![हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में सफलता के लिए विदेशी ऐक्ट्रेसेस के संघर्ष हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में सफलता के लिए विदेशी ऐक्ट्रेसेस के संघर्ष](https://cdn.magzter.com/1338812051/1707812662/articles/hte9RT_sy1708080186425/1708080447866.jpg)
किसी कलाकार को सफल देखने और उस की ग्लैमरस लाइफ को देख कर मन में उस की तरह ही जीने की इच्छा होती है. यही वजह है कि बौलीवुड में लाखों लोग ऐक्ट्रैस बनने का सपना ले कर देशविदेश से बिना सोचेसमझे चले आते हैं. उन के यहां तक पहुंचने के स्ट्रगल के बारे में कोई ध्यान नहीं देता. हर ऐक्ट्रैस के लिए बौलीवुड में जगह बनाना आसान नहीं होता. किसी भी कलाकार को सब से पहले उस के लुक, बातचीत के तरीके, भाषा का ज्ञान आदि ऐसी कई बातें हैं जिन से उसे गुजरना पड़ता है.
आज भले ही कलाकारों के लाखोंकरोड़ों फैन हों, लेकिन जब वे इंडस्ट्री में अपने कदम जमाने की कोशिश कर रहे थे तो उन्हें अपने लुक और हिंदी भाषा की जानकारी न होने के कारण काफी संघर्ष व उपहास का पात्र बनना पड़ा. आइए जानें विदेशी हीरोइनों ने किस तरह से इसे फेस किया और आगे बढ़ीं.
सनी लियोनी
सब से अधिक संघर्ष पोर्नस्टार सनी लियोनी को करना पड़ा. आज सनी लियोनी एक सफल मुकाम पर हैं. उन्हें हिंदी बोलना आता है. उन्होंने हिंदी फिल्मों के तौरतरीकों को सीख लिया है. शुरुआत में उन्हें काफी संघर्ष करना पड़ा. उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा है, "मैं पहली बार केवल 2 हफ्ते के लिए मुंबई आई थी और वापस लौस एंजिलिस चले जाने की बात सोची थी. लेकिन आज मैं कई फिल्में कर चुकी हूं और कई ब्रैंड्स एंडौर्स करती हूं.
"खुद को इंडस्ट्री में जमाना आसान नहीं था. पुराने दिनों को याद करें तो हर दिन सुबह उठ कर प्रोफैशनल की तरह होंठों पर स्माइल लिए प्रोडक्शन हाउस के चक्कर लगाना, हमेशा खुश रहने की ऐक्टिंग करना, जो भी काम मिले उसी को कर लेना, इसी से मुझे स्थापित करने का मौका मिलता गया.
هذه القصة مأخوذة من طبعة February First 2024 من Sarita.
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![मौन का मूलमंत्र जिंदगी को बनाए आसान मौन का मूलमंत्र जिंदगी को बनाए आसान](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/871/1990019/LowUfbRDd1739346630309/1739346915320.jpg)
मौन का मूलमंत्र जिंदगी को बनाए आसान
हम बचपन में बोलना तो सीख लेते हैं मगर क्या बोलना है और कितना बोलना है, यह सीखने के लिए पूरी उम्र भी कम पड़ जाती है. मौन रहना आज के दौर में ध्यान केंद्रित करने की तरह ही है.
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सरकार थोप रही मोबाइल
सरकार द्वारा कई स्कीमों को चलाया जा रहा है. बिना एडवांस मोबाइल फोन और इंटरनैट सेवा की इन स्कीमों का फायदा उठाना असंभव है. ऐसा अनावश्यक जोर क्या सही है?
![सास बदली लेकिन नजरिया नहीं सास बदली लेकिन नजरिया नहीं](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/871/1990019/pg03lBb3y1739281192590/1739281417705.jpg)
सास बदली लेकिन नजरिया नहीं
सास और और बहू को एकदूसरे की भूमिका को स्वीकार करना चाहिए. सास पुरानी परंपराओं का पालन करते हुए बहू को सिखा सकती है और बहू नई सोच व नए दृष्टिकोण से घर को बेहतर बना सकती है.
