मध्यप्रदेश में हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने जोरदार प्रदर्शन करते हुए प्रचंड बहुमत हासिल किया है। अब 4 लोकसभा के चुनाव होने जा रहे हैं। इस चुनाव के लिए वर्तमान विधानसभा चुनाव के मतों के आधार पर यदि आंकलन किया जाए तो 8 लोकसभा क्षेत्र में भाजपा की स्थिति कमजोर है। इनमें से पांच क्षेत्रों में तो वह इस विधानसभा चुनाव में हार गई है, जबकि तीन क्षेत्रों में वह जीत तो गई है लेकिन जीत का अंतर इतना काम है कि वह खतरे की घंटी बजा रहा है।
मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के रूप में तीन प्रदेशों में हाल के विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज करने के साथ भाजपा का हौसला बुलंद है। इन तीनों राज्यों में खतरे की घंटी बज रही थी। राजस्थान और छत्तीसगढ़ में तो कांग्रेस की सरकार थी जबकि मध्यप्रदेश में भी पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने सत्ता हासिल करने में सफलता पा ली थी। इन तीनों राज्यों की जीत के बाद अब सभी की नजर लोकसभा के चुनाव पर जाकर टिक गई है। 4 महीने बाद पूरे देश में लोकसभा के चुनाव होने वाले हैं। इस चुनाव को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार और राज्य सरकार के साथ भाजपा का संगठन सक्रिय हो गया है। दिल्ली में भाजपा तीसरी बार अपनी सरकार बनाने के लिए पूरी ताकत लगाने में कहीं कोई कमी नहीं रखना चाहती है।
पिछले लोकसभा चुनाव में मध्यप्रदेश के 29 संसदीय क्षेत्र में से 28 संसदीय क्षेत्र में भाजपा ने जीत दर्ज की थी। मात्र एक छिंदवाड़ा संसदीय क्षेत्र में कांग्रेस जीत सकी थी। हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा की प्रचंड लहर में जो मतदान हुआ है। उस मत को यदि आंकलन का आधार बनाया जाए तो यह निष्कर्ष निकलकर सामने आता है कि प्रदेश के आठ संसदीय क्षेत्र में भाजपा की हालत खराब है। इनमें से पांच संसदीय क्षेत्र में तो विधानसभा चुनाव में बीजेपी हार गई है जबकि तीन संसदीय क्षेत्र में उसे इतनी कम लीड मिली है कि वहां पर उलटफेर होने के अवसर बढ़ गए हैं।
छिंदवाड़ा में कांग्रेस के वोटों का पहाड़
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