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'सोचा नहीं था कि पाँच किताबें कभी लिख पाऊँगा'
आमतौर पर ये कम ही देखा जाता है कि टेलीविजन के पत्रकार