يحاول ذهب - حر

भावप्रकाश में देव धन्वन्तरि

November 2023

|

Jyotish Sagar

देव-धन्वन्तरि को आरोग्य का देवता कहा गया है। कार्तिक त्रयोदशी (धनतेरस) को देव धन्वन्तरि के पूजन का विधान मिलता है।

- पुष्पा शर्मा

भावप्रकाश में देव धन्वन्तरि

नातन धर्म एवं मान्यताओं में श्री धन्वन्तरि को भगवान् विष्णु का अवतार माना गया है, जिन्होंने आयुर्वेद का प्रवर्तन किया। धर्म कथाओं में वर्णित है कि देव-धन्वन्तरि का अवतरण समुद्र मंथन के समय हुआ। देव-धन्वन्तरि को आरोग्य का देवता कहा गया है। कार्तिक त्रयोदशी (धनतेरस) को देव धन्वन्तरि के पूजन का विधान मिलता है। उल्लेख मिलता है कि वैदिक काल में जो स्थान अश्विनी को प्राप्त था, वही स्थान पौराणिक काल में देव धन्वन्तरि को प्राप्त था। धर्म-कथाओं में वर्णन मिलता है कि भगवान् धन्वन्तरि का पृथ्वी लोक पर अवतरण समुद्र मंथन के समय हुआ। शरद् पूर्णिमा को चन्द्रमा, कार्तिक द्वादशी को कामधेनु गाय, त्रयोदशी को भगवान् धन्वन्तरि का अवतरण हुआ था। परम्परानुसार आयुर्वेद के आदि आचार्य अश्विनी कुमार माने जाते हैं। अश्विनी कुमारों से देवराज इन्द्र ने यह विद्या प्राप्त की और देवराज इन्द्र ने देव धन्वन्तरि को यह विद्या प्रदान की थी।

एकदा देवराजस्य दृष्टिर्निपतिता भुवि । तत्र तेन नर दृष्टा व्याधिभिर्भृशपीडिताः।।

तान्दृष्टवा हृदयं तस्य दया परि पीडितम् । दयार्द्रहृदयः शक्रो धन्वन्तरिमुवाच ह।।

धन्वन्तरे सुरश्रेष्ठ भगवन्किंचिदुच्यते।। योग्यो भवसि भूतानामुपकारपरो भव ।

المزيد من القصص من Jyotish Sagar

Jyotish Sagar

Jyotish Sagar

तन्त्र में पुरश्चरण विधान

मन्त्र का पुरश्चरण सामान्य क्रिया नहीं है, वरन् विशेष क्रिया है, जो गुरु की आज्ञा एवं उनकी कृपा पर निर्भर करती है। यह दीर्घकालिक और श्रमसाध्य प्रक्रिया है । इस सम्बन्ध में जानकारों का कहना है कि पुरश्चरण के आरम्भ में अनेक प्रकार की विघ्न और बाधाएँ आती हैं।

time to read

8 mins

November 2025

Jyotish Sagar

Jyotish Sagar

नवांश से विवाह विवेचन

विहंगमः पक्षद्वयेन भूषितः उड्डीयते व्योम्नि सुखेच्छ्या यथा। तथा गृहस्थस्य गृहस्य शोभा प्रजायते यत्र द्वयो अस्ति सौहृदः॥ अर्थात् जिस प्रकार एक पक्षी अपने दोनों पंखों के सहारे आकाश में सुखपूर्वक उड़ता है, उसी तरह पति और पत्नी दोनों के परस्पर प्रेम और सहयोग से ही गृहस्थ जीवन शोभायमान होता है।

time to read

14 mins

November 2025

Jyotish Sagar

Jyotish Sagar

गुलजार जीवन यात्रा, ग्रह-योगों और दशाओं का साथ

समान्यतः माना जाता है कि परिवार का जैसा माहौल होता है, वैसा ही व्यक्ति का आचार-विचार, व्यवहार और यहाँ तक कि कॅरिअर भी बनता है।

time to read

13 mins

November 2025

Jyotish Sagar

Jyotish Sagar

ज्योतिष की प्रमुख अवधारणा 'तिथि'

