“क्या आपने तेय्यम् देखा है?”, ओट्टपालम् के डॉ. सेतुमाधवन् के एक परिचित सुनीश ने मुझे पूछा। “क्या है तेय्यम्?”, मैंने पूछा। “एक परम्परागत नृत्य जो कुछ विशेष लोग करते हैं।”, उन्होंने बताया।
“हाँ, मैं देखना चाहूँगी।”, मैंने कहा। “पर वह श्मशान में होगा... रात १२ बजे...।” मैं डर जाऊँगी ऐसा सोचकर वे बता रहे थे। परन्तु मैं इसके पूर्व भी श्मशान देख चुकी थी। उसमें से एक था जगन्नाथ पुरी का स्वर्गद्वार, जहाँ जान-बूझ कर हम रात १२ बजे गए थे। “हाँ, चलेगा।”, मैंने कहा।
बाद में ऐसा तय हुआ कि रात में तेय्यम् देखने से पहले ही दिन में मैं वह प्रसिद्ध श्मशान देख लूँ।
अतः, हम वहाँ ११ बजे के आस-पास गए । हमने देखा कि वहाँ आठ चिताएं जल रही थीं। तीन स्थानों पर लोग इकट्ठा होकर चिता जलाने से पूर्व कुछ क्रिया-कर्म कर रहे थे। दो बुझी हुई चिताओं पर रिश्तेदार अस्थि जमा कर रहे थे। इतने छोटे गाँव में इतना 'व्यस्त' श्मशान घाट देखकर मैं दंग रह गई! इसलिए फिर मैंने पूछताछ की और हमें जानकारी मिली कि यह एक बहुत ही विशेष, पवित्र और पुरातन श्मशान घाट।
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प्रेमकृष्ण खन्ना
स्थानिक विभूतियों की कथा - २५
स्वस्थ विश्व का आधार बना 'मिलेट्स'
मिलेट्स यानी मोटा अनाज। यह हमारे स्वास्थ्य, खेतों की मिट्टी, पर्यावरण और आर्थिक समृद्धि में कितना योगदान कर सकता है, इसे इटली के रोम में खाद्य एवं कृषि संगठन के मुख्यालय में मोटे अनाजों के अन्तरराष्ट्रीय वर्ष (आईवाईओएम) के शुभारम्भ समारोह के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदीजी के इस सन्देश से समझा जा सकता है :
जब प्राणों पर बन आयी
एक नदी के किनारे एक पेड़ था। उस पेड़ पर बन्दर रहा करते थे।
देव और असुर
बहुत पहले की बात है। तब देवता और असुर इस पृथ्वी पर आते-जाते थे।
हर्षित हो गयी वानर सेना
श्री हनुमत कथा-२१
पण्डित चन्द्र शेखर आजाद
क्रान्तिकारियों को एकजुट कर अंग्रेजी शासन की जड़ें हिलानेवाले अद्भुत योद्धा
भारत राष्ट्र के जीवन में नया अध्याय
भारत के त्रिभुजाकार नए संसद भवन का उद्घाटन समारोह हर किसी को अभिभूत करनेवाला था।
समान नागरिक संहिता समय की मांग
विगत दिनों से समान नागरिक संहिता का विषय निरन्तर चर्चा में चल रहा है। यदि इस विषय पर अब भी कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया तो इसके गम्भीर परिणाम आनेवाली सन्तति और देश को भुगतना पड़ सकता है।
शिक्षा और स्वामी विवेकानन्द
\"यदि गरीब लड़का शिक्षा के मन्दिर न आ सके तो शिक्षा को ही उसके पास जाना चाहिए।\"
लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक
२३ जुलाई, जयन्ती पर विशेष