![राहुल गांधी से शादी का सवाल राहुल गांधी से शादी का सवाल](https://cdn.magzter.com/1338812051/1718018854/articles/-jUnZ6N0f1718089849800/1718090159082.jpg)
लोकसभा के लिए देश में हो रहे चुनाव में राजनेता राहुल गांधी कांग्रेस पार्टी की तरफ से इंडिया गठबंधन के प्रत्याशी के तौर पर उत्तर प्रदेश की रायबरेली सीट से चुनाव लड़ रहे हैं. इस से पहले सोनिया गांधी यहां से चुनाव लड़ती थीं. राहुल गांधी की बहन प्रियंका गांधी ने यहां चुनावप्रचार का पूरा जिम्मा उठा रखा है. वे अमेठी और रायबरेली का चुनाव प्रबंधन भी देख रही हैं.
रायबरेली में चुनावप्रचार के दौरान जब प्रियंका और राहुल गांधी प्रचार कर रहे थे तब वहां एक युवक ने राहुल गांधी से सवाल किया कि, 'शादी कब करोगे?' राहुल गांधी वह सवाल सही से सुन नहीं पाए तो प्रियंका गांधी ने हंसते हुए राहुल से कहा, 'पहले उस के सवाल का जवाब दो.' यानी, प्रियंका भी चाहती थीं कि राहुल शादी के बारे में कुछ मन बनाएं.
राहुल गांधी ने कौरेस्पोंडेंटों से पूछा, 'सवाल क्या है?' तो उक्त युवक ने अपना सवाल दोहरा दिया. वहां खड़े प्रमोद तिवारी, प्रियंका गांधी व दूसरे कई नेताओं के साथ खुद राहुल भी हंसने लगे. हंसते हुए ही राहुल गांधी ने कहा, 'अब तो जल्दी ही करनी पड़ेगी.'
हमारे देश में शादी को ले कर सवाल बहुत पूछे जाते है. किसी भी लड़के या लड़की की शादी नहीं हुई तो लोग पूछते हैं कि शादी क्यों नहीं की? राहुल गांधी और सलमान खान की तरह से तमाम लोग ऐसे हैं जिन से यह सवाल अकसर पूछा जाता है. सिंगल वुमेन की तुलना में कुंआरी लड़की, जिस ने शादी नहीं की, से यह सवाल ज्यादा पूछा जाता है.
शादी सफलता का पैमाना नहीं
जिस तरह से रैली में हिस्सा ले रहे युवक ने राहुल गांधी से उन की शादी को ले कर सवाल किया लेकिन उस तरह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कोई सवाल कर सकता है क्या कि अपनी पत्नी को साथ क्यों नहीं रखा? राहुल आम लोगों से अधिक कनैक्ट होने का प्रयास करते हैं, जनता के बीच सहज होते हैं, उन से एक परिवार का रिश्ता बनाने की बात करते हैं. ऐसे में उन से पर्सनल सवाल भी बिना हिचक के लोग पूछ लेते हैं. इस की वजह यह है कि पत्नी छोड़ देना समाज को स्वीकार है और कई देवताओं ने भी ऐसा किया जो नरेंद्र मोदी कर रहे हैं.
राहुल गांधी से शादी का सवाल क्यों किया गया क्योंकि शादी करना व्यक्तिगत जरूरत से ज्यादा औरतों को सामाजिक गुलाम बनाए रखना है.
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मौन का मूलमंत्र जिंदगी को बनाए आसान
हम बचपन में बोलना तो सीख लेते हैं मगर क्या बोलना है और कितना बोलना है, यह सीखने के लिए पूरी उम्र भी कम पड़ जाती है. मौन रहना आज के दौर में ध्यान केंद्रित करने की तरह ही है.
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सरकार थोप रही मोबाइल
सरकार द्वारा कई स्कीमों को चलाया जा रहा है. बिना एडवांस मोबाइल फोन और इंटरनैट सेवा की इन स्कीमों का फायदा उठाना असंभव है. ऐसा अनावश्यक जोर क्या सही है?
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सास बदली लेकिन नजरिया नहीं
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अमेरिका में भी पनप रहा ब्राह्मण व बनिया गठजोड़
डोनाल्ड ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह के साथ ही अमेरिका में एक नए दौर की शुरुआत हो चुकी है जिसे ले कर हर कोई आशंकित है कि अब लोकतंत्र को हाशिए पर रख धार्मिक एजेंडे पर अमल होगा.
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यह वह दौर हैं जब पेरैंट्स की सेवा न करने वाली संतानों की अदालतें तक खिंचाई कर रही हैं लेकिन मांबाप की दिल से सेवा करने वाली संतान के लिए जायदाद में ज्यादा हिस्सा देने पर वे भी अचकचा जाती हैं क्योंकि कानून में ऐसा कोई प्रावधान ही नहीं है. क्या यह ज्यादती नहीं?
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युवाओं के सपनों के घर पर डाका
नौकरीपेशा होम लोन ले कर अपने सपनों का आशियाना खरीद लेते हैं. लेकिन यहां समस्या तब आती है जब किसी यूइत में वे लोन नहीं चुका पाते. ऐसे में कई बार उन्हें अपने घर से हाथ धोना पड़ता है.
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मेलजोल के अवसर बुफे पार्टी
बूफे पार्टी में मेहमान भोजन और अच्छे समय का आनंद लेने के साथसाथ सोशल गैदरिंग के चलन को भी जीवित रखते हैं. यह अवसर न केवल खानपान के लिए होता है बल्कि यह लोगों के बीच बातचीत, हंसीमजाक और आपसी विचारों के आदानप्रदान का एक साधन भी है.
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अल्लू अर्जुन को जेल भगवान दोषमुक्त
एक तरह के हादसे पर कानून दो तरह से कैसे काम कर सकता है? क्या यह न्याय और संविधान दोनों का अपमान नहीं ?
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ऊंचे ओहदे वालों में अकड़ क्यों
कुछ लोगों में अपने रुतबे को ले कर अहंकार होता है. उन्हें लगता है कि उन का ओहदा, उन का पद बैस्ट है. वे सुपीरियर हैं. यह सोच अहंकार और ईगो लाती है जो इंसान के व्यवहार में अड़चन डालती है.
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बंटोगे तो कटोगे वाला नारा प्रधान राष्ट्र
देश नारा प्रधान है. काम भले कुछ न हो रहा हो पर पार्टियां और सरकारों द्वारा उछाले नारों की खुमारी जनता पर खूब छाई रहती है.