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नया भूसा कितना फायदेमंद
किसान अकसर यह शिकायत करते मिल जाते हैं कि जब से उन्होंने नया भूसा खिलाना शुरू किया है, तब से कुछ पशुओं को दस्त लग गए हैं. नए भूसे में ऐसा क्या है, जिस के कारण पशु को दस्त लग जाते हैं? कुछ लोग कहते हैं कि नया भूसा गरमी करता है. गरमीसर्दी कुछ नहीं करता, आज आप को समझाते हैं कि नए भूसे से पशुओं को दस्त क्यों लग जाते हैं.
पोल्ट्री किसानों के लिए सलाह
कोरोना महामारी की वजह से पोल्ट्री उद्योग को भारी नुकसान उठाना पड़ा है, इस नुकसान वृद्धि सोशल मीडिया की कई मिथक और गलत धारणाओं के फैलने के कारण हुआ है, जिस का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं था. मुरगीपालकों ने इस दौरान ब्रायलर 5 से 10 रुपए किलो और अंडा 1-1.3 रुपए प्रति अंडा बेचा, जबकि 1 किलो ब्रायलर उत्पादन में 72 से 75 रुपए तक लागत आती है और अंडा उत्पादन में 3.25 रुपए की लागत आती है. इस प्रकार पोल्ट्री उद्योग को हुए घाटे ने इस उद्योग को खत्म सा कर दिया है, जिसे हमें फिर से स्थापित करना होगा ताकि उचित कीमत पर मांस व अंडा लोगों को उपलब्ध हो सके.
कोरोना काल में कैसे अपने आप को स्वस्थ और सुरक्षित रखें
इस समय जब कोरोना का कहर हमारे देश समेत पूरी दुनिया में फैल रहा है तो यह बहुत जरूरी है कि हम अपनेआप को और अपने परिवार को स्वस्थ और सुरक्षित रखने के लिए अपनी दिनचर्या में कुछ जरूरी बदलाव करें.
सब्जी का बीज ऐसे करें तैयार
बीज एक छोटी जीवित संरचना है, जिस में पौधा ऊतकों की कई परतों से ढका हुआ नींद में रहता है और जो सही माहौल जैसे नमी, ताप, हवा और रोशनी व मिट्टी के संपर्क से नए पौधों के रूप में विकसित हो जाता है. भारत में किसान परिवारों की संख्या बहुत सारे पश्चिमी देशों की कुल जनसंख्या से भी ज्यादा है. ऐसे में किसानों को अधिक पैदावार के लिए अच्छी क्वालिटी वाले बीज सही मात्रा में सही समय पर सही कीमतों के साथ मुहैया कराना जरूरी है.
माइक्रोग्रीस उगा कर करें ऐंजौय
देश में अभी लौकडाउन है. महीनेभर का समय गुजर चुका है. लेकिन अभी नहीं लगता कि हाल के दिनों में लौकडाउन से मुक्ति मिल जाएगी.
तो क्या टिड्डी दल सारी हरियाली चट कर जाएगा?
बहरों को सुनाने के लिए ऊंची आवाज की जरूरत पड़ती है, यह बात शहीद भगत सिंह ने कही थी. चूंकि पर्यावरण संकट की शुरुआती चेतावनियां नजरअंदाज कर दी गईं, इसलिए शायद कुदरत ने भी अपनी आवाज ऊंची कर ली है. कोरोना महामारी, अंफान तूफान के बाद अब टिड्डी दलों का हमला भी लोगों की मुसीबत बढ़ाने के लिए तैयार बैठा है.
आत्मनिर्भरता की मिसाल बन रहा है किसान विजय
आत्मनिर्भरता की मिसाल बन रहा है किसान विजय
गमलों में टैरेस गार्डन बनाने की तकनीक
दुनिया में कई देशों को अपनी चपेट में ले चुके कोरोना वायरस को विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्लूएचओ ने एक महामारी ऐलान कर दिया है.
फसलों के लिए लाभकारी ग्रीष्मकालीन जुताई
गरमी की गहरी जुताई का मतलब तेज धूप में खेत के ढाल के आरपार खास तरह के यंत्रों से गहरी जुताई कर के खेत की ऊपरी परत को गहराई तक खोदना और नीचे की मिट्टी को पलट कर ऊपर ला कर सूरज की तपती किरणों में तपा कर कीटाणुरहित करना है.
