देश की सबसे बड़ी ताप बिजली उत्पादक कंपनी एनटीपीसी ने गत माह अपनी नवीकरणीय ऊर्जा कंपनी एनटीपीसी ग्रीन एनर्जी को देश के स्टॉक एक्सचेंजों में सूचीबद्ध करके स्वर्ण जयंती मनाई। इससे देश के ऊर्जा क्षेत्र में आ रहे बदलाव को समझा जा सकता है। तेल निर्यात और कोयला खनन से लेकर बड़े बांध बनाने तक और अब सोलर पैनल और बायो फ्यूल पर ध्यान केंद्रित करने तक देश के ऊर्जा क्षेत्र का सफर उसकी सामाजिक-आर्थिक प्रगति को भी दर्शाता है। विगत 25 वर्षों में देश की सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के साथ-साथ, ऊर्जा तक पहुंच की योजनाओं, नियामकीय ढांचों और निजी निवेश का उभार हुआ है तथा नवीकरणीय ऊर्जा पर जोर भी बढ़ा है।
तेल क्षेत्र
देश के ऊर्जा परिदृश्य को समझने के लिए हमें 19वीं सदी के आखिरी चरण में जाना होगा जब एक अंग्रेज इंजीनियर ने असम में तेल क्षेत्रों की खोज की थी। कहा जाता है कि श्रमिकों को निरंतर खुदाई के लिए प्रेरित करने के लिए वह कहते थे, ‘डिग बॉय डिग’ (खोदो बच्चों खोदो)। इसी कारण देश के पहले तेल उत्पादन वाले कस्बे का नाम डिगबोई पड़ा। हालांकि 1900 के दशक के मध्य के बाद ही ओएनजीसी तथा आईओसीएल, बीपीसीएल और एचपीसीएल आदि की स्थापना हुई। वर्ष 2000 के बाद से निजी और विदेशी भागीदारी और तकनीकी उन्नति के मामले में बहुत कुछ बदल गया। परंतु इस प्रगति को घरेलू उत्पादन में ठहराव, बढ़ते आयात और विदेशी विवादों के निरंतर खतरे से नुकसान पहुंचा और देश में ईंधन कीमतों में इजाफा हुआ।
ओएनजीसी ने 1974 में बॉम्बे हाई तेल क्षेत्र (जिसे अब मुंबई हाई कहा जाता है) की खोज की। यह भारत के पश्चिमी तट पर अरब सागर में 160 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह परियोजना चार पुनर्विकास चरणों से गुजरी और देश के घरेलू तेल उत्पादन में इसकी हिस्सेदारी करीब 70 फीसदी से अधिक है। इसके बाद ही सरकार ने तेल और गैस खनन क्षेत्र को निजी क्षेत्र के लिए खोलने का निर्णय लिया। सन 1999 में सरकार ने नई उत्खनन लाइेंसस नीति (एनईएलपी) जारी की।
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जुबिलैंट फूड्स का कोका कोला इंडिया संग करार
क्विक सर्विस रेस्टोरेंट चेन मसलन डोमिनोज पिज्जा, डंकिन डोनट्स का फ्रैंचाइजी अधिकार रखने वाली जुबिलैंट फूडवर्क्स ने कोका कोला इंडिया संग एमओयू पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसके तहत वह अप्रैल से कोका कोला के विभिन्न उत्पादों की खरीद करेगी। कंपनी ने एक्सचेंज को भेजी सूचना में ये बातें कही है।
बर्मन परिवार की खुली पेशकश पर उच्च न्यायालय की रोक
मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के जबलपुर पीठ ने डाबर के प्रवर्तकों के ओपन ऑफर और रेलिगेयर एंटरप्राइजेज की सालाना आम बैठक (एजीएम) पर रोक लगा दी है। याचिका में डाबर प्रवर्तकों के अधिग्रहण पर निगरानी के लिए स्वतंत्र जांच आयोग की मांग भी की गई है।
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आम चुनाव में 543 में से 152 सीटों पर नहीं थी एक भी महिला उम्मीदवार