यानी हर क्षेत्र में समरसता के रास्ते तलाशे जा रहे हैं। १६ अक्टूबर को गृहमंत्री अमित शाह भोपाल में चिकित्सा शिक्षा के पहले सत्र की पढ़ाई के लिए तैयार की गई हिन्दी माध्यम की पुस्तकों का विमोचन कर छात्रों को हिन्दी माध्यम से एमबीबीएस करने का रास्ता खोल दिया। देश में इंजीनियरिंग की पढ़ाई को आठ भारतीय भाषाओं में कराने की स्वीकृति पहले ही दी जा चुकी है। यह एक बड़ी शुरूआत है। इससे उन गरीब और वंचित छात्रों को लाभ मिलेगा जो हिन्दी माध्यम के विद्यालयों से पढ़कर आते हैं। स्पष्ट है, इन छात्रों में दलित और जनजाति वर्ग के छात्र अधिक होते हैं। अतएव इन जातीय समुदायों से आरक्षित सीटों से चुनाव जीत कर आनेवाले सांसद व विधायकों को जरूरत है कि मातृभाषाओं के माध्यम से चिकित्सा एवं तकनीकी शिक्षा प्राप्त छात्रों को नौकरी में गारंटी के नीतिगत उपाय के प्रावधान कराएं। जिससे तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन जैसे नेता हिन्दी विरोध के बहाने चिंगारी सुलगाएं तो इसे हवा न मिलने पाए। स्टालिन जैसे लोग अंग्रेजी के पक्षधर इसलिए हैं, जिससे हाशिए पर पड़े लोग मातृभाषाओं में पढ़कर देश की मुख्यधारा में नहीं आने पाएं।
वर्तमान वैश्विक परिदृश्य में हिन्दी अनेक विरोधाभासी स्थितियों से जूझ रही है। एक ओर उसने अपनी ग्राह्यता तथा तकनीकी श्रेष्ठता सिद्ध करके वैश्विक विस्तार पाया है और वह दुनिया भर में सबसे ज्यादा लोगों द्वारा बोली जानेवाली भाषा बन गई है। इसीलिए यह जनसम्पर्क और बाजार की उपयोगी भाषा बनी हुई है। इन्हीं कारणों के चलते इसकी अंतरराष्ट्रीय महत्ता स्वीकारी गई। अब संयुक्त राष्ट्र संघ की भी आधिकारिक भाषा हिन्दी बन गई है। ११८ देशों में हिन्दी बोली व समझी जाती है। तो फिर हिन्दी राष्ट्र संघ की आधिकारिक भाषा क्यों नहीं बनने जा रही? लगभग १५० देशों के विद्यालय व विश्वविद्यालयों में हिन्दी पढ़ाई जाती है।
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प्रेमकृष्ण खन्ना
स्थानिक विभूतियों की कथा - २५
स्वस्थ विश्व का आधार बना 'मिलेट्स'
मिलेट्स यानी मोटा अनाज। यह हमारे स्वास्थ्य, खेतों की मिट्टी, पर्यावरण और आर्थिक समृद्धि में कितना योगदान कर सकता है, इसे इटली के रोम में खाद्य एवं कृषि संगठन के मुख्यालय में मोटे अनाजों के अन्तरराष्ट्रीय वर्ष (आईवाईओएम) के शुभारम्भ समारोह के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदीजी के इस सन्देश से समझा जा सकता है :
जब प्राणों पर बन आयी
एक नदी के किनारे एक पेड़ था। उस पेड़ पर बन्दर रहा करते थे।
देव और असुर
बहुत पहले की बात है। तब देवता और असुर इस पृथ्वी पर आते-जाते थे।
हर्षित हो गयी वानर सेना
श्री हनुमत कथा-२१
पण्डित चन्द्र शेखर आजाद
क्रान्तिकारियों को एकजुट कर अंग्रेजी शासन की जड़ें हिलानेवाले अद्भुत योद्धा
भारत राष्ट्र के जीवन में नया अध्याय
भारत के त्रिभुजाकार नए संसद भवन का उद्घाटन समारोह हर किसी को अभिभूत करनेवाला था।
समान नागरिक संहिता समय की मांग
विगत दिनों से समान नागरिक संहिता का विषय निरन्तर चर्चा में चल रहा है। यदि इस विषय पर अब भी कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया तो इसके गम्भीर परिणाम आनेवाली सन्तति और देश को भुगतना पड़ सकता है।
शिक्षा और स्वामी विवेकानन्द
\"यदि गरीब लड़का शिक्षा के मन्दिर न आ सके तो शिक्षा को ही उसके पास जाना चाहिए।\"
लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक
२३ जुलाई, जयन्ती पर विशेष