CATEGORIES
Kategorien
कोविड-19 का अंत कैसे होगा?
कोई भी घातक महामारी हमेशा टिकी नहीं रहती। उदाहरण के लिए 1918 में फैले इन्फ्लूएंज़ा ने तब दुनिया के लाखों लोगों की जान ले ली थी लेकिन अब इसका वायरस बहुत कम घातक हो गया है।
नासा का मिशन मंगल
दुनिया राजनैतिक, सामाजिक और पर्यावरणीय दृष्टि से उथल-पुथल के दौर में है। ऐसी परिस्थिति में महान वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंग यह कहकर धरती से रुखसत हो चुके हैं कि महज़ 200 वर्षों के भीतर मानव जाति का अस्तित्व हमेशा के लिए खत्म हो सकता है और इस संकट का एक ही समाधान है कि हम अंतरिक्ष में कॉलोनियां बसाएं।
हाथी शरीर का 10 प्रतिशत तक पानी गंवा सकते हैं
एक हालिया अध्ययन से पता चला है कि किसी गर्म दिन में हाथी अपने शरीर का 10 प्रतिशत तक पानी गंवा देते हैं। यह ज़मीन पर पाए जाने वाले किसी भी जीव की तुलना में अधिक है।
जीवाश्म पर अधिकार भू-स्वामि का
हाल ही में मोन्टाना के सर्वोच्च न्यायालय के एक फैसले ने जीवाश्म विज्ञानियों को राहत दी है।
बकरियों का पालतू गुण
बकरियां सख्तजान होती हैं। इन्होंने कोलंबस के साथ अटलांटिक महासागर की लंबी यात्राएं कीं और मेफ्लावर तीर्थ यात्रियों के साथ रहीं इस दौरान सूखे और परजीवियों का सामना किया। हाल ही में एक शोध ने इनकी सहनशीलता की उत्पत्ति का खुलासा किया है।
मांसाहारी पौधों में मांस के चस्के का विकास
किसी पौधे में मांस का चस्का विकसित होना काफी अजीब लगता है। लेकिन हाल ही में मांसाहारी पौधों की तीन नज़दीकी प्रजातियों पर किए गए अध्ययन से पता चला है कि कुशल आनुवंशिक फेरबदल ने उन्हें प्रोटीन युक्त भोजन को प्राप्त करने और पचाने की क्षमता विकसित करने में मदद की है।
समय से पहले फूल खिला देते हैं भूखे भंवरे
फास्ट फूड हमारी भूख शांत करने में मदद करता है। ऐसा ही जुगाड़ भंवरे भी करते हैं।
डॉल्फिन साथियों से सीखती हैं शिकार का नया तरीका
लगभग दस साल पहले पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया की शार्क बे में वैज्ञानिकों का ध्यान बॉटलनोज़ डॉल्फिन (Tursiops aduncus) के विचित्र व्यवहार की ओर गया था। उन्होंने देखा कि ये डॉल्फिन किसी मछली को विशाल घोंघों की खाली खोल के अंदर ले जाती हैं।
एक झींगे की तेज़ गति वाली आंखें
एक मामूली माचिस की तीली जितने बड़े स्नैपिंग झींगे (Alpheus heterochaelis) अपने जबड़ों को झटके से बंद करके ऊंची आवाज़ निकालने के लिए मशहूर हैं। इस आवाज़ के कंपन से उनका शिकार या शत्रु भौंचक्का रह जाता है। इन्हें पिस्तौल झींगा भी कहते हैं। और अब शोधकर्ताओं ने जबड़ों की इस रफ्तार से मेल खाती उनकी दृष्टि की भी खोज की है।
लड़ते-लड़ते मछलियां जीन्स में तालमेल बैठाती हैं
मुक्केबाज़ी का मुकाबला देखते हुए किसी के मन में यह ख्याल नहीं आता कि इस वक्त लड़ाकों के दिमाग के जीन्स में क्या हो रहा है। लेकिन लड़ाकू मछलियों पर हुए ताज़ा अध्ययन से पता चला है कि मछलियों की कुश्ती के वक्त उनके मस्तिष्क के जीन्स तालमेल से काम करना शुरू और बंद करते हैं। हालांकि यह अभी स्पष्ट नहीं है कि ये जीन करते क्या हैं या वे लड़ाई को कैसे प्रभावित करते हैं, लेकिन संभावना है कि मनुष्यों में भी इसी तरह के बदलाव होते होंगे।
भविष्य का सूक्ष्मजीव-द्वैषी, अस्वस्थ समाज
कोरोनाकाल में लोगों में सूक्ष्मजीवों से सुरक्षा की चिंता बढ़ी है, जो शायद उचित भी है।
साबुन के बुलबुलों की मदद से परागण
परागणकर्ताओं के रूप में मधुमक्खियों की बराबरी करना मुश्किल है। लेकिन वैज्ञानिक इनके कुशल कृत्रिम विकल्प खोजने में लगे हुए हैं। और अब शोधकर्ता साबुन के बुलबुले से परागण कराने में सफल हुए हैं।
क्या उत्परिवर्तित कोरोनावायरस अधिक खतरनाक है?
