![पहाड़ियों और माउंटेनियर के लंग्स क्यों होते हैं मजबूत पहाड़ियों और माउंटेनियर के लंग्स क्यों होते हैं मजबूत](https://cdn.magzter.com/1338812051/1701155454/articles/OxOsxm7A_1701238270658/1701238425827.jpg)
ऐसा देखा गया है कि मैदानी इलाकों में रहने वालों से हिमालय की वादियों में रहने वाले शेरपाओं के लंग्स ज्यादा मजबूत होते हैं. इन्हें एथलीट जीन के लिए जाना जाता है. ये अधिकतर नेपाल और तिब्बत के इलाकों में रहते हैं, पहाड़ों में ही ये बसते हैं. ये बहुत ऊंची जगहों पर जहां औक्सीजन की कमी होती है, वहां भी पहुंच जाते हैं.
एक अध्ययन में यह पाया गया है कि शेरपाओं के लंग्स की मजबूती नीचे रहने वालों से 30 प्रतिशत अधिक होती है. इस की वजह एक स्क्वायर सैंटीमीटर्स मसल्स में कोशिकाओं की अधिक संख्या का होना है. इस से उन के चैस्ट भी चौड़े होते हैं, जिस से लंग्स की कैपेसिटी और सरफेस एरिया बढ़ जाता है. इस के अलावा वे लंग्स से नियमित काम लेते हैं, जिस से इन की क्षमता बढ़ती जाती है. साथ ही, पहाड़ियों पर रहने वालों में हीमोग्लोबिन की मात्रा अधिक होती है, जिस से वे अधिक मात्रा में औक्सीजन ले सकते हैं. सो, उन के लंग्स मजबूत हो जाते हैं.
मजबूत जैनेटिक जींस
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मौन का मूलमंत्र जिंदगी को बनाए आसान
हम बचपन में बोलना तो सीख लेते हैं मगर क्या बोलना है और कितना बोलना है, यह सीखने के लिए पूरी उम्र भी कम पड़ जाती है. मौन रहना आज के दौर में ध्यान केंद्रित करने की तरह ही है.
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सरकार थोप रही मोबाइल
सरकार द्वारा कई स्कीमों को चलाया जा रहा है. बिना एडवांस मोबाइल फोन और इंटरनैट सेवा की इन स्कीमों का फायदा उठाना असंभव है. ऐसा अनावश्यक जोर क्या सही है?
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सास बदली लेकिन नजरिया नहीं
सास और और बहू को एकदूसरे की भूमिका को स्वीकार करना चाहिए. सास पुरानी परंपराओं का पालन करते हुए बहू को सिखा सकती है और बहू नई सोच व नए दृष्टिकोण से घर को बेहतर बना सकती है.
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अमेरिका में भी पनप रहा ब्राह्मण व बनिया गठजोड़
डोनाल्ड ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह के साथ ही अमेरिका में एक नए दौर की शुरुआत हो चुकी है जिसे ले कर हर कोई आशंकित है कि अब लोकतंत्र को हाशिए पर रख धार्मिक एजेंडे पर अमल होगा.
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किस संतान को मिले संपत्ति पर ज्यादा हक
यह वह दौर हैं जब पेरैंट्स की सेवा न करने वाली संतानों की अदालतें तक खिंचाई कर रही हैं लेकिन मांबाप की दिल से सेवा करने वाली संतान के लिए जायदाद में ज्यादा हिस्सा देने पर वे भी अचकचा जाती हैं क्योंकि कानून में ऐसा कोई प्रावधान ही नहीं है. क्या यह ज्यादती नहीं?
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युवाओं के सपनों के घर पर डाका
नौकरीपेशा होम लोन ले कर अपने सपनों का आशियाना खरीद लेते हैं. लेकिन यहां समस्या तब आती है जब किसी यूइत में वे लोन नहीं चुका पाते. ऐसे में कई बार उन्हें अपने घर से हाथ धोना पड़ता है.
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बूफे पार्टी में मेहमान भोजन और अच्छे समय का आनंद लेने के साथसाथ सोशल गैदरिंग के चलन को भी जीवित रखते हैं. यह अवसर न केवल खानपान के लिए होता है बल्कि यह लोगों के बीच बातचीत, हंसीमजाक और आपसी विचारों के आदानप्रदान का एक साधन भी है.
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अल्लू अर्जुन को जेल भगवान दोषमुक्त
एक तरह के हादसे पर कानून दो तरह से कैसे काम कर सकता है? क्या यह न्याय और संविधान दोनों का अपमान नहीं ?
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ऊंचे ओहदे वालों में अकड़ क्यों
कुछ लोगों में अपने रुतबे को ले कर अहंकार होता है. उन्हें लगता है कि उन का ओहदा, उन का पद बैस्ट है. वे सुपीरियर हैं. यह सोच अहंकार और ईगो लाती है जो इंसान के व्यवहार में अड़चन डालती है.
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बंटोगे तो कटोगे वाला नारा प्रधान राष्ट्र
देश नारा प्रधान है. काम भले कुछ न हो रहा हो पर पार्टियां और सरकारों द्वारा उछाले नारों की खुमारी जनता पर खूब छाई रहती है.