भारत को स्वतंत्रता यूं ही नहीं मिली। भारत की स्वाधीनता के लिए लाखों वीरों ने अपना बलिदान दिया। यातनाओं का ऐसा विवरण है कि रौंगटे खड़े हो जाएं। ऐसे ही महान क्रान्तिकारी थे बंगाल के सूर्यसेन, जिन्हें अंग्रेजों ने मरते दम तक असहनीय यातनाएं दी थीं। अविभाजित बंगाल का चटगांव (अब बांग्लादेश में स्थित है) में सूर्यसेन का जन्म २२ मार्च, १८६४ को हुआ था। क्रान्तिकारी सूर्यसेन को "द हीरो ऑफ चटगांव" के नाम से भी जाना जाता है।
अंग्रेजी सरकार क्रान्तिकारी सूर्य सेन से इतना भय खाती श्री, और नफरत करती श्री कि उन्हें फाँसी देने से पहले भी कठोर यातनाएं दी गई और जब वे बेहोश हो गए तब उन्हें बेहोशी की हालत में ही फांसी पर चढ़ाया गया था। कुछ इतिहासकारों का मानना है कि क्रान्तिकारी सूर्यसेन के प्राण यातनाओं में ही निकल गए थे। उनकी मृत देह को ही फाँसी पर लटकाया गया। उन पर अंग्रेजों शासन द्वारा की गई यह अमानवीय बर्बरता की पराकाष्ठा श्री कि क्रान्तिकारी सूर्यसेन को फांसी के फंदे पर लटकाने से पहले हाथों के नाखून उखाड़े गए, उनके दांतों को तोड़ दिये गए, उनकी जिटवा काटी गई, ताकि वे वन्दे मातरम् का उदघोष न कर सकें। ये यातनाएं उनके बलिदान के अन्तिम दिन की है। जेल में एक दिन भी ऐसा न बीता जब उन्हें यातनाएं न दी गयी हों। यह यातनाएं उनसे साथियों के नाम पूछने के लिए दी गयी थी। पर असहनीय यातनाओं के बीच भी उन्होंने किसी का नाम न बताया और मातृभूमि को स्वतंत्रता दिलाने के लिए यह सब झेला।
هذه القصة مأخوذة من طبعة March 2023 من Kendra Bharati - केन्द्र भारती.
ابدأ النسخة التجريبية المجانية من Magzter GOLD لمدة 7 أيام للوصول إلى آلاف القصص المتميزة المنسقة وأكثر من 9,000 مجلة وصحيفة.
بالفعل مشترك ? تسجيل الدخول
هذه القصة مأخوذة من طبعة March 2023 من Kendra Bharati - केन्द्र भारती.
ابدأ النسخة التجريبية المجانية من Magzter GOLD لمدة 7 أيام للوصول إلى آلاف القصص المتميزة المنسقة وأكثر من 9,000 مجلة وصحيفة.
بالفعل مشترك? تسجيل الدخول
प्रेमकृष्ण खन्ना
स्थानिक विभूतियों की कथा - २५
स्वस्थ विश्व का आधार बना 'मिलेट्स'
मिलेट्स यानी मोटा अनाज। यह हमारे स्वास्थ्य, खेतों की मिट्टी, पर्यावरण और आर्थिक समृद्धि में कितना योगदान कर सकता है, इसे इटली के रोम में खाद्य एवं कृषि संगठन के मुख्यालय में मोटे अनाजों के अन्तरराष्ट्रीय वर्ष (आईवाईओएम) के शुभारम्भ समारोह के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदीजी के इस सन्देश से समझा जा सकता है :
जब प्राणों पर बन आयी
एक नदी के किनारे एक पेड़ था। उस पेड़ पर बन्दर रहा करते थे।
देव और असुर
बहुत पहले की बात है। तब देवता और असुर इस पृथ्वी पर आते-जाते थे।
हर्षित हो गयी वानर सेना
श्री हनुमत कथा-२१
पण्डित चन्द्र शेखर आजाद
क्रान्तिकारियों को एकजुट कर अंग्रेजी शासन की जड़ें हिलानेवाले अद्भुत योद्धा
भारत राष्ट्र के जीवन में नया अध्याय
भारत के त्रिभुजाकार नए संसद भवन का उद्घाटन समारोह हर किसी को अभिभूत करनेवाला था।
समान नागरिक संहिता समय की मांग
विगत दिनों से समान नागरिक संहिता का विषय निरन्तर चर्चा में चल रहा है। यदि इस विषय पर अब भी कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया तो इसके गम्भीर परिणाम आनेवाली सन्तति और देश को भुगतना पड़ सकता है।
शिक्षा और स्वामी विवेकानन्द
\"यदि गरीब लड़का शिक्षा के मन्दिर न आ सके तो शिक्षा को ही उसके पास जाना चाहिए।\"
लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक
२३ जुलाई, जयन्ती पर विशेष