समय, धन और ऊर्जा की बचत धान की सीधी बोआई
महामारी कोविड-19 से खेती में श्रमिकों की उपलब्धता कम हुई है. ऐसे में धन, ऊर्जा, मानवशक्ति, पानी की बचत और उत्पादन लागत में कमी कर के अधिक उत्पादन के लिए चावल की सीधी बोआई द्वारा खेती कर किसान अधिक लाभ कमा सकते हैं.
अपनी दुधारू गाय खुद तैयार कीजिए
किसी भी डेरी की कामयाबी के लिए जरूरी है कि उस में अच्छी दुधारू गाएं हों. दुधारू गाएं बाजार से खरीद कर लाने से बेहतर है कि अपनी खुद की दुधारू गाय तैयार की जाए.
गरमी में अंडा देने वाली मुरगियों का प्रबधन
पशुपालन एवं कृषि संबंधित सारे काम कोरोना वायरस से बचाव के उपायों को ध्यान में रखते हुए जैसे मास्क लगाना, एकदूसरे से कम से कम एक मीटर दूरी बनाए रखना, हाथों को बारबार साबुन से साफ करना आदि उपायों को ध्यान में रख कर ही करें.* डा. नागेंद्र कुमार त्रिपाठी
जूट की उन्नत खेती से बढाएं आमदनी
हमारे देश में खाद्यान्न भंडारण के लिए जूट के बोरों की बेहद कमी के चलते हर साल हजारों टन अनाज बुरी तरह से बरबाद हो जाता है, जबकि आज भी भारत दुनिया के सब से बड़े जूट उत्पादक देश के रूप में मशहूर है. लेकिन हाल के कुछ सालों में देश में जूट की खेती में भारी कमी देखने को मिल रही है, जबकि जूट और उस से बने उत्पादों की मांग में लगातार बढ़ोतरी हुई है.
मौसमी फलों का सेवन
वैश्विक महामारी कोरोना के दृष्टिगत कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा यह अपेक्षा की जाती है कि आप लोग अपने को स्वस्थ रखते हुए ही अपने कृषि कार्यों को पूरा करें और मौसमी फलों का सेवन करें. फलों के सेवन से शरीर रहेगा फिट, जानें किस फल से क्या लाभ होता है,
लू से बचाव के घरेलू नुसखे
गरमी के दिनों में तेज धूप के कारण वातावरण की नमी पूरी तरह नष्ट हो जाती है. इन दिनों में सूर्य की पराबैंगनी किरणों का शरीर पर विपरीत प्रभाव पड़ता है, जिस से शरीर का तापमान बढ़ जाता है. इस कारण शरीर में नियंत्रण की प्रक्रिया बंद हो जाती है.
लेजर लैंड लैवलर खेत करे एकसार
अच्छी पैदावार और लागत कम करने के लिए खेत का समतल होना जरूरी है. पर क्यों?
लौकडाउन मे जी उठी यमुना
करोड़ों रुपए खर्च कर के जो काम न हो पाया, वह काम महज चंद दिन के लौकडाउन ने कर दिया. दिल्ली में यमुना जी उठी है. यमुना फिर से सांसें ले रही है. फिर से नीली दिख रही है. इस में मछलियां अठखेलियां करती नजर आ रही हैं.
लौकडाउन में पशुओं की देखभाल
आज पूरे देश में वैश्विक महामारी कोरोना के कारण पूरे देश में लौकडाउन की स्थिति है. आप लोग भी अपनी फसलों को काट कर भंडारित करने की तैयारी कर रहे होंगे और अपने दुधारू पशुओं की देखभाल में लगे होंगे.
खेतों में सड़ रही किसानों की सब्जियां
महामारी बने कोरोना वायरस के चलते लगाए गए लौकडाउन ने सभी को प्रभावित किया है, लेकिन जिस के कंधे पर घरों में बैठे लोगों के पेट भरने का दारोमदार है, उन की सरकार से छूट मिलने के बाद भी हालत खराब होती जा रही है. इस में जिन पर सब से ज्यादा असर पड़ रहा है, वे हैं सब्जी किसान.
