TestenGOLD- Free

रबी दलहनों की उपज बढ़ाएं देश को दलहन उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाएं

Modern Kheti - Hindi|15th March 2025
दलहन हमारे देश की खाद्य सामग्री में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। जलवायु परिवर्तन के दौर में टिकाऊ खेती, मृदा की उर्वरा शक्ति को कायम रखने और पोषण सुरक्षा में दलहनी फसलों का अति महत्वपूर्ण योगदान है।
- डॉ गजेन्द्र सिंह तोमर
रबी दलहनों की उपज बढ़ाएं देश को दलहन उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाएं

भारत की बहुसंख्यक शाकाहारी आबादी की प्रोटीन, खनिज एवं विटामिन्स की प्रतिपूर्ति हेतु दैनिक भोजन में दालों का समावेश आवश्यक रहता है। विश्व में सबसे ज्यादा क्षेत्र में दलहनी फसलों की खेती करते हुए सबसे बड़े उत्पादक देश (वैश्विक उत्पादन का 25 प्रतिशत) होने पर हम हर्षित भले ही हो सकते हैं परन्तु गर्वित बिल्कुल नहीं हो सकते क्योंकि कृषि प्रधान देश होने के बावजूद हमें अपनी घरेलु आवश्यकता की पूर्ति हेतु औसतन 40 लाख टन दालों का आयात विदेशों से करना पड़ता है। भारत में प्रति व्यक्ति दालों की उपलब्धता वर्ष 1951 में 60 ग्राम थी जो वर्तमान में घटकर 41-42 ग्राम के आसपास आ गई है, जबकि विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार यह मात्रा 80 ग्राम प्रतिदिन प्रति व्यक्ति होनी चाहिए। दूसरी तरफ विश्व स्वास्थ्य संगठन तथा विश्व खाद्य और कृषि संगठन ने प्रति व्यक्ति प्रतिदिन 104 ग्राम दालों की संस्तुति की है।

भारत सरकार, कृषि विभाग और कृषि वैज्ञानिकों के तमाम प्रयासों के बावजूद भी दालों की खपत (22-26 मिलियन टन) के विरुद्ध दलहनी फसलों का उत्पादन पिछले 10-12 वर्षों से 18-20 मिलियन टन पर टिका हुआ है जिसके परिणामस्वरूप घरेलू खपत की पूर्ति हेतु प्रति वर्ष 4-6 मिलियन टन दालें विदेशों से आयात करनी पड़ती है। यद्यपि इंद्र देव की मेहरबानी से पिछले 2-3 वर्षों से मानसून अच्छा रहने एवं सरकार द्वारा की गई विभिन्न नीतिगत पहलों के परिणामस्वरूप मौजूदा वर्ष 2017-18 के दौरान दलहनों का कुल उत्पादन रिकॉर्ड 23.95 मिलियन टन अनुमानित है, जो विगत वर्ष के दौरान प्राप्त 23.13 मिलियन टन उत्पादन की तुलना में 0.82 मिलियन टन अधिक है। परन्तु अभी भी हम यह नहीं कह सकते हैं कि दलहन उत्पादन के मामले में हमारा देश आत्मनिर्भर हो गया है। भारतीय दलहन शोध संस्थान के अनुसार वर्ष 2030 तक देश की जनसंख्या 1.6 बिलियन पहुंच जायेगी और उसे 32 मिलियन टन दालों की आवश्यकता पड़ेगी। इस लक्ष्य के अनुसार देश को प्रतिवर्ष दलहन के उत्पादन में 4.2 प्रतिशत बढ़ोतरी करने की जरूरत है। भारत में खरीफ एवं रबी में क्रमशः 143.41 एवं 149.36 लाख हैक्टेयर क्षेत्र में दलहनों की खेती प्रचलित है जिनसे 636 एवं 889 किग्रा. प्रति हैक्टेयर की दर से उत्पादन प्राप्त किया जाता है।

Diese Geschichte stammt aus der 15th March 2025-Ausgabe von Modern Kheti - Hindi.

Starten Sie Ihre 7-tägige kostenlose Testversion von Magzter GOLD, um auf Tausende kuratierte Premium-Storys sowie über 8.000 Zeitschriften und Zeitungen zuzugreifen.

Diese Geschichte stammt aus der 15th March 2025-Ausgabe von Modern Kheti - Hindi.

Starten Sie Ihre 7-tägige kostenlose Testversion von Magzter GOLD, um auf Tausende kuratierte Premium-Storys sowie über 8.000 Zeitschriften und Zeitungen zuzugreifen.

