![शादी के बाद प्यार न हो कम शादी के बाद प्यार न हो कम](https://cdn.magzter.com/1338812051/1721137801/articles/PPL9_Rh911722596521717/1722596882745.jpg)
यूनीसेफ की एक रिसर्च में पाया गया कि अगर मातापिता बच्चे के ५ लिए समय नहीं निकालते और उन की परेशानियों को सुनते नहीं तो ऐसे बच्चे अपने मातापिता या अन्य लोगों के साथ बदतमीजी करने लगते हैं और जिद्दी बन जाते हैं.
बढ़ते बच्चों के पेरैंट्स अकसर यह शिकायत करते हैं कि उन का बच्चा आजकल बदतमीजी करता है, बात नहीं मानता, जिद करता है या फिर बिलकुल उदासीन हो गया है. इस तरह की समस्याएं पेरैंट्स को परेशान करती हैं. बच्चों के जिदूदी और बदतमीज होने के पीछे का मुख्य कारण बच्चों में तनाव यानी स्ट्रैस होता है. जब बच्चों के आसपास तनावग्रस्त माहौल होता है या वे किसी से अपने मन की बात नहीं कह पाते या कोई बैठ कर समझाने वाला नहीं होता तो बच्चे जिदूदी और बदतमीज या मायूस हो सकते हैं.
ऐसे में जरूरी हो जाता है कि पेरैंट्स अपने व्यस्त शेड्यूल से समय निकालें और उन को गाइड करें. उन के साथ बातें करें और उन की समस्याओं पर डिस्कशन करें ताकि उन्हें इस बात का एहसास हो कि पेरैंट्स उन का कितना खयाल रखते हैं और कोई भी मुश्किल आ जाए तो पेरैंट्स उन्हें उस प्रौब्लम से बाहर निकाल लेंगे.
बच्चे आप का समय चाहते हैं और कुछ ऐसा ही आप के जीवनसाथी के साथ भी है. आप का जीवनसाथी भी आप से हर बात शेयर करना चाहता है, कुछ समस्या हो तो डिस्कस करना चाहता है और साथ समय बिताना चाहता है पर अकसर हमारे पास उन के लिए समय नहीं होता और इस का नतीजा अकसर रिश्ते में बढ़ती दूरी के रूप में सामने आता है.
शादी के बाद अकसर कम हो जाता है प्यार
वैसे तो कहा जाता है कि सच्चा प्यार कभी नहीं बदलता लेकिन अकसर देखा गया है कि शादी के बाद पतिपत्नी के बीच प्यार बढ़ने के बजाय कम होने लगता है. एकदूसरे पर जान छिड़कने वाले लोग किसी न किसी वजह से लड़ाई करने लगते हैं.
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![मौन का मूलमंत्र जिंदगी को बनाए आसान मौन का मूलमंत्र जिंदगी को बनाए आसान](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/871/1990019/LowUfbRDd1739346630309/1739346915320.jpg)
मौन का मूलमंत्र जिंदगी को बनाए आसान
हम बचपन में बोलना तो सीख लेते हैं मगर क्या बोलना है और कितना बोलना है, यह सीखने के लिए पूरी उम्र भी कम पड़ जाती है. मौन रहना आज के दौर में ध्यान केंद्रित करने की तरह ही है.
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सरकार थोप रही मोबाइल
सरकार द्वारा कई स्कीमों को चलाया जा रहा है. बिना एडवांस मोबाइल फोन और इंटरनैट सेवा की इन स्कीमों का फायदा उठाना असंभव है. ऐसा अनावश्यक जोर क्या सही है?
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सास बदली लेकिन नजरिया नहीं
सास और और बहू को एकदूसरे की भूमिका को स्वीकार करना चाहिए. सास पुरानी परंपराओं का पालन करते हुए बहू को सिखा सकती है और बहू नई सोच व नए दृष्टिकोण से घर को बेहतर बना सकती है.
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अमेरिका में भी पनप रहा ब्राह्मण व बनिया गठजोड़
डोनाल्ड ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह के साथ ही अमेरिका में एक नए दौर की शुरुआत हो चुकी है जिसे ले कर हर कोई आशंकित है कि अब लोकतंत्र को हाशिए पर रख धार्मिक एजेंडे पर अमल होगा.
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किस संतान को मिले संपत्ति पर ज्यादा हक
यह वह दौर हैं जब पेरैंट्स की सेवा न करने वाली संतानों की अदालतें तक खिंचाई कर रही हैं लेकिन मांबाप की दिल से सेवा करने वाली संतान के लिए जायदाद में ज्यादा हिस्सा देने पर वे भी अचकचा जाती हैं क्योंकि कानून में ऐसा कोई प्रावधान ही नहीं है. क्या यह ज्यादती नहीं?
![युवाओं के सपनों के घर पर डाका युवाओं के सपनों के घर पर डाका](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/871/1990019/SzT5OWXW71739279379347/1739279671358.jpg)
युवाओं के सपनों के घर पर डाका
नौकरीपेशा होम लोन ले कर अपने सपनों का आशियाना खरीद लेते हैं. लेकिन यहां समस्या तब आती है जब किसी यूइत में वे लोन नहीं चुका पाते. ऐसे में कई बार उन्हें अपने घर से हाथ धोना पड़ता है.
![मेलजोल के अवसर बुफे पार्टी मेलजोल के अवसर बुफे पार्टी](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/871/1990019/kAkDNoyBV1739280807508/1739281176766.jpg)
मेलजोल के अवसर बुफे पार्टी
बूफे पार्टी में मेहमान भोजन और अच्छे समय का आनंद लेने के साथसाथ सोशल गैदरिंग के चलन को भी जीवित रखते हैं. यह अवसर न केवल खानपान के लिए होता है बल्कि यह लोगों के बीच बातचीत, हंसीमजाक और आपसी विचारों के आदानप्रदान का एक साधन भी है.
![अल्लू अर्जुन को जेल भगवान दोषमुक्त अल्लू अर्जुन को जेल भगवान दोषमुक्त](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/871/1990019/RkxmXuMNk1739280478617/1739280798357.jpg)
अल्लू अर्जुन को जेल भगवान दोषमुक्त
एक तरह के हादसे पर कानून दो तरह से कैसे काम कर सकता है? क्या यह न्याय और संविधान दोनों का अपमान नहीं ?
![ऊंचे ओहदे वालों में अकड़ क्यों ऊंचे ओहदे वालों में अकड़ क्यों](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/871/1971251/jsAA7PQtH1737712505485/1737712993859.jpg)
ऊंचे ओहदे वालों में अकड़ क्यों
कुछ लोगों में अपने रुतबे को ले कर अहंकार होता है. उन्हें लगता है कि उन का ओहदा, उन का पद बैस्ट है. वे सुपीरियर हैं. यह सोच अहंकार और ईगो लाती है जो इंसान के व्यवहार में अड़चन डालती है.
![बंटोगे तो कटोगे वाला नारा प्रधान राष्ट्र बंटोगे तो कटोगे वाला नारा प्रधान राष्ट्र](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/871/1971251/igzsVRgNl1737713300356/1737713410810.jpg)
बंटोगे तो कटोगे वाला नारा प्रधान राष्ट्र
देश नारा प्रधान है. काम भले कुछ न हो रहा हो पर पार्टियां और सरकारों द्वारा उछाले नारों की खुमारी जनता पर खूब छाई रहती है.