पैसा और रिश्ते ऐसे बैठाएं तालमेल
Grihshobha - Hindi|August Second 2022
जिंदगी जीने के लिए पैसा ही काम आता है, मगर यह भी तो नहीं कि रिश्तों की अहमियत ही खत्म कर दें...
रंभा
पैसा और रिश्ते ऐसे बैठाएं तालमेल

एक पुरानी लोकोवित है 'जब गरीबी दरवाजे पर आती है तो प्यार खिड़की से कूद कर भाग जाता है.' वाकई कहने वाले ने सच ही कहा है. रिश्ते में समर्पण, श्रद्धा, ईमानदारी प्यार की वजह से होती है. पर यह प्यार पैसों के अभाव में खत्म हो जाता है. एक समय ऐसा था जब संबंध और उस की संवेदनशीलता ही महत्त्वपूर्ण मानी जाती थी.

रिश्ते बनते ही पैसों के तराजू में तोलने के बाद, संबंध बनाने की कोशिश शुरू करने से पहले उन में एकदूसरे के स्टेटस सिंबल को पहले आंका जाता है. यहां तक कि अपने रिश्तेदारों से भी भविष्य में संबंध बनाए रखने के लिए दोनों के आर्थिक स्तर को पहले तोला जाता है.

जिंदगी जीने के लिए जरूरत और सुविधा की चीजों को समेटने में पैसा ही काम आता है. सारी चीजों का मूल्य इसी पैसे के बदले तोला जाता है. वक्त के साथसाथ व्यक्ति के मूल्य को भी पैसे से ही आंका जाता है. जाहिर है संबंधों के फैले हुए तानेबाने भी इसी के इर्दगिर्द घूमने लगे.

यह जान कर भी कि जीवन जीने के लिए रोटी, कपड़ा और मकान के अलावा आसपास सुखद संबंध और उन का एहसास भी बहुत जरूरी होता है. अच्छे रिश्ते न केवल हमें हरदम भीतर से भरापूरा एहसास कराते हैं, साथ ही वक्तबेवक्त हमारी मदद भी करते हैं. यह अलग बात है कि रिश्तों में भी कैलकुलेशन होना नैचुरल है.

هذه القصة مأخوذة من طبعة August Second 2022 من Grihshobha - Hindi.

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