स का चलन बढ़ गया है. इस में दोनों कमा कर आज में जीते हैं पर बच्चे, परिवार और बिना जिम्मेदारियों के साथ. यह चलन खतरनाक भी हो सकता है.
प्रसाद पर फसाद
प्रसाद में मांसमछली वगैरह की मिलावट की अफवाह के के बाद भी तिरुपति के मंदिर में भक्त लड्डू धड़ल्ले से चढ़ा रहे हैं. इस से जाहिर होता है कि यह आस्था का नहीं बल्कि धार्मिक और राजनीतिक दुकानदारी का मसला है.
आरक्षण के अंदर आरक्षण कितना भयावह?
सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण में वर्गीकरण को मंजूरी दे दी है, जिस के तहत सरकारों को अब एससी और एसटी आरक्षण के भीतर भी आरक्षण देने की छूट होगी. इस फैसले ने आरक्षण की राजनीति में एक नया मोड़ ला दिया है. इस से जाति आधारित आरक्षण की मांग और भी जटिल हो जाएगी, जिस से देश में नई राजनीतिक बहस शुरू हो सकती है.
1947 के बाद कानूनों से बदलाव की हवा
इंदिरा गांधी के बाद राजीव गांधी के नेतृत्व वाली केंद्रीय सरकार के कार्यकाल के दौरान बनाए गए कानूनों में 2-3 ने ही सामाजिक परिदृश्य को बदला. राजीव गांधी को सामाजिक मामलों की ज्यादा चिंता नहीं थी, यह साफ है.
सांपसीढ़ी की तरह है धर्म और धर्मनिरपेक्षता की जंग
हरियाणा और जम्मूकश्मीर विधानसभा चुनावों के नतीजे बताते हैं कि धर्म और धर्मनिरपेक्षता के बीच जंग आसान नहीं है. दोनों के बीच सांपसीढ़ी का खेल चलता रहता है.
क्यों फीकी हो रही फिल्मी और आम लोगों की दीवाली
फिल्मों की दीवाली अब पहले जैसी नहीं रही. दीवाली का त्योहार अब बड़े बजट की फिल्मों के लिए कलैक्शन का दिन भी नहीं रहा. इस मौके पर फिल्में आती तो हैं लेकिन बुरी तरह पिट जाती हैं. फिल्मी हस्तियों व आम लोगों के लिए दीवाली फीकी होती जा रही है.
इस दीवाली खुद चमकाएं अपना घर
दीवाली पर घर की सफाई हर साल की तरह एक बड़ी चुनौती बन जाती है लेकिन इस बार क्यों न इसे एक खास अवसर में बदलें, क्यों न घर को पूरी फैमिली के साथ मिल कर चमकाएं, इस से न केवल सफाई जल्दी होगी बल्कि परिवार के साथ बिताए पलों की खुशियां भी दोगुनी हो जाएंगी.
दिखावा कल्चर ने त्योहारों की असली खुशियां छीन लीं
पहले दीवाली पर घर में बनी मिठाइयां और पकवान जब दूसरों के घरों में जाते थे और उन पर तारीफें आती थीं तो मम्मी के चेहरे पर जो खुशी व रौनक होती थी, उस के आगे दीयों की रोशनी भी फीकी लगती थी, पर अब सबकुछ रेडीमेड है.
पूजापाठ से नहीं धनधान्य मेहनत से मिलता है
पैसा मेहनत की फसल है, जिसे भाग्यवादियों ने पूजाघरों में खो दिया है. आज के तकनीकी युग में भी लोग किस्मत और भगवान भरोसे बैठे रहते हैं. पूजापाठ और कर्मकांड से अमीर बनने की उम्मीद उन्हें आलसी और नकारा ही बना रही है जबकि दौलत आरती की थालियों और घंटियों की गूंज से नहीं आती.
पुराणों में भी है बैड न्यूज
हाल ही में फिल्म 'बैड न्यूज' प्रदर्शित हुई, जो मैडिकल कंडीशन हेटरोपैटरनल सुपरफेकंडेशन पर आधारित थी. इस में एक महिला के एक से अधिक से शारीरिक संबंध दिखाने को हिंदू संस्कृति पर हमला कहते कुछ भगवाधारियों ने फिल्म का विरोध किया पर इस तरह के मामले पौराणिक ग्रंथों में कूटकूट कर भरे हुए हैं.
