‘एक जीवन और एक ध्येय' वाले तीन मित्र भगतसिंह, सुखदेव और राजगुरु, इन तीनों की मित्रता क्रान्ति के इतिहास का स्वर्णिम अध्याय है। बसंती चोला के इन दीवानों की ऐसी मित्रता थी जो जीवन के अंतिम क्षण तक साथ थी और बलिदान के बाद भी एक साथ उनका स्मरण किया जाता है।
'मेरा रंग दे बसंती चोला' यह गीत प्रत्येक भारतीय हृदय को भारतमाता के प्रति अगाध प्रेम से भर देता है। यह वही गीत है जिसे गाकर हजारों क्रान्तिकारियों ने हंसते-हंसते देश की स्वतंत्रता के लिए अपने प्राणों का उत्सर्ग कर दिया। भगतसिंह, राजगुरु और सुखदेव इन तीनों क्रान्तिकारियों ने अपने बलिदानी जीवन से इस गीत को चरितार्थ कर दिया। यही कारण है कि ये महान बलिदानी भारत के युवाहृदय की धड़कन हैं। इन्हीं की प्रेरणा से हर कोई कह उठता है- 'मेरा रंग दे बसंती चोला ।' यह बसंती रंग का अर्थ क्या है?... बसंती रंग त्याग का प्रतीक है, जिस रंग को संन्यासी धारण करते हैं। केसरिया (भगवा) रंग जिसे भगतसिंह प्यार से बसंती रंग कहते थे।
भगतसिंह, सुखदेव और राजगुरु के जीवन के कुछ महत्वपूर्ण प्रसंगों को उनके बलिदान दिन पर स्मरण करें :-
जलियांवाला बाग
भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन में जलियांवाला बाग हत्याकांड अंग्रेजी शासन का क्रूर चेहरा का प्रत्यक्ष उदाहरण है। इस हत्याकांड को कोई भी भारतीय नहीं भूल सकता। इस घटना ने ही भारत के इतिहास में सशस्त्र क्रान्ति को मुखर किया।
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प्रेमकृष्ण खन्ना
स्थानिक विभूतियों की कथा - २५
स्वस्थ विश्व का आधार बना 'मिलेट्स'
मिलेट्स यानी मोटा अनाज। यह हमारे स्वास्थ्य, खेतों की मिट्टी, पर्यावरण और आर्थिक समृद्धि में कितना योगदान कर सकता है, इसे इटली के रोम में खाद्य एवं कृषि संगठन के मुख्यालय में मोटे अनाजों के अन्तरराष्ट्रीय वर्ष (आईवाईओएम) के शुभारम्भ समारोह के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदीजी के इस सन्देश से समझा जा सकता है :
जब प्राणों पर बन आयी
एक नदी के किनारे एक पेड़ था। उस पेड़ पर बन्दर रहा करते थे।
देव और असुर
बहुत पहले की बात है। तब देवता और असुर इस पृथ्वी पर आते-जाते थे।
हर्षित हो गयी वानर सेना
श्री हनुमत कथा-२१
पण्डित चन्द्र शेखर आजाद
क्रान्तिकारियों को एकजुट कर अंग्रेजी शासन की जड़ें हिलानेवाले अद्भुत योद्धा
भारत राष्ट्र के जीवन में नया अध्याय
भारत के त्रिभुजाकार नए संसद भवन का उद्घाटन समारोह हर किसी को अभिभूत करनेवाला था।
समान नागरिक संहिता समय की मांग
विगत दिनों से समान नागरिक संहिता का विषय निरन्तर चर्चा में चल रहा है। यदि इस विषय पर अब भी कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया तो इसके गम्भीर परिणाम आनेवाली सन्तति और देश को भुगतना पड़ सकता है।
शिक्षा और स्वामी विवेकानन्द
\"यदि गरीब लड़का शिक्षा के मन्दिर न आ सके तो शिक्षा को ही उसके पास जाना चाहिए।\"
लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक
२३ जुलाई, जयन्ती पर विशेष