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चुनौती धरतीपुत्रों की
उत्तर प्रदेश (यूपी) एक ऐसा सूबा माना जाता है जहां से केंद्र की सत्ता का रास्ता निकलता है. आज की तारीख में इस तथ्य को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से बेहतर शायद ही कोई सियासी दल जानता होगा. लेकिन यूपी से सत्ता का गलियारा निकालने के लिए भाजपा को जिस सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की जरूरत पड़ती है, वह माहौल तैयार किए बिना उसकी राह मुश्किल रही है.
यही है असल इंजन
मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर वृद्धि का ताकतवर इंजन हो सकता है, भारत में नियम-कानूनों की भरमार, नीतियों को लेकर अनिश्चितता और गिनती के नवाचारों ने इस क्षेत्र को निचले गियर में अटका रखा है
फिर पकड़ी रफ्तार
1950 के दशक से ही सेवा क्षेत्र लगातार प्रगति के रास्ते पर रही, लेकिन महामारी की सबसे बुरी मार इस पर पड़ी
पाइप वाला पेयजल
सभी देशवासियों के लिए स्वच्छ और सुरक्षित पेयजल की उपलब्धता सुनिश्चित कराने के लिए सरकार मिशन मोड पर काम कर रही है
नया गणतंत्र
बीते 71 सालों में गर्व करने लायक बहुत कुछ है तो परेशान करने वाली भी बहुत-सी चीजें हैं. गणतंत्र के 75 वर्ष के लिए हमें जरूरत है ग्रोथ को तेज रफ्तार करने के आमूलचूल नए एजेंडे की
ज्यादा जोर लगाने की जरुरत
हमारे निर्यात में कौन अड़चनें डालता है? बुनियादी ढांचे की बाधाएं, हमारी फर्मों की बड़े स्तर पर उत्पादन की असमर्थता, आयात पर भारी शुल्क जिससे तैयार वस्तुओं पर मुनाफा बहुत कम हो जाता है, यह एक अंतहीन सूची है
पंख खुलने का इंतजार
महिलाओं को उनका हक देने की शुरुआत सामाजिक धारणाओं में बदलाव और समान अवसर पैदा करके होनी ही चाहिए
जीत की जंग
दुश्मन दरवाजे पर खड़ा है और सशस्त्र बल अपनी सैन्य मशीन को आधुनिक बनाने की जबरदस्त चुनौती से दो-चार
कयामत की सुइयां कैसे रुकें
हम एकजुट होकर कारगर कदम नहीं उठा पाए तो जलवायु परिवर्तन मानव जीवन के लिए बनने जा रहा है सबसे बड़ा खतरा
काम का इंतजार
महामारी ने अभूतपूर्व रोजगार संकट पैदा कर दिया, सरकार को रोजगार सृजन पर ज्यादा जोर देने की दरकार
आंदोलन का बंटाधार?
गणतंत्र दिवस पर हुई हिंसक घटनाओं की वजह से किसानों के आंदोलन की विश्वसनीयता घटी है और इससे सरकार के साथ सौदेबाजी की उनकी ताकत पर असर पड़ेगा
संभावनाएं अपार
अनुसंधान और विकास पर खर्च बढ़ाकर भारत की स्वाभाविक वैज्ञानिक प्रतिभा के बूते आने वाले सालों में उम्दा नतीजे हासिल किए जा सकते हैं
किसको मिला मेरा डेटा?
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अब बाइडन से लगी आस
देश का मिज़ाज सर्वेक्षण के उत्तरदाता मानते हैं कि नए अमेरिकी राष्ट्रपति भारत के लिए अनुकूल हैं. लेकिन सीमाओं पर चीन से भारत को जो चुनौती मिल रही है क्या जो बाइडन उसे हल करने में तत्परता दिखाएगे?
हिंदुत्व का ज्वार
कोविड, नकारात्मक आर्थिक उन्नति और चीनी अतिक्रमण के बावजूद, लोगों का नरेंद्र मोदी पर विश्वास बना हुआ है. उनकी पार्टी के दक्षिणपंथी एजेंडे के लिए भी समर्थन बढ़ रहा है.
