प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का लालकिला से स्वतंत्रता दिवस का हर सम्बोधन व्यापक आकर्षण और बहस का विषय रहा है। जाहिर है, अमृत महोत्सव यानी अंग्रेजों से मुक्ति के ७५ वर्ष पूरा होने के अवसर के भाषण को विशिष्ट होना चाहिए था। स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री का दायित्व है कि वे अंग्रेजों के विरुद्ध मुक्ति के संघर्षों, बलिदानों की याद दिलाते हुए लोगों के अंदर यह भाव पैदा करें कि हमारे पूर्वजों ने अपनी बलि चढ़ा कर हमें आजादी दिलाई है ताकि हमें स्वतंत्रता के मूल्यों का आभास रहे। दूसरे, भारत राष्ट्र के लक्ष्य की दृष्टि से प्रधानमंत्री स्पष्ट रूपरेखा सामने रखें। तीसरे, स्वतंत्रता को अक्षुण्ण बनाए रखने एवं राष्ट्र के सर्वोपरि लक्ष्य को पाने की दृष्टि से हमारी चुनौतियां क्या है उन दिशाओं में देश कहाँ-कहाँ क्या कर रहा है तथा सामान्य भारतीय का दायित्व क्या है आदि पर भी प्रभावी ढंग से प्रकाश डालें। इन सारे पहलुओं की दृष्टि से विचार करें तो निष्पक्ष निष्कर्ष यही होगा कि अपने लगभग ८३ मिनट के भाषण में प्रधानमंत्री मोदी ने उन हरसम्भव प्रश्नों का उत्तर दिया जो लाल किला से दिया जाना आवश्यक था।
वास्तव में प्रधानमंत्री ने यदि हमारे स्वतंत्रता सेनानियों च मनीषियों का स्मरण करते हुए राष्ट्र व के प्रति उनका योगदान, उनके लक्ष्यों का आभास कराया तो यह भी विश्वास दिलाने की प्रयत्न किया कि भारत की अंतःशक्ति इतनी मजबूत है, इसमें वह क्षमता है कि आनेवाले समय में यह विश्व का श्रेष्ठतम देश बन सकेगा। हां, इसके लिए आवश्यक है कि भारतीय के नाते हम अपने दायित्वों के प्रति सचेत रहें उनका पालन करते रहें।
هذه القصة مأخوذة من طبعة Kendra Bharati September 2022 من Kendra Bharati - केन्द्र भारती.
ابدأ النسخة التجريبية المجانية من Magzter GOLD لمدة 7 أيام للوصول إلى آلاف القصص المتميزة المنسقة وأكثر من 9,000 مجلة وصحيفة.
بالفعل مشترك ? تسجيل الدخول
هذه القصة مأخوذة من طبعة Kendra Bharati September 2022 من Kendra Bharati - केन्द्र भारती.
ابدأ النسخة التجريبية المجانية من Magzter GOLD لمدة 7 أيام للوصول إلى آلاف القصص المتميزة المنسقة وأكثر من 9,000 مجلة وصحيفة.
بالفعل مشترك? تسجيل الدخول
प्रेमकृष्ण खन्ना
स्थानिक विभूतियों की कथा - २५
स्वस्थ विश्व का आधार बना 'मिलेट्स'
मिलेट्स यानी मोटा अनाज। यह हमारे स्वास्थ्य, खेतों की मिट्टी, पर्यावरण और आर्थिक समृद्धि में कितना योगदान कर सकता है, इसे इटली के रोम में खाद्य एवं कृषि संगठन के मुख्यालय में मोटे अनाजों के अन्तरराष्ट्रीय वर्ष (आईवाईओएम) के शुभारम्भ समारोह के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदीजी के इस सन्देश से समझा जा सकता है :
जब प्राणों पर बन आयी
एक नदी के किनारे एक पेड़ था। उस पेड़ पर बन्दर रहा करते थे।
देव और असुर
बहुत पहले की बात है। तब देवता और असुर इस पृथ्वी पर आते-जाते थे।
हर्षित हो गयी वानर सेना
श्री हनुमत कथा-२१
पण्डित चन्द्र शेखर आजाद
क्रान्तिकारियों को एकजुट कर अंग्रेजी शासन की जड़ें हिलानेवाले अद्भुत योद्धा
भारत राष्ट्र के जीवन में नया अध्याय
भारत के त्रिभुजाकार नए संसद भवन का उद्घाटन समारोह हर किसी को अभिभूत करनेवाला था।
समान नागरिक संहिता समय की मांग
विगत दिनों से समान नागरिक संहिता का विषय निरन्तर चर्चा में चल रहा है। यदि इस विषय पर अब भी कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया तो इसके गम्भीर परिणाम आनेवाली सन्तति और देश को भुगतना पड़ सकता है।
शिक्षा और स्वामी विवेकानन्द
\"यदि गरीब लड़का शिक्षा के मन्दिर न आ सके तो शिक्षा को ही उसके पास जाना चाहिए।\"
लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक
२३ जुलाई, जयन्ती पर विशेष