काम के साथ सेहत भी
काम करने के दौरान लोग अकसर अपनी सेहत का ध्यान नहीं रखते, जिस से हैल्थ इश्यूज पैदा हो जाते हैं. जानिए एक्सपर्ट से क्यों है यह खतरनाक?
प्यार का बंधन टूटने से बचाना सीखें
आप ही सोचिए क्या पेरेंट्स बच्चों से न बनने पर उन से रिश्ता तोड़ लेते हैं? नहीं न? बच्चों से वे अपना रिश्ता कायम रखते हैं न, तो फिर वे अपने वैवाहिक रिश्ते को बचाने की कोशिश क्यों नहीं करते? बच्चे मातापिता को डाइवोर्स नहीं दे सकते तो पतिपत्नी एकदूसरे के साथ कैसे नहीं निभा सकते, यह सोचने की जरूरत है.
तलाक अदालती फैसले एहसान क्यों हक क्यों नहीं
शादी कर के पछताने वाले हजारोंलाखों लोग मिल जाएंगे, लेकिन तलाक ले कर पछताने वाले न के बराबर मिलेंगे क्योंकि यह एक घुटन भरी व नारकीय जिंदगी से आजादी देता है. लेकिन जब सालोंसाल तलाक के लिए अदालत के चक्कर काटने पड़ें तो दूसरी शादी कर लेने में हिचक क्यों?
शिल्पशास्त्र या ज्योतिषशास्त्र?
शिल्पशास्त्र में किसी इमारत की उम्र जानने की ऐसी मनगढ़ंत और गलत व्याख्या की गई है कि पढ़ कर कोई भी अपना सिर पीट ले.
रेप - राजनीति ज्यादा पीडिता की चिंता कम
देश में रेप के मामले बढ़ रहे हैं. सजा तक कम ही मामले पहुंचते हैं. इन में राजनीति ज्यादा होती है. पीड़िता के साथ कोई नहीं होता.
सिध सिरी जोग लिखी कोई लौटा दे मेरे बीते हुए दिन
धीरेधीरे मैं भी मौजूदा एडवांस दुनिया का हिस्सा बन गई और उस पुरानी दुनिया से इतनी दूर पहुंच गई कि प्रांशु को लिखवाते समय कितने ही वाक्य बारबार लिखनेमिटाने पड़े पर फिर भी वैसा...
चुनाव परिणाम के बाद इंडिया ब्लौक
16 मई, 2024 को चुनावप्रचार के दौरान नरेंद्र मोदी ने उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ में दहाड़ने की कोशिश करते हुए कहा था कि 4 जून को इंडी गठबंधन टूट कर बिखर जाएगा और विपक्ष बलि का बकरा खोजेगा, चुनाव के बाद ये लोग गरमी की छुट्टियों पर विदेश चले जाएंगे, यहां सिर्फ हम और देशवासी रह जाएंगे. लेकिन 4 जून के बाद कुछ और हो रहा है.
वक्फ की जमीन पर सरकार की नजर
भाजपा की आंखें वक्फ की संपत्तियों पर गड़ी हैं. इस मामले को उछाल कर जहां वह एक तरफ हिंदू वोटरों को यह दिखाने की कोशिश करेगी कि देखो मुसलमानों के पास देश की कितनी जमीन है, वहीं वक्फ बोर्ड में घुसपैठ कर के वह उसे अपने नियंत्रण में लेने की फिराक में है.
1947 के बाद कानूनों से रेंगतीं सामाजिक बदलाव की हवाएं
15 अगस्त, 1947 को भारत को जो आजादी मिली वह सिर्फ गोरे अंगरेजों के शासन से थी. असल में आम लोगों, खासतौर पर दलितों व ऊंची जातियों की औरतों, को जो स्वतंत्रता मिली जिस के कारण सैकड़ों समाज सुधार हुए वह उस संविधान और उस के अंतर्गत 70 वर्षों में बने कानूनों से मिली जिन का जिक्र कम होता है जबकि वे हमारे जीवन का अभिन्न अंग हैं. नरेंद्र मोदी की भारतीय जनता पार्टी का सपना इस आजादी का नहीं, बल्कि देश को पौराणिक हिंदू राष्ट्र बनाने का रहा है. लेखों की श्रृंखला में स्पष्ट किया जाएगा कि कैसे इन कानूनों ने कट्टर समाज पर प्रहार किया हालांकि ये समाज सुधार अब धीमे हो गए हैं या कहिए कि रुक से गए हैं.