महामारी की शुरुआत में ही सार्स-कोव-2 जीनोम के 30 हज़ार क्षारों में से एक एडीनोसिन (A) से गुवानीन (G) में परिवर्तित हो गया था |
कोविड-19 वायरसः एक सचित्र परिचय
हमारी पृथ्वी पर हज़ारों तरह के कोरोनावायरस रहते हैं। उनमें से चार तरह के वायरस सामान्य सर्दी-जुकाम के लिए ज़िम्मेदार हैं।
कुत्ते पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र का उपयोग करते हैं
कुत्ते अपनी सूंघने की क्षमता के लिए प्रसिद्ध हैं लेकिन एक नए अध्ययन से पता चला है कि उनमें चुंबकीय कम्पास जैसी संवेदी प्रतिभा भी होती है। यह क्षमता उन्हें अपरिचित इलाकों में पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र की मदद से छोटा रास्ता ढूंढने में मदद करती है।
क्या ध्रुवीय भालू विलुप्त हो जाएंगे?
अनियंत्रित जलवायु परिवर्तन के प्रकोप हम सभी झेल रहे हैं। हाल ही में एक अध्ययन में वैज्ञानिकों ने अनुमान लगाया है कि आर्कटिक में समुद्री बर्फ सिकुड़ने के कारण ध्रुवीय भालू सदी के अंत तक शायद विलुप्त ही हो जाएंगे।
चातक के अंडों-चूज़ों की परवरिश करते हैं बैब्लर
पक्षी जगत बड़ी विचित्रताओं से लबरेज है। जहां अधिकतर पक्षी घोंसला बनाने, अंडों को सेने व चूजों की परवरिश का ज़िम्मा स्वयं उठाते हैं, वहीं ऐसे भी पक्षी हैं जो यह काम दूसरे पक्षियों को सौंप देते हैं। ऐसे पक्षियों को घोंसला परजीवी कहते हैं। घोंसला परजीवियों में कोयल और पपीहे के अलावा चातक भी हैं।
चींटियां कई जंगली पौधे उगाती हैं
एक पोषणचींटयां कई जंगली पौधों के बीज फैलाती हैं। इस सेवा के बदले में पौधे चींटियों के लिए अपने बीज के आवरण पर ग-युक्त हिस्सा, इलेयोसम, जोड़ देते हैं। यह न सिर्फ चींटियों के बच्चों के लिए पोषण उपलब्ध कराता है बल्कि इसकी मदद से चींटियों को बीजों को पकड़ने में भी मदद मिलती है। लेकिन इकोलॉजिकल सोयायटी ऑफ अमेरिका की ऑनलाइन वार्षिक बैठक में यह बात सामने आई है कि बीज और चींटियों के बीच रिश्ता इस लेन-देन से अधिक है।
डायनासौर भी कैंसर का शिकार होते थे
डायनासौर पर अध्ययन करते हुए जीवाश्म वैज्ञानिकों को डायनासौर की एक विकृत हड्डी का जीवाश्म मिला था। यह हड्डी एक सींग वाले शाकाहारी सेंट्रोसौरस के पैर के निचले हिस्से की फिबुला हड्डी थी। यह जीव लगभग 7.6 करोड़ वर्ष पहले वर्तमान के दक्षिणी अल्बर्टा (कनाडा) में पाया जाता था | इस स्थान पर आजकल एक डायनासौर पार्क है।
भारत में विज्ञान के क्षेत्र में महिलाओं की स्थिति
भारत में विज्ञान के क्षेत्र में महिलाएं विषय पर अधिकांश साहित्य, विज्ञान में महिलाओं की अनुपस्थिति' ही दर्शाता है जबकि अब हालात ऐसे नहीं हैं। उपलब्ध प्रमाणों के व्यापक विश्लेषण के आधार पर यह आलेख बताता है कि विज्ञान के क्षेत्र में महिलाओं की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है, हालांकि अलग-अलग विषयों में स्थिति काफी अलग-अलग है। अलबत्ता, विज्ञान के क्षेत्र में भले ही महिलाओं की संख्या बढ़ी है, लेकिन अब भी उन्हें रुकावटों का सामना करना पड़ता है। इस प्रकार से लिंग-आधारित ढांचा बरकरार है और वैज्ञानिक संस्थानों को आकार देता है । आलेख का तर्क है कि संस्थानोंसंगठनों के मौजूदा मानदंडों और मानसिकता में बदलाव लाए बिना महिला समर्थक नीतियां शुरू करना प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है।
सोने से भी महंगा उल्का पिंड
23 अप्रैल 2019 की रात करीब नौ बजे कोस्टा रिका के आसमान में नारंगी-हरी रोशनी फूटी।
हर बच्चा वैज्ञानिक है