WEITERE ARTIKEL AUS MODERN KHETI - HINDIAlle anzeigen
खेती में उचित प्रबंधन से अधिक पैदावार व आय प्राप्त करें किसान
Modern Kheti - Hindi

खेती में उचित प्रबंधन से अधिक पैदावार व आय प्राप्त करें किसान

हमारे देश में लगभग 65-70 प्रतिशत लोग खेती-बाड़ी के व्यवसाय में सीधे व गैर सीधे तौर पर जुड़े हुए हैं।

time-read
5 Minuten  |
15th March 2025
बदलते मौसम में सरसों की फसल में कीट प्रबंधन
Modern Kheti - Hindi

बदलते मौसम में सरसों की फसल में कीट प्रबंधन

हाल के वर्षों में, कृषि क्षेत्र को जलवायु परिवर्तन के कारण कई कठिनाईयों का सामना करना पड़ा है जिसमें फसल की कम पैदावार, पानी की कमी और कीटों और बीमारियों के खतरों में वृद्धि शामिल है।

time-read
4 Minuten  |
15th March 2025
जीव रसायन विज्ञान-परिचय और कृषि सुधार में योगदान
Modern Kheti - Hindi

जीव रसायन विज्ञान-परिचय और कृषि सुधार में योगदान

पौधों के हर पहलु का ज्ञान ही कृषि विकास को जन्म देता है।

time-read
5 Minuten  |
15th March 2025
वर्ल्ड फूड प्राईज़ विजेता
Modern Kheti - Hindi

वर्ल्ड फूड प्राईज़ विजेता

डॉ. अकिनवूमी अयोदेजी ऐडसीना अफ्रीकन डिवलपमेंट बैक ग्रुप के आठवें प्रधान हैं। डॉ. ऐडसीना एक प्रतिभाशाली डिवलपमेंट इक्नोमिस्ट एवं एग्रीकल्चरल डिवलपमेंट एक्सपर्ट हैं, जिनके पास अंतर्राष्ट्रीय अनुभव हैं।

time-read
2 Minuten  |
15th March 2025
कृषि में बायोगैस का महत्व और पशुधन गोबर का प्रभावी उपयोग
Modern Kheti - Hindi

कृषि में बायोगैस का महत्व और पशुधन गोबर का प्रभावी उपयोग

“ग्रामीण क्षेत्रों में उपलब्ध ऊर्जा संसाधनों को पहचानकर उनका प्रभावी उपयोग करना समय की आवश्यकता है। व्यक्तिगत खेतों के संसाधनों का दीर्घकालिक लाभ उनकी समग्र आजीविका सुधार और राष्ट्रीय विकास में योगदान करता है। इसके लिए, खेत के सदस्यों को जागरूक करना आवश्यक है, ताकि वे खेत में उपलब्ध संसाधनों के लाभ और उनके प्रभाव को समझ सकें।”

time-read
5 Minuten  |
15th March 2025
भारत में 8 गुणा बढ़ रहा है मृदा क्षण
Modern Kheti - Hindi

भारत में 8 गुणा बढ़ रहा है मृदा क्षण

भारत में मृदा क्षरण की दर वैश्विक दर से कहीं अधिक है। इसके कई कारक हैं जिनमें कृषि उत्पादन हेतु खादों का अनरवत बढ़ता प्रयोग प्रमुख है।

time-read
2 Minuten  |
15th March 2025
एमएसपी गारंटी कानून : किसानों के लिए सुरक्षा कवच या आर्थिक विनाश ?
Modern Kheti - Hindi

एमएसपी गारंटी कानून : किसानों के लिए सुरक्षा कवच या आर्थिक विनाश ?

अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों और साहूकारों की कंपनियों से वित्त पोषित अर्थशास्त्री और सरकारी पैरोकार एमएसपी गारंटी कानून को आर्थिक तौर पर विनाशकारी और असंभव बताकर देश में जान-बूझ कर भ्रम फैला रहे हैं कि एमएसपी गारंटी कानून लागू करने पर सरकार को 17 लाख करोड़ रुपये वार्षिक से ज्यादा खर्च करने होंगे, क्योंकि तब सरकार एमएसपी वाली 24 फसलों के कुल उत्पादन को खरीदने के लिए कानूनी तौर पर बाध्य हो जाएगी।

time-read
3 Minuten  |
15th March 2025
बदलते मौसम का कृषि पर दुष्प्रभाव
Modern Kheti - Hindi

बदलते मौसम का कृषि पर दुष्प्रभाव

जलवायु परिवर्तन के प्रभाव और बढ़ता प्रदूषण न केवल लोगों के स्वास्थ्य पर सीधा असर डाल रहे है, बल्कि खेतों में पैदा हो रही फसलें भी इनसे प्रभावित है।

time-read
6 Minuten  |
15th March 2025
बायोपोनिक्स : पर्यावरण-अनुकूल खाद्य उत्पादन की एक उपयोगी तकनीक
Modern Kheti - Hindi

बायोपोनिक्स : पर्यावरण-अनुकूल खाद्य उत्पादन की एक उपयोगी तकनीक

जलवायु परिवर्तन, गहन खेती के पर्यावरणीय प्रभाव, जनसंख्या वृद्धि और शहरीकरण जैसी वैश्विक चुनौतियों का समाधान करने के लिए, हमारी खाद्य प्रणाली धीरे-धीरे अधिक पर्यावरण-अनुकूल बन रही है।

time-read
6 Minuten  |
15th March 2025

Wir verwenden Cookies, um unsere Dienste bereitzustellen und zu verbessern. Durch die Nutzung unserer Website stimmen Sie zu, dass die Cookies gesetzt werden. Learn more