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शनि निर्धारित करेंगे आप नौकरी करेंगे या कराएँगे
शिक्षा पूर्ण हो जाने के पश्चात् प्रत्येक व्यक्ति के मन में यह विचार जन्म लेता है कि व्यक्ति विशेष के लिए नौकरी करना सही रहेगा अथवा व्यवसाय करने से उसे अधिक सफलता मिलेगी? प्रत्येक व्यक्ति को अपना जीवन निर्वाह करने के लिए धन की आवश्यकता होती है। कोई व्यक्ति नौकरी करेगा अथवा किसी अन्य से कराएगा? यह जानने में ज्योतिष शास्त्र विशेष भूमिका निभा सकता है।
शनिदोष निवारण हेतु सरल एवं प्रभावी उपाय शनि ढैया एवं साढ़ेसाती निवारक पैकेज
इस पैकेज को किसी भी लग्न या राशि वाला व्यक्ति धारण किया जा सकता है। इससे किसी भी प्रकार के विपरीत परिणाम प्राप्त नहीं होते।
सही व्यापार की सही राह कुण्डली से जानें
आज जो व्यक्ति नौकरी में है, वह भी यह अवश्य जानना चाहता है कि उसके लिए कौन-सा व्यापार करना उत्तम रहेगा। भले ही व्यापार करने की स्थिति में वह न हो, परन्तु व्यापार का क्षेत्र जानने की जिज्ञासा हम सभी को जीवन के किसी न किसी मोड़ पर अवश्य रहती है ...
भगवान नृसिंह की उपासना से अभीष्ट सिद्धि
महर्षि पराशर ने अपने ग्रन्थ बृहत्प- म राशरहोराशास्त्र में भगवान् विष्णु के नृसिंह अवतार को पूर्णावतार कहा है। वे लिखते हैं कि राम, कृष्ण, नृसिंह और वराह ये चार पूर्ण अवतार हैं। इनसे भिन्न जो अवतार हैं, वे जीवांश से युक्त होते हैं :
कोरोना वायरस और ज्योतिष
इस लेख का प्रथम भाग २ ज्योतिष सागर' अप्रैल, 2020 अंक में प्रकाशित हुआ है, अब उससे आगे का भाग प्रस्तुत है।
'ज्योतिष सागर' ने दिए थे इस महासंकट के संकेत
कोविड-19 जनित वर्तमान महासंकट क्या अप्रत्याशित है? क्या ज्योतिर्विद इसका पूर्वाकलन नहीं कर पाए थे? क्या ग्रहों के संकेतों को समझने में ज्योतिर्विद असमर्थ रहे थे? इन सभी प्रश्नों के उत्तर 'न' में ही हैं।
नाभाजी का परिचय
नाभा जी के जीवन के सम्बन्ध में न तो उनकी रचनाओं से और न ही समकालिक ग्रन्थों से जानकारी मिलती है। प्रियादास जी ने ही सर्वप्रथम उनके सम्बन्ध में थोड़ा-बहुत लिखा है और उसी को आधार बनाकर बाद के टीकाकारों ने नाभाजी का जीवन परिचय दिया।
बुद्ध के गुणों का पावन संदेश
जो व्यक्ति बुद्ध होता है, वह सम्यक् जा सम्बोधि हासिल कर लेता है, वह अनन्त गुणों से भर जाता है। उसके गुणों का ध्यान करते-करते धर्म उजागर होने लगता है। ऐसे में बुद्ध के गुणों का वर्णन करने वाले एक-एक शब्द को समझना आवश्यक है। जो इस प्रकार हैं :
सपनों में इन्द्रियातीत ज्ञान !
प्राचीन काल से ही सपनों का रहस्यमय प्रा संसार मानव मन और मस्तिष्क को उद्वेलित करता रहा है। रहस्य के प्रति मनुष्य की उत्सुकता आदिकाल से रही है।
शनि की अष्टम ढैया का धोखा
शनि की साढ़ेसाती एवं ढैया ज्योतिष में काफी प्रचलित रही है और इन पर शोध भी होते रहे हैं। शनि सर्वाधिक समय एक ही राशि में रहते हैं, जिस कारण शनि का प्रभाव भी जातक पर अधिक रहता है।
ज्योतिष कैसे रोजमर्रा की जिंदगी में मददगार
जीवन के बारह भाव जीवन की बारह अवस्थाओं के प्रतीक हैं। पूर्वी क्षितिज पर उदित राशि के साथ ही बालक का जन्म होता है। लग्न जिसे प्रथम भाव और अन्य अनेक नामों से सम्बोधित किया जाता है, से बालक के व्यक्तित्व, व्यवहार और रहन- सहन और जीवन शैली का विचार किया जाता है।
भक्तमाल के रचयिता
'भक्तमाल' में रचयिता का उल्लेख नहीं है। केवल एक स्थान पर 'नारायणदास' का उल्लेख मिलता है :
चामत्कारिक होते हैं रामचरितमानस के मन्त्र
वर्तमान समय में रामचरितमानस के मन्त्र व साधकगणों के लिए संजीवनी बूटी के समान हैं। साधारण पढ़ा-लिखा व्यक्ति भी इन मन्त्रों को सुनकर शीघ्र याद कर सकता है और इनका प्रयोग कर सकता है।
क्यों निष्फल हो जाते हैं शुभ योग?
क्यों निष्फल हो जाते हैं शुभ योग?
क्या है मानवीय चेतना का मूल स्वरूप ?