फिल्म कलाकारों के नकली फैंस युवा पीढ़ी का नया पेशा
बौलीवुड में पीआर और मार्केटिंग एजेंसी के माध्यम से स्टार्स बनाए जा रहे हैं. नकली फैंस पैदा किए जाते हैं और फिल्मों को हिट करवाया जाता है. झूठ पर टिका यह स्टारडम आखिर कब तक चलेगा?
अपने लिवर की परेशानी को हलके में न लें
लिवर की बीमारी यानी हेपेटाइटिस का इन्फैक्शन पूरी दुनिया में एक बड़ी चुनौती के तौर पर उभर रहा है. इस से होने वाली मौतों की संख्या बड़ी तेजी से बढ़ रही है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुमान के मुताबिक हर साल इस बीमारी से 13 लाख लोगों की मौत हो रही है.
सफलता के बाद धोखा मगर क्यों
हालफिलहाल ऐसे मामले सामने आए हैं जहां सफल होने के बाद पत्नी ने पति को सिर्फ इसलिए छोड़ दिया क्योंकि वह उस के स्टेटस से मेल नहीं खाता था. मगर सवाल यह कि सफलता के बाद धोखा क्यों?
धारा 125 के तहत भत्ता पाने का हक किसे
धारा 125 सिर्फ तलाक लेने वाली महिलाओं के लिए ही गुजारे भत्ते का इंतजाम नहीं करती, बल्कि यह निराश्रित मातापिता, जायजनाजायज या अनाथ बच्चों, छोटे भाईबहनों या बहुओं के लिए भी सम्मान से जीवन जीने लायक पूंजी दिलवाने का प्रावधान करती है. नए कानून भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) में यह प्रावधान धारा 144 में किया गया है.
तिथियों के तुक्के
जब शिल्पशास्त्र के नियमों के अनुसार तिथि और वार चुन कर घर बनाना शुरू किया जाता है तो यह सवाल उठता है कि क्या वाकई इन में कोई सचाई है या यह मात्र अंधविश्वास है?
अंगदान करने में औरतें आगे
उत्तर प्रदेश के राज्य अंग एवं ऊतक प्रत्यारोपण संगठन की सर्वे रिपोर्ट कहती है कि पुरुष मरीजों को लिवर और किडनी दान करने वाली 87 फीसदी महिलाएं होती हैं. वहीं जब कोई स्त्री लिवर या किडनी रोग से प्रभावित हो और उस को अंगदान की आवश्यकता हो तो केवल 13 फीसदी परिवार के पुरुष ही आगे आते हैं.
दुर्घटना का कारण बनती हैं पुरुषों के दिखावे में काम आने वाली महंगी कारें
महंगी कारें पुरुषों के दिखावे के काम आती हैं. जैसे पार्टियों में औरतें हीरे का हार चमकाती हैं उसी तरह आदमी महंगी कार का दिखावा करते हैं. महंगी कार शराब, सड़क दुर्घटना को आमंत्रित करती है.
सूरज पाल और कुमार विश्वास क्यों बदल रहे हैं धर्म के माने
धर्म के बाजार और कारोबार में इन दिनों भारी तबदीलियां देखने को मिल रही हैं. नएनए बाबा नएनए गेटअप में आ रहे हैं जो लुभावनी कहानियां व प्रसंग सुना कर भक्तों का जी बहला रहे हैं लेकिन साथ ही उन की जेबें भी खाली कर रहे हैं. इन की ग्राहकी अलगअलग है.
जाति के चक्रव्यूह में अपर कास्ट वूमन
समाज में एक बड़ा हिस्सा अपर कास्ट वूमन का है, जो आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर होते हुए भी हाशिए पर है और उस की चर्चा कहीं नहीं हो रही है.