युवाशक्ति नायक स्वामी विवेकानन्द ऐसे संन्यासी थे, जो निरन्तर समाज के उत्थान के लिए चिन्तित रहते थे। दरअसल, स्वामीजी संन्यास की उस भारतीय दृष्टि एवं व्यवस्था के प्रतिनिधि थे, जिसके अनुसार संन्यास आश्रम एकान्त में ईश्वर की खोज के लिए नहीं अपितु जो कुछ समाज से प्राप्त किया है, उसमें बढ़ोतरी कर समाज को लौटाने की अवस्था है। उस समय स्वामी विवेकानन्द ने देखा कि समाज में शिक्षा की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। शिक्षा के अभाव में जीवन के सभी क्षेत्रों में भी अंधकार पसर गया था। इसलिए स्वामीजी ने शिक्षा का उजियारा फैलाने के लिए निरन्तर प्रयास किए । किन्तु, वह शिक्षा को भारतीय दृष्टि से देखते थे। वह 'मनी मेकिंग' शिक्षा की बात नहीं करते, बल्कि 'मैन मेकिंग' शिक्षा को बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध दिखते रहे। वह शिक्षा को व्यक्ति निर्माण का साधन मानते थे।
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प्रेमकृष्ण खन्ना
स्थानिक विभूतियों की कथा - २५
स्वस्थ विश्व का आधार बना 'मिलेट्स'
मिलेट्स यानी मोटा अनाज। यह हमारे स्वास्थ्य, खेतों की मिट्टी, पर्यावरण और आर्थिक समृद्धि में कितना योगदान कर सकता है, इसे इटली के रोम में खाद्य एवं कृषि संगठन के मुख्यालय में मोटे अनाजों के अन्तरराष्ट्रीय वर्ष (आईवाईओएम) के शुभारम्भ समारोह के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदीजी के इस सन्देश से समझा जा सकता है :
जब प्राणों पर बन आयी
एक नदी के किनारे एक पेड़ था। उस पेड़ पर बन्दर रहा करते थे।
देव और असुर
बहुत पहले की बात है। तब देवता और असुर इस पृथ्वी पर आते-जाते थे।
हर्षित हो गयी वानर सेना
श्री हनुमत कथा-२१
पण्डित चन्द्र शेखर आजाद
क्रान्तिकारियों को एकजुट कर अंग्रेजी शासन की जड़ें हिलानेवाले अद्भुत योद्धा
भारत राष्ट्र के जीवन में नया अध्याय
भारत के त्रिभुजाकार नए संसद भवन का उद्घाटन समारोह हर किसी को अभिभूत करनेवाला था।
समान नागरिक संहिता समय की मांग
विगत दिनों से समान नागरिक संहिता का विषय निरन्तर चर्चा में चल रहा है। यदि इस विषय पर अब भी कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया तो इसके गम्भीर परिणाम आनेवाली सन्तति और देश को भुगतना पड़ सकता है।
शिक्षा और स्वामी विवेकानन्द
\"यदि गरीब लड़का शिक्षा के मन्दिर न आ सके तो शिक्षा को ही उसके पास जाना चाहिए।\"
लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक
२३ जुलाई, जयन्ती पर विशेष