हाल ही में एम.एस. स्वामीनाथन रिसर्च फाउंडेशन द्वारा "लचीले खाद्य, पोषण और आजीविका के लिए विज्ञानः समकालीन चुनौतियां' विषय पर एक वर्चुअल कसंल्टेशन आयोजित किया गया था। इसमें कैलिफोर्निया युनिवर्सिटी के ब्रूस एल्बर्ट्स ने विज्ञान शिक्षा पर बहुत ही प्रासंगिक व्याख्यान दिया। व्याख्यान का विषय था विज्ञान संप्रेषण | यह विषय हमारे यहां निकट भविष्य में लागू की जाने वाली नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के संदर्भ में विशेष रूप से प्रासंगिक है।
उपकरणों से बिखरती ऊष्मा का उपयोग
रेफ्रिजरेटर, बॉयलर और यहां तक कि बल्ब अपने आसपास के वातावरण में निरंतर ऊष्मा बिखेरते हैं। सैद्धांतिक रूप से इस व्यर्थ ऊष्मा को बिजली में परिवर्तित किया जा सकता है। गाड़ियों के इंजिन और अन्य उच्च-ताप वाले स्रोतों के साथ तो ऐसा किया जाता है लेकिन इस तकनीक का उपयोग घरेलू उपकरणों के लिए थोड़ा मुश्किल होता है क्योंकि ये काफी कम ऊष्मा छोड़ते हैं।
किराए की मधुमक्खियां
पांच बड़े-बड़े ट्रक अमेरिका के उत्तरी केरोलिना में ब्लूबेरी फार्म पर आकर रुकते हैं। तारपोलिन को हटाते ही एक के ऊपर एक जमे लगभग पांच सौ डिब्बों में से भिनभिनाहट सुनाई पड़ती है। प्रत्येक डिब्बे में लगभग 20,000 मधुमक्खियां हैं। फार्म के मालिक ने इन एक करोड़ मधुमक्खियों को किराए पर बुलाया है। मई का महिना यहां परागण का समय है और आसपास के सभी बागानों में मधुमक्खियों के ट्रक आ रहे हैं।
जैविक मुद्रण की मदद से अल्सर का इलाज
आमाशय के अल्सर या आहार नाल के अन्य घावों से कई लोग पीड़ित होते हैं। इलाज के पारंपरिक तरीकों के साथ कुछ ना कुछ समस्याएं हैं। अब वैज्ञानिकों ने जैविक मुद्रण की मदद से अल्सर के उपचार का रास्ता सुझाया है।
पृथ्वी पर इतना पानी कहां से आया?
पृथ्वी पर जा-ब-जा मौजूद पानी जीवन के लिए अनिवार्य भी है और वैज्ञानिकों की चिंता का मसला भी कि पृथ्वी पर इतना पानी आया कहां से क्या पानी पृथ्वी के बनने के समय से मौजूद है, या पृथ्वी सूखी बनी थी और पानी से समृद्ध किसी बाहरी पिंड/पिंडों के टकराने के बाद पृथ्वी पर पानी आया? और अब साइंस पत्रिका में प्रकाशित एक नया अध्ययन यह संभावना जताता है कि पृथ्वी पर पानी यहीं उपस्थित मूल निर्माणकारी पदार्थों से आया है।
सूचना एवं संचार टेक्नॉलॉजी के प्रमुख पड़ाव
जिन दिनों मैं स्कूल में पढ़ा करता था उन दिनों कंप्यूटर एक गैराज के बराबर जगह घेरने वाली मशीन थे, जिनका उपयोग सिर्फ इंजीनियर करते थे। अब 50 वर्षों बाद, मैं और 50 करोड़ अन्य भारतीय मोबाइल स्मार्ट फोन के रूप में इसे अपनी जेब में रख सकते हैं! यह क्रांति कैसे हुई?
हमिंगबर्ड की जीवन-रक्षक तंद्रा
ऊंचे एंडीज़ पर्वतों पर पाई जाने वाली हमिंगबर्ड की प्रजातियां वहां कुल्फी जमा देने वाली ठंड का सामना करती हैं। ये नन्हीं और फुर्तीली हमिंगबर्ड ठंड से बचने के लिए विचित्र रास्ता अपनाती हैं। वे अपने शरीर का तापमान रात में कम कर लेती हैं। और अब हालिया अध्ययन में पता चला है कि बर्फीली रातों में जीवित बचने के लिए ये अपने शरीर का तापमान सामान्य की तुलना में 33 डिग्री सेल्सियस तक कम कर सकती हैं।
सरगम एक प्रागैतिहासिक तोहफा है
पिछले कुछ महीनों में कई समूहों ने इस संदर्भ में कई दिलचस्प शोध प्रकाशित किए हैं कि संगीत मन/मस्तिष्क को कैसे प्रभावित करता है।
वायरस रोगों का इलाज भी कर सकते हैं
जीवाणु संक्रमण से उबरने की सफलता की कहानी ने मिस्र में क्वारेंटाइन बोर्ड के ब्रिटिश प्रतिनिधि मॉरिसन का ध्यान खींचा।