बुरे दिन बीते रे भैया
मोदी सरकार की कोविड से निबटने की रणनीति को लोगों ने सराहा. अब टीकाकरण अभियान को लेकर भी सर्वे के प्रतिभागी बड़े उत्साह के साथ भरोसा जता रहे हैं
बागडोर पर सधी पकड़
कोविड-19 और लॉकडाउन ने अर्थव्यवस्था पर गहरे और स्थायी निशान छोड़े हैं, लेकिन देश का मिजाज सर्वेक्षण में लोगों ने सरकार पर भरोसा और यकीन जताया कि वह मौजूदा संकट से निजात दिलाकर फिर गाड़ी पटरी पर ले आएगी
संभावनाओं का समुंदर
ओडिशा में ईको टूरिज्म नेचर कैंप और ईको रीट्रीट के जरिए पर्यटन को बढ़ावा देने से राज्य में पर्यटक और निवेशक, दोनों की दिलचस्पी बढी
खुलकर खर्च करने का वक्त
2021 के बजट पर टिकी हैं भारी उम्मीदें-सरकार को चाहिए कि अर्थव्यवस्था को गिरते ग्रोथ, मांग और निवेश की दलदल से उबारे
गठबंधन की ढीली पड़ती गांठ
पटना में जनता दल (यूनाइटेड) के दफ्तर में 7 जनवरी को एक अहम शख्स पधारे. भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव और पार्टी के बिहार प्रभारी भूपेंद्र यादव आधिकारिक तौर पर तो जद (यू) के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष रामचंद्र प्रसाद सिंह को बधाई देने आए थे, जिन्होंने 27 दिसंबर को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से अध्यक्ष का पदभार संभाला था, लेकिन उस मुलाकात के कई और मायने भी थे.
उम्मीदों का टीका
विशाल पैमाने पर कोविड वैक्सिनेशन कार्यक्रम को लेकर अधिकारी भरोसे से लबरेज, मगर जमीन पर कई चुनौतियां बाकी
कानून और अव्यवस्था
सरकार और किसानों के बीच गतिरोध को खत्म करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने की पहल. लेकिन किसान कृषि कानूनों को रद्द करने से कम पर किसी सूरत में मानने को तैयार नहीं
दीदी का मुस्लिम प्लान
मुसलमानों के प्रतिनिधि समूहों के उभार ने ममता के पुख्ता वोटबैंक पर खतरा पैदा कर दिया है. बंगाल की मुख्यमंत्री इसे कैसे वापस अपने पाले में लाएंगी?
भारत के लिए सबसे बड़ा अवसर
आर्थिक मोर्चे पर मुकाबला ही 21वीं सदी का “ग्रेट गेम” होने वाला है. भारत को वैश्विक प्रतिस्पर्धाओं के लिए अपने द्वार खोलने होंगे. इससे अल्पावधि में रचनात्मक क्षति तो होती है लेकिन दीर्घावधि में यह आर्थिक शक्ति बनने की ओर अग्रसर करता है
महामारी ने दे दिए बड़े सबक
समस्या के हल को लेकर भारत के नजरिए ने कोविङ-19 की जंग में मदद की. अब आगे उसे स्वास्थ्य पर प्रति व्यक्ति खर्च बढ़ाने, नई बीमारियों और उससे जुड़ी चिंताओं को प्राथमिकता के आधार पर पहचानने, उससे निबटने को एक अलग कार्यबल बनाने, प्राथमिक स्वास्थ्य के स्तर पर डिलिवरी सिस्टम मजबूत करने और बीमारियों से लड़ने को तकनीक का इस्तेमाल अपनी ताकत बढ़ाने के संदर्भ में करने की जरूरत
महामारी के बाद की दुनिया के लिए पांच सबक
महामारी के बाद थोड़ी कम एकध्रुवीय, ज्यादा डिजिटल और पहले से अधिक तेज गति से चलती दुनिया हमारा इंतजार कर रही है. लेकिन इस परिवर्तन के कारण पैदा हुआ तनाव और बढ़ी हुई असमानता, अंतरराष्ट्रीय सहयोग की ओर लौटने की मांग भी करेगी
कैसे बचाई जाए जान
कोविड वैक्सीन
आर या पार का साल
साल 2021 में नरेंद्र मोदी के कामकाज से यह तय होगा कि वे राजनीतिज्ञ की तरह उभरेंगे या फिर उनके लिए 2024 की राह मुश्किल हो जाएगी. विपक्ष के लिए भी शायद यह आखिरी मौका होगा कि वे एकजुट होकर मोदी का विजय रथ रोक लें
क्रांति तो डिजिटल से ही होगी
जब सामान्य मीडिया सक्रियता थम गई थी, उद्यमियों और सृजनशील लोगों की एक नई पीढ़ी ने आगे बढ़कर कमान संभाल ली लेकिन डिजिटल ग्रोथ के अवसरों को विचारहीन नियम-कायदे बर्बाद कर सकते हैं
अब परिदों की शामत
संहार बर्ड फ्लू की वजह से केरल में 5 जनवरी को बत्तखों को मारने के लिए पकड़ते स्वास्थ्य कर्मचारी