![अमेरिका में भी पनप रहा ब्राह्मण व बनिया गठजोड़ अमेरिका में भी पनप रहा ब्राह्मण व बनिया गठजोड़](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/871/1990019/s4o9Sj54G1739278764498/1739279348669.jpg)
अमेरिका में भी पनप रहा ब्राह्मण व बनिया गठजोड़
डोनाल्ड ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह के साथ ही अमेरिका में एक नए दौर की शुरुआत हो चुकी है जिसे ले कर हर कोई आशंकित है कि अब लोकतंत्र को हाशिए पर रख धार्मिक एजेंडे पर अमल होगा.
![किस संतान को मिले संपत्ति पर ज्यादा हक किस संतान को मिले संपत्ति पर ज्यादा हक](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/871/1990019/9JDheV0BY1739279671565/1739280166756.jpg)
किस संतान को मिले संपत्ति पर ज्यादा हक
यह वह दौर हैं जब पेरैंट्स की सेवा न करने वाली संतानों की अदालतें तक खिंचाई कर रही हैं लेकिन मांबाप की दिल से सेवा करने वाली संतान के लिए जायदाद में ज्यादा हिस्सा देने पर वे भी अचकचा जाती हैं क्योंकि कानून में ऐसा कोई प्रावधान ही नहीं है. क्या यह ज्यादती नहीं?
![युवाओं के सपनों के घर पर डाका युवाओं के सपनों के घर पर डाका](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/871/1990019/SzT5OWXW71739279379347/1739279671358.jpg)
युवाओं के सपनों के घर पर डाका
नौकरीपेशा होम लोन ले कर अपने सपनों का आशियाना खरीद लेते हैं. लेकिन यहां समस्या तब आती है जब किसी यूइत में वे लोन नहीं चुका पाते. ऐसे में कई बार उन्हें अपने घर से हाथ धोना पड़ता है.
![मेलजोल के अवसर बुफे पार्टी मेलजोल के अवसर बुफे पार्टी](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/871/1990019/kAkDNoyBV1739280807508/1739281176766.jpg)
मेलजोल के अवसर बुफे पार्टी
बूफे पार्टी में मेहमान भोजन और अच्छे समय का आनंद लेने के साथसाथ सोशल गैदरिंग के चलन को भी जीवित रखते हैं. यह अवसर न केवल खानपान के लिए होता है बल्कि यह लोगों के बीच बातचीत, हंसीमजाक और आपसी विचारों के आदानप्रदान का एक साधन भी है.
![अल्लू अर्जुन को जेल भगवान दोषमुक्त अल्लू अर्जुन को जेल भगवान दोषमुक्त](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/871/1990019/RkxmXuMNk1739280478617/1739280798357.jpg)
अल्लू अर्जुन को जेल भगवान दोषमुक्त
एक तरह के हादसे पर कानून दो तरह से कैसे काम कर सकता है? क्या यह न्याय और संविधान दोनों का अपमान नहीं ?
![ऊंचे ओहदे वालों में अकड़ क्यों ऊंचे ओहदे वालों में अकड़ क्यों](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/871/1971251/jsAA7PQtH1737712505485/1737712993859.jpg)
ऊंचे ओहदे वालों में अकड़ क्यों
कुछ लोगों में अपने रुतबे को ले कर अहंकार होता है. उन्हें लगता है कि उन का ओहदा, उन का पद बैस्ट है. वे सुपीरियर हैं. यह सोच अहंकार और ईगो लाती है जो इंसान के व्यवहार में अड़चन डालती है.
![बंटोगे तो कटोगे वाला नारा प्रधान राष्ट्र बंटोगे तो कटोगे वाला नारा प्रधान राष्ट्र](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/871/1971251/igzsVRgNl1737713300356/1737713410810.jpg)
बंटोगे तो कटोगे वाला नारा प्रधान राष्ट्र
देश नारा प्रधान है. काम भले कुछ न हो रहा हो पर पार्टियां और सरकारों द्वारा उछाले नारों की खुमारी जनता पर खूब छाई रहती है.