संविधान की शक्ति गुलामी और भेदभाव से मुक्ति
Sarita|June First 2024
संविधान एक बहुत बड़ी ताकत के रूप में स्थापित हो चुका है जो लोगों को हर तरह की सुरक्षा देता है. यह दस्तावेज सभी के अधिकारों की असल गारंटी है. इस के छिनने की चर्चाभर से आम लोग बेचैन हो उठते हैं क्योंकि वे घुटन और शोषण के दौर में वापस नहीं जाना चाहते. तो फिर क्यों इस पर हिंदूवादी आएदिन बवंडर मचाते रहते हैं, पढ़िए इस खास रिपोर्ट में.
भारत भूषण श्रीवास्तव
संविधान की शक्ति गुलामी और भेदभाव से मुक्ति

इस बार के लोकसभा चुनाव प्रचार में जो हलकापन देखने में आया उसे छिछोरापन कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी. हद तो यह भी थी कि राजद नेता तेजस्वी यादव के मांसमछली खाने तक को मुद्दा बनाने की कोशिश की गई. आम लोगों की दिलचस्पी पहले से ही इस आम चुनाव में नहीं थी, ऊपर से घटिया चुनावप्रचार ने उसे और उकता कर रख दिया. पहले ही चरण के कम मतदान से विपक्ष और खासतौर से सत्तारूढ़ भाजपा सहित सभी पार्टियां कम मतदान से सकते में आ गई थीं. लिहाजा, वोटर को लुभाने और मतदान बढ़ाने के लिए क्याक्या हथकंडे व टोटके नहीं अपनाए गए, यह बहुत जल्दी भूलने वाली बात नहीं है.

भाजपा को जब समझ आ गया कि धर्म, हिंदुत्व और राममंदिर का कार्ड उम्मीद के मुताबिक नहीं चल रहा है तो उस ने बारबार मुद्दे बदले उस के पास उपलब्धियों के नाम पर गिनाने को कुछ खास नहीं था तो ईडी गठबंधन के पास भी उसे घेरने के लिए आकर्षक मुद्दे नहीं थे. बेमन से वोट करते लोग चौकन्ने तब हुए जब कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने यह कहना शुरू किया कि भाजपा अगर तीसरी बार सत्ता में आई तो संविधान नष्ट कर देगी.

इस से ऐसा लगा मानो जाने अनजाने में उन्होंने नरेंद्र मोदी और भाजपा की दुखती रंग पर हाथ रख दिया है. जिस का न केवल अतीत बल्कि भविष्य से भी गहरा संबंध है. इस के बाद आरक्षण पर घमासान मचा. दोनों ही गठबंधन पूरे प्रचार में एकदूसरे पर आरक्षण खत्म करने और संविधान बदलने का आरोप लगाते रहे.

400 पार का नारा लगा रहे नरेंद्र मोदी की बौखलाहट तब देखने लायक थी जिन्हें एक झटके में घुटनों के बल आते बारबार यह सफाई देनी पड़ी थी कि मोदी तो छोड़िए खुद बाबासाहेब अंबेडकर भी आ कर कहें तो भी कोई संविधान नहीं बदल सकता. उन्होंने कांग्रेस पर भीमराव अंबेडकर के अपमान और पीठ पर छुरा घोंपने का भी आरोप लगाया और 21 मई को तो पूरे नेहरू खानदान को लपेटे में यह कहते ले लिया कि हम नहीं बल्कि ये लोग बारबार संविधान में संशोधन करते रहे हैं. बकौल मोदी, पंडित जवाहरलाल नेहरू ने संविधान की पहली प्रति डस्टबिन में डाल दी थी क्योंकि उस पर धार्मिक चित्र लगे थे. इमरजैंसी के दौरान भी संविधान को डस्टबिन में डाल दिया गया था. इन आरोपों के जवाब में राहुल गांधी भी अपनी रट पर कायम रहे.

संविधान को ले कर आरोपप्रत्यारोप

هذه القصة مأخوذة من طبعة June First 2024 من Sarita.

ابدأ النسخة التجريبية المجانية من Magzter GOLD لمدة 7 أيام للوصول إلى آلاف القصص المتميزة المنسقة وأكثر من 9,000 مجلة وصحيفة.

هذه القصة مأخوذة من طبعة June First 2024 من Sarita.

ابدأ النسخة التجريبية المجانية من Magzter GOLD لمدة 7 أيام للوصول إلى آلاف القصص المتميزة المنسقة وأكثر من 9,000 مجلة وصحيفة.

المزيد من القصص من SARITA مشاهدة الكل
पुराणों में भी है बैड न्यूज
Sarita

पुराणों में भी है बैड न्यूज

हाल ही में फिल्म 'बैड न्यूज' प्रदर्शित हुई, जो मैडिकल कंडीशन हेटरोपैटरनल सुपरफेकंडेशन पर आधारित थी. इस में एक महिला के एक से अधिक से शारीरिक संबंध दिखाने को हिंदू संस्कृति पर हमला कहते कुछ भगवाधारियों ने फिल्म का विरोध किया पर इस तरह के मामले पौराणिक ग्रंथों में कूटकूट कर भरे हुए हैं.

time-read
5 mins  |
September First 2024
काम के साथ सेहत भी
Sarita

काम के साथ सेहत भी

काम करने के दौरान लोग अकसर अपनी सेहत का ध्यान नहीं रखते, जिस से हैल्थ इश्यूज पैदा हो जाते हैं. जानिए एक्सपर्ट से क्यों है यह खतरनाक?