एकादशी का व्रत करने से क्रोध पर काबू पाया जा सकता है, क्योंकि मंगल क्रोध देने वाला ग्रह होने के साथ-साथ एकादशी का स्वामी भी है।

time to read

8 mins

November 2025

Jyotish Sagar

Jyotish Sagar

सिंह लग्न के नवम भाव में स्थित बुध एवं गुरु के फल

प्रस्तुत लेखमाला 'कैसे करें सटीक फलादेश?' के अन्तर्गत विगत दो अंकों से सिंह लग्न के नवम भाव में स्थित ग्रहों के फलों का विवेचन किया जा रहा है, जिसमें अभी तक सूर्य से मंगल तक के फलों का विवेचन कर चुके हैं। अब उसी क्रम में प्रस्तुत आलेख में सिंह लग्न के नवम भाव में स्थित बुध एवं गुरु के भावजन्य, राशिगत, नक्षत्रगत, दृष्टिजन्य एवं युतिजन्य फलों का विवेचन किया जा रहा है।

time to read

8 mins

November 2025

Jyotish Sagar

Jyotish Sagar

जानें वह गुप्त हनुमत्साधना, जिसे श्रीकृष्ण ने अर्जुन को दिया

महाभारत युद्ध से पूर्व श्रीकृष्ण जानते थे कि पाण्डवों का पक्ष निर्बल है, क्योंकि कौरवों के पक्ष में अजेय योद्धा भीष्म और द्रोणाचार्य के अलावा महारथी कर्ण, कृपाचार्य आदि भी थे, जिन्हें सामान्य शस्त्रों से पराजित करना सम्भव नहीं था।

time to read

2 mins

November 2025

Jyotish Sagar

Jyotish Sagar

नीचराशिस्थ मंगल के फल

जन्मपत्रिका में नीचराशिस्थ ग्रहों के फल : एक विस्तृत अध्ययन

time to read

9 mins

November 2025

Jyotish Sagar

Jyotish Sagar

सूक्ष्म शरीर एवं उसकी असीम शक्ति

भारतीय दर्शन के अनुसार देह के तीन भेद हैं—(1) स्थूल देह, (2) सूक्ष्म देह और (3) कारण देह। दिखाई देने वाला पार्थिव शरीर ही स्थूल शरीर है। इससे परे सूक्ष्म शरीर है। सूक्ष्म शरीर कैसा है? किन तत्त्वों से बना हुआ है और उनमें क्या विशेषताएँ हैं? उसके चारों ओर फैला आभामण्डल कैसा है? आदि विषयों पर विद्वानों ने विभिन्न मत प्रस्तुत किए हैं। विश्व के प्रायः सभी धर्म और सम्प्रदाय सूक्ष्म शरीर के अस्तित्व पर विश्वास करते हैं।

time to read

4 mins

November 2025

Jyotish Sagar

Jyotish Sagar

॥ आत्मदीपो भव ।।

दीपक ज्ञान एवं प्रकाश का सदैव से प्रतीक रहा है। दीपोत्सव पूर्व वैदिक काल से भारत ही नहीं, वरन् विश्व के अधिकांश भागों में मनाया जाता रहा है। आज से लगभग 3,000 वर्षों पूर्व विश्व की आदिम जातियाँ प्रकृति पूजक ही रही हैं। अग्नि ऊर्जा का रूप है, जिसका अधिदेवता सूर्यदेव को माना गया है। दीपोत्सव प्रकाशमय पर्व है। ज्योति अर्थात् प्रकाश की उपासना का उल्लेख भारतीय वाङ्मय वेदों में भी हुआ है। यथा;

time to read

2 mins

November 2025

Jyotish Sagar

Jyotish Sagar

गुजरात की आस्था का अद्भुत तीर्थ डाकोर का रणछोड़राय मन्दिर

भारत भूमि पर अनगिनत तीर्थस्थल हैं, जहाँ केवल दर्शन ही नहीं वरन् आत्मा का शुद्धिकरण और आस्था का साक्षात्कार होता है। ऐसा ही एक पवित्र धाम है गुजरात के खेड़ा जिले में स्थित डाकोर का श्री रणछोड़राय जी मन्दिर। भगवान् श्रीकृष्ण को 'रणछोड़राय' के रूप में यहाँ पूजित किया जाता है। इसलिए इस धार्मिक स्थल का इतिहास भक्ति और लोकजीवन का अनूठा संगम है। मान्यता है कि श्री रणछोड़राय जी मन्दिर के दर्शन मात्र से भक्तों की सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं।

time to read

2 mins

November 2025

Hindi(हिंदी)
English
Malayalam(മലയാളം)
Spanish(español)
Turkish(Turk)
Tamil(தமிழ்)
Bengali(বাংলা)
Gujarati(ગુજરાતી)
Kannada(ಕನ್ನಡ)
Telugu(తెలుగు)
Marathi(मराठी)
Odia(ଓଡ଼ିଆ)
Punjabi(ਪੰਜਾਬੀ)
Spanish(español)
Afrikaans
French(français)
Portuguese(português)
Chinese - Simplified(中文)
Russian(русский)
Italian(italiano)
German(Deutsch)
Japanese(日本人)

Translate

Share

-
+

Change font size