फिल्म 'आयशा' से निर्देशक राजश्री ओझा ने हिंदी सिनेमा में अपनी एक अलग पहचान बनाई है. बिना किसी फिल्मी पृष्ठभूमि के हिंदी सिनेमा में आने वालों को जो संघर्ष करना पड़ता है, वैसा ही संघर्ष राजश्री ने भी किया, लेकिन इस दौरान उन का सब से बड़ा मानसिक सहारा बने उन के पिता प्रमोद ओझा. जब उन की पहली फिल्म 'चौराहे के निर्माता ने बीच में ही हाथ खींच लिए, तो उन के पिता ने ही यह फिल्म पूरी कराई. सोनी लिव पर उन की वैब सीरीज 'पौटलक' काफी लोकप्रिय सीरीज है.
होती है कहानी की चुनौती
वैब सीरीज बनाने की चुनौती के बारे में पूछने पर खूबसूरत, विनम्र, हंसमुख राजश्री ओझा बताती हैं, "मुझे निर्देशक के रूप में यह देखना पड़ता है कि कहानी से खुद को दर्शक जोड़ सकें. 'पौटलक' एक परिवार की कहानी है, इस में दर्शकों को सीरीज को देखते हुए लगना चाहिए कि वे अपने आसपास ऐसे कुछ लोगों को जानते हैं. मैं ने आसपास कई ऐसे चरित्र देखे हैं और उन्हीं से प्रेरित हूं. इस के दूसरे सीजन में चरित्र को आगे आ कर अपनी कहानी कहने का मौका मिला है."
मिली प्रेरणा
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