अपने तन और मन पर नियन्त्रण करने से संसार की भौतिक एवं अभौतिक वस्तुएँ आसानी से पा सकते हैं। संसार में सफलता उन लोगों को मिलती है, जो अपने तन और मन पर विजय प्राप्त करके समाज और संसार का मार्ग दर्शन करते हैं। जैसे; रामकृष्ण परमहंस, परमहंस योगानन्द, विशुद्धानन्द परमहंस, देवराह बाबा, अघोर पंथ के बाबा कीनाराम और स्वामी विवेकानन्द आदि।
कौन बनते हैं अंतरिक्ष वैज्ञानिक?
कौन बनते हैं अंतरिक्ष वैज्ञानिक?
कोरोना वायरस और ज्योतिष
'कोरोना वायरस डिजीज- 2019' (Coronavirus Disease-2019) जिसे संक्षेप में 'COVID-19' कहा जाता है, को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने 'वैश्विक महामारी' घोषित किया है।
कब हुआ था श्रीराम का जन्म?
वाल्मीकि रामायण के आधार पर हिन्दू वा धर्म के अनुयायी चैत्र शुक्ल नवमी को मध्याह्न में भगवान् राम का जन्म होना मानते हैं, परन्तु प्रश्न यह उठता है कि वह दिन किस वर्ष का है, कौनसे युग का है और वर्तमान से कितने साल पूर्व श्रीराम का जन्म हुआ था।
अयोध्या में कैसा बनेगा राम लला का मन्दिर?
अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के पश्चात् भारत सरकार ने श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की स्थापना कर दी है। इसकी आरम्भिक बैठकें हो चुकी हैं। पदाधिकारियों का चयन हो चुका है। 20 फरवरी को हुई बैठक में महंत नृत्य गोपालदास को अध्यक्ष एवं चम्पत राय को महासचिव नियुक्त किया गया है।
स्वयं गंगा मैया करती है शिवलिंग का जलाभिषेक
स्वयं गंगा मैया करती है शिवलिंग का जलाभिषेक
सिंह लग्न के अष्टम भाव में स्थित सूर्य के फल
कैमें से करें सटीक फलादेश क श्रृंखला के अन्तर्गत लग्नानुसार विभिन्न भावों में ग्रहों के स्थित होने पर उनके भावगत, राशि एवं नक्षत्रगत, दृष्टिजन्य एवं युतिजन्य फलों का सोदाहरण विवेचन किया जा रहा है।
सागर की गोद में चला जाता है शिव मन्दिर
हिन्दू धर्म में 33 करोड़ देवी-देवताओं का उल्लेख है, जिसमें सबसे अधिक आराधना देवों के देव महादेव की ही होती है। इसी क्रम में हम बात कर रहे हैं गुजरात में स्थित एक अनोखे मन्दिर की।
होलिकोत्सव की पौराणिकता
होली का पर्व सौहार्द, सद्मिलन एवं समभाव का पर्व है, जो हजारों साल से भारत ही नहीं वरन् विश्व के अनेक देशों में सोल्लास मनाया जाता रहा है।
शिवतत्त्व विवेचना
भगवान् शिव अनादि, अनन्त एवं म अनश्वर देवता हैं, जिनकी आराधना प्राचीनकाल से ही विश्वव्यापी रही है । शिवोपासना भारतीय संस्कृति एवं आस्था का प्रमुख प्रेरणा स्रोत रही है । शिव शक्ति (ऊर्जा) का ही आदि रूप है ।
शास्त्र मात्र अपवाद हैं, रामकृष्ण उनकी प्रत्यक्ष अनुभूति
उनका समग्र जीवन एक ऐसे शहर के पास व्यतीत हुआ, जो पाश्चात्य भावों से उन्मत्त हो रहा था, जो भारत के सभी शहरों की अपेक्षा विदेशी भावों से अधिक भरा हुआ था। वहाँ वे पुस्तकीय ज्ञान से हर प्रकार से अनभिज्ञ रहते थे, ये महाप्रतिभासम्पन्न व्यक्ति अपना नाम तक लिखना नहीं जानते थे, किन्तु हमारे विश्वविद्यालय के बड़े-बड़े प्रतिभावान् स्नातकों ने उनको एक महान् बौद्धिक प्रतिभा के रूप में स्वीकार किया।
शाबरमन्त्र साधना के ज्योतिषीय योग
शाबर मन्त्र की साधना में किस व्यक्ति को सफलता मिलेगी और कब मिलेगी? इसका समुचित उत्तर ज्योतिष के माध्यम से जाना जा सकता है।
रामेश्वरम् : श्रीराम नारा स्थापित शिवधाम
रामेश्वरम मन्दिर की गणना भारत के ही नहीं, वरन विश्व के भव्य मन्दिरों में की जाती है। वास्तव में प्रकृति और श्रद्धा का यह अनूठा संगम है।
व्यापार से सम्बन्धित शाबर मन्त्र
व्यापार से सम्बन्धित शाबर मन्त्र
राम-रसायन
नारद जी से जब यह प्रश्न किया गया कि ना इस घोर कलियुग में मनुष्य के लिए दुःखों से विमुक्ति होने का कौन-सा उपाय है, तो नारद जी ने कहा 'हरेर्नाम हरेर्नाम हरेर्नाम हि केवलम्।' अर्थात् केवल भगवान्नाम स्मरण ही मनुष्यों को दुःखों से मुक्ति प्रदान कर सकता है।
योगविद्या और त्रिकाल दर्शन
योग एक विशुद्ध भारतीय अध्यात्म विज्ञान की एक शाखा है। भारतीय योग विद्या की सहायता से प्राचीन सिद्धयोगी अनेक चमत्कारपूर्ण कार्य करते थे, जो जन सामान्य के लिए दुर्लभ थे।