time-read
5 mins  |
September First 2024
प्यार का बंधन टूटने से बचाना सीखें
Sarita

प्यार का बंधन टूटने से बचाना सीखें

आप ही सोचिए क्या पेरेंट्स बच्चों से न बनने पर उन से रिश्ता तोड़ लेते हैं? नहीं न? बच्चों से वे अपना रिश्ता कायम रखते हैं न, तो फिर वे अपने वैवाहिक रिश्ते को बचाने की कोशिश क्यों नहीं करते? बच्चे मातापिता को डाइवोर्स नहीं दे सकते तो पतिपत्नी एकदूसरे के साथ कैसे नहीं निभा सकते, यह सोचने की जरूरत है.

time-read
3 mins  |
September First 2024
तलाक अदालती फैसले एहसान क्यों हक क्यों नहीं
Sarita

तलाक अदालती फैसले एहसान क्यों हक क्यों नहीं

शादी कर के पछताने वाले हजारोंलाखों लोग मिल जाएंगे, लेकिन तलाक ले कर पछताने वाले न के बराबर मिलेंगे क्योंकि यह एक घुटन भरी व नारकीय जिंदगी से आजादी देता है. लेकिन जब सालोंसाल तलाक के लिए अदालत के चक्कर काटने पड़ें तो दूसरी शादी कर लेने में हिचक क्यों?

time-read
5 mins  |
September First 2024
शिल्पशास्त्र या ज्योतिषशास्त्र?
Sarita

शिल्पशास्त्र या ज्योतिषशास्त्र?

शिल्पशास्त्र में किसी इमारत की उम्र जानने की ऐसी मनगढ़ंत और गलत व्याख्या की गई है कि पढ़ कर कोई भी अपना सिर पीट ले.

time-read
6 mins  |
September First 2024
रेप - राजनीति ज्यादा पीडिता की चिंता कम
Sarita

रेप - राजनीति ज्यादा पीडिता की चिंता कम

देश में रेप के मामले बढ़ रहे हैं. सजा तक कम ही मामले पहुंचते हैं. इन में राजनीति ज्यादा होती है. पीड़िता के साथ कोई नहीं होता.

time-read
8 mins  |
September First 2024
सिध सिरी जोग लिखी कोई लौटा दे मेरे बीते हुए दिन
Sarita

सिध सिरी जोग लिखी कोई लौटा दे मेरे बीते हुए दिन

धीरेधीरे मैं भी मौजूदा एडवांस दुनिया का हिस्सा बन गई और उस पुरानी दुनिया से इतनी दूर पहुंच गई कि प्रांशु को लिखवाते समय कितने ही वाक्य बारबार लिखनेमिटाने पड़े पर फिर भी वैसा...

time-read
8 mins  |
September First 2024
चुनाव परिणाम के बाद इंडिया ब्लौक
Sarita

चुनाव परिणाम के बाद इंडिया ब्लौक

16 मई, 2024 को चुनावप्रचार के दौरान नरेंद्र मोदी ने उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ में दहाड़ने की कोशिश करते हुए कहा था कि 4 जून को इंडी गठबंधन टूट कर बिखर जाएगा और विपक्ष बलि का बकरा खोजेगा, चुनाव के बाद ये लोग गरमी की छुट्टियों पर विदेश चले जाएंगे, यहां सिर्फ हम और देशवासी रह जाएंगे. लेकिन 4 जून के बाद कुछ और हो रहा है.

time-read
8 mins  |
September First 2024
वक्फ की जमीन पर सरकार की नजर
Sarita

वक्फ की जमीन पर सरकार की नजर

भाजपा की आंखें वक्फ की संपत्तियों पर गड़ी हैं. इस मामले को उछाल कर जहां वह एक तरफ हिंदू वोटरों को यह दिखाने की कोशिश करेगी कि देखो मुसलमानों के पास देश की कितनी जमीन है, वहीं वक्फ बोर्ड में घुसपैठ कर के वह उसे अपने नियंत्रण में लेने की फिराक में है.

time-read
10+ mins  |
September First 2024
1947 के बाद कानूनों से रेंगतीं सामाजिक बदलाव की हवाएं
Sarita

1947 के बाद कानूनों से रेंगतीं सामाजिक बदलाव की हवाएं

15 अगस्त, 1947 को भारत को जो आजादी मिली वह सिर्फ गोरे अंगरेजों के शासन से थी. असल में आम लोगों, खासतौर पर दलितों व ऊंची जातियों की औरतों, को जो स्वतंत्रता मिली जिस के कारण सैकड़ों समाज सुधार हुए वह उस संविधान और उस के अंतर्गत 70 वर्षों में बने कानूनों से मिली जिन का जिक्र कम होता है जबकि वे हमारे जीवन का अभिन्न अंग हैं. नरेंद्र मोदी की भारतीय जनता पार्टी का सपना इस आजादी का नहीं, बल्कि देश को पौराणिक हिंदू राष्ट्र बनाने का रहा है. लेखों की श्रृंखला में स्पष्ट किया जाएगा कि कैसे इन कानूनों ने कट्टर समाज पर प्रहार किया हालांकि ये समाज सुधार अब धीमे हो गए हैं या कहिए कि रुक से गए हैं.

time-read
10+ mins  |
September First 2024