जीव रसायन विज्ञान-परिचय और कृषि सुधार में योगदान

एक कृषि वैज्ञानिक को पौधों से संबंधित उन गुणों का सम्पूर्ण ज्ञान होना चाहिए जिन्हें वह सुधारना चाहता है। एक वैज्ञानिक पौधों से संबंधित सभी विज्ञान शाखाओं में पारगंत नहीं हो सकता। इसलिए विभिन्न विषयों के वैज्ञानिकों का तालमेल ही कृषि में होने वाले सुधार की गति को रफ्तार दे सकता है। आज के किसान का कार्य केवल फसलों को बोना और काटना नहीं है अपितु वह कृषि सुधार की श्रृंखला को भी जानना चाहता है।
सभी जीवों की मूल इकाई कोशिका होती है। कोशिका और उसमें होने वाले रासायनिक परिवर्तनों का अध्ययन ही पादप विकास को जन्म देता है। कोशिका के अन्दर होने वाले रासायनिक परिवर्तनों का अध्ययन करने वाली विज्ञान की शाखा को जीव रसायन विज्ञान कहते हैं। इस शाखा के अंतर्गत यह अध्ययन करते हैं कि कोशिकाओं के अन्दर प्राप्त यौगिक सरल यौगिकों से कैसे संश्लेषित होते हैं और पुनः सरल यौगिकों में कैसे अपघटित होते हैं। यह विज्ञान अन्य शाखाओं की तुलना में नवीनतम है। जैव रसायन जीवित जीवों में होने वाले रासायनिक परिक्रियाओं का अध्ययन है। जैविक प्रक्रियाओं और जैविक रूप से सक्रिय अणुओं के संश्लेषण के पीछे के रसायन विज्ञान का अध्ययन जीव रसायन विज्ञान के अनुप्रयोग है।
पादप अव्ययों का रासायनिक संगठन: पौधों का निर्माण जल, कार्बनिक यौगिकों और अकार्बनिक लवणों से होता है। जीव रसायन के सिद्धांतों के अनुसार इन अव्ययों का विवरण निम्न प्रकार से है :
जल : पौधों में 75-85 प्रतिशत तक जल की मात्रा होती है। सरस और जलीय पौधों में जल की मात्रा 98 प्रतिशत तक भी हो सकती है। हर जीवित प्राणी का आधार जल है। जल के बिना जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती है। यह सर्वव्यापी विलायक है जो कार्बनिक तथा अकार्बनिक अव्ययों को घोलकर पौधों में संचार करता है। जल की उपस्थिति में पौधे शर्करा, वसा, प्रोटीन तथा अन्य पदार्थ संश्लेषित करते हैं।
Diese Geschichte stammt aus der 15th March 2025-Ausgabe von Modern Kheti - Hindi.
Starten Sie Ihre 7-tägige kostenlose Testversion von Magzter GOLD, um auf Tausende kuratierte Premium-Storys sowie über 8.000 Zeitschriften und Zeitungen zuzugreifen.
Bereits Abonnent ? Anmelden
Diese Geschichte stammt aus der 15th March 2025-Ausgabe von Modern Kheti - Hindi.
Starten Sie Ihre 7-tägige kostenlose Testversion von Magzter GOLD, um auf Tausende kuratierte Premium-Storys sowie über 8.000 Zeitschriften und Zeitungen zuzugreifen.
Bereits Abonnent? Anmelden

खेती में उचित प्रबंधन से अधिक पैदावार व आय प्राप्त करें किसान
हमारे देश में लगभग 65-70 प्रतिशत लोग खेती-बाड़ी के व्यवसाय में सीधे व गैर सीधे तौर पर जुड़े हुए हैं।

बदलते मौसम में सरसों की फसल में कीट प्रबंधन
हाल के वर्षों में, कृषि क्षेत्र को जलवायु परिवर्तन के कारण कई कठिनाईयों का सामना करना पड़ा है जिसमें फसल की कम पैदावार, पानी की कमी और कीटों और बीमारियों के खतरों में वृद्धि शामिल है।

वर्ल्ड फूड प्राईज़ विजेता
डॉ. अकिनवूमी अयोदेजी ऐडसीना अफ्रीकन डिवलपमेंट बैक ग्रुप के आठवें प्रधान हैं। डॉ. ऐडसीना एक प्रतिभाशाली डिवलपमेंट इक्नोमिस्ट एवं एग्रीकल्चरल डिवलपमेंट एक्सपर्ट हैं, जिनके पास अंतर्राष्ट्रीय अनुभव हैं।

कृषि में बायोगैस का महत्व और पशुधन गोबर का प्रभावी उपयोग
“ग्रामीण क्षेत्रों में उपलब्ध ऊर्जा संसाधनों को पहचानकर उनका प्रभावी उपयोग करना समय की आवश्यकता है। व्यक्तिगत खेतों के संसाधनों का दीर्घकालिक लाभ उनकी समग्र आजीविका सुधार और राष्ट्रीय विकास में योगदान करता है। इसके लिए, खेत के सदस्यों को जागरूक करना आवश्यक है, ताकि वे खेत में उपलब्ध संसाधनों के लाभ और उनके प्रभाव को समझ सकें।”

रबी दलहनों की उपज बढ़ाएं देश को दलहन उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाएं
दलहन हमारे देश की खाद्य सामग्री में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। जलवायु परिवर्तन के दौर में टिकाऊ खेती, मृदा की उर्वरा शक्ति को कायम रखने और पोषण सुरक्षा में दलहनी फसलों का अति महत्वपूर्ण योगदान है।

भारत में 8 गुणा बढ़ रहा है मृदा क्षण
भारत में मृदा क्षरण की दर वैश्विक दर से कहीं अधिक है। इसके कई कारक हैं जिनमें कृषि उत्पादन हेतु खादों का अनरवत बढ़ता प्रयोग प्रमुख है।

एमएसपी गारंटी कानून : किसानों के लिए सुरक्षा कवच या आर्थिक विनाश ?
अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों और साहूकारों की कंपनियों से वित्त पोषित अर्थशास्त्री और सरकारी पैरोकार एमएसपी गारंटी कानून को आर्थिक तौर पर विनाशकारी और असंभव बताकर देश में जान-बूझ कर भ्रम फैला रहे हैं कि एमएसपी गारंटी कानून लागू करने पर सरकार को 17 लाख करोड़ रुपये वार्षिक से ज्यादा खर्च करने होंगे, क्योंकि तब सरकार एमएसपी वाली 24 फसलों के कुल उत्पादन को खरीदने के लिए कानूनी तौर पर बाध्य हो जाएगी।

बदलते मौसम का कृषि पर दुष्प्रभाव
जलवायु परिवर्तन के प्रभाव और बढ़ता प्रदूषण न केवल लोगों के स्वास्थ्य पर सीधा असर डाल रहे है, बल्कि खेतों में पैदा हो रही फसलें भी इनसे प्रभावित है।

बायोपोनिक्स : पर्यावरण-अनुकूल खाद्य उत्पादन की एक उपयोगी तकनीक
जलवायु परिवर्तन, गहन खेती के पर्यावरणीय प्रभाव, जनसंख्या वृद्धि और शहरीकरण जैसी वैश्विक चुनौतियों का समाधान करने के लिए, हमारी खाद्य प्रणाली धीरे-धीरे अधिक पर्यावरण-अनुकूल बन रही है।