कोविड-19 प्रकोप के दौरान पोषण सलाह
सम्मानित किसान भाइयो व बहनो, कोरोना की इस महामारी के दौर में अपनेआप को सुरक्षित रखते हुए हमारी महिलाओं को अपने व अपने परिवार के सदस्यों के शरीर को चुस्तदुरुस्त रखने के लिए उचित पोषण व संतुलित आहार लेना बहुत जरूरी है. इस से आप में मजबूत प्रतिरक्षा प्रणाली बनती है और आप को सेहतमंद रखती है.
लौकडाउन में इस विधि से करें भंडारण सुरक्षित रहेगा अनाज
इस समय किसानों ने सरसों, चना, अलसी, गेहूं की कटाई शुरू कर दी है. फसलों की कटाई के बाद कुछ समय के लिए इन का भंडारण करना होता है. यह समय कटाई से अगली बोआई तक या कटाई से बेचने तक होता है.
खेती से बढ़ेगी किसान की आय
धान, गेहूं जैसी परंपरागत फसलों में बढ़ती लागत और कम आमदनी के चलते किसान इन सभी परंपरागत फसलों को कम और ऐसे फसलों को ज्यादा तवज्जुह दे रहे हैं, जिन्हें एक बार लगाने पर कई बार आमदनी हो पाए. सहजन (सोजाना, साईजन, मोरिंगा और इंगलिश में ड्रमस्टिक्स) ऐसी ही फसलों में से एक है.
कृषि यंत्रों से खेती बने रोजगार का जरिया भी
कम होती खेती की जमीन, युवाओं का खेती से मुंह मोड़ कर शहरों की ओर कामधंधे की तलाश में पलायन करना आम बात है. देश के सब से ज्यादा पलायन करने वाले राज्यों में बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश जैसे राज्य हैं.
आदर्श पोषण वाटिका घर आगन मे उगाएं सब्जियां
रसोईघर की बाड़ या पोषण वाटिका या फिर गृह वाटिका उस वाटिका को कहा जाता है, जो घर के अगलबगल में हो. यह वाटिका घर के आंगन में ऐसी खुली जगह पर होती है, जहां पारिवरिक मेहनत से, परिवार के इस्तेमाल के लिए विभिन्न मौसमों में मौसमी फल और विभिन्न सब्जियां उगाई जाती हैं.
सब्जियों में सिंचाई
सब्जियों का 90 फीसदी या इस से ज्यादा भाग जल से बना होता है. ऐसे में सब्जियां जल के प्रति अति संवेदनशील होती हैं. ज्यादा सिंचाई और कम सिंचाई दोनों ही हालात सब्जियों पर भारी पड़ते हैं. जल पोषक तत्त्वों के लिए विलेय का काम करता है. जल से सारे पोषक तत्त्व पूरे पौधे तक पहुंच पाता है.
गेहूं कटाई से मंडी तक सावधानी
गेहूं कटाई से मंडी तक सावधानी
अच्छी मिटटी से मिले अच्छी पैदावार
मिट्टी और पानी खेती के आधार हैं. अगर मिट्टी का मिजाज फसल के मुताबिक न हो तो अच्छी फसल नहीं हो सकती. पेश हैं मिट्टी की सेहत से जुड़ी अहम जानकारियां.
सब्जियों की संकर किस्में
राष्ट्रीय बागबानी अनुसंधान संस्थान एवं विकास प्रतिष्ठान 35 सालों से किसानों के लिए सब्जी की खेती पर खासा सहयोग कर रहा है, खासकर के प्याज, लहसुन, टमाटर, लोबिया, मटर, धनिया, मेथी, सहजन जैसी सब्जियां का बेहतर बीज भी मुहैया करा रहा है.
फायदेमंद भिंडी
हमारे देश में भिंडी सब से ज्यादा लोकप्रिय सब्जी मानी जाती है. इस की सब्जी को कई तरह से तैयार कर के पकवान के रूप में इस्तेमाल किया जाता है.
तालाब की मिट्टी से बढ़ती है खेत की पैदावार
दुनियाभर में 60 तरह की मिट्टी पाई जाती है, जिस में से 46 तरह की मिट्टी भारत में पाई जाती है. उन मिट्टियों में से कुछ ही तरह की मिट्टी में खेती से अच्छी पैदावार ली जा सकती है.