औफिस के लंचब्रेक में पाखी को अनमना और उदास देख कर मैं ने उस से पूछा, "क्यों, अद्यांत को मिस कर रही है ? बेहद दुखी दिख रही है. भूलने की कोशिश कर यार उसे?"
“कैसे भूलूं उसे, पूरे 3 बरसों का साथ था. उस पर बहुत जोरों का गुस्सा आ रहा है कि वह अपनी मां के सामने कोई स्ट्रॉंग स्टैंड क्यों नहीं ले सका. हम दोनों की शादी करने की मंशा सुन कर उन के ब्लडप्रैशर हाई होने से ही घबरा गया और मुझ से ब्रेकअप कर लिया. अरे, दवाइयों से ब्लडप्रैशर कम नहीं होता क्या ? चलो, एक तरह से अच्छा ही हुआ, शादी से पहले ही उस की असली फितरत समझ आ गई कि वह मम्माज बौय है."
“बिलकुल सही कह रही है तू, ऐसे कमजोर, बिना रीढ़ की हड्डी वाले इंसान के साथ तू कभी खुश नहीं रहती जो मां की जरा सी बीमारी से अपने पार्टनर से मुंह मोड़ ले. फिर उस के बारे में इतना सोच क्यों रही है तू. परे कर उस की यादों को."
"मेरे वश में नहीं, अवनी. सच कह रही हूं. बेहद दुखी और कन्फ्यूज्ड फील कर रही हूं. दुखी हूं उसे खोने पर और कन्फ्यूज्ड हूं कि मेरे साथ ही ऐसा क्यों हुआ. मैं उसे पहचान क्यों नहीं पाई."
“चलचल, उस के बारे में ज्यादा सोच मत और औफिस के काम में मन लगा. आई एम श्योर वक्त के साथ तू उसे भूलने लगेगी."
लंचब्रेक के खत्म होने के थोड़ी देर बाद मैं उस के पास गई तो देखा, वह अपना काम छोड़ पनीली आंखों से शून्य में ताक रही थी.
“पाखी, डियर, अगर काम में मन न लग रहा हो तो घर जा और रैस्ट कर. तू मुझे ठीक नहीं लग रही."
शाम को ऑफिस के बाद मैं उस के फ्लैट पहुंची. मैं ने देखा कि वह बेतहाशा रो रही थी और उस ने रोरो कर आंखें सुजा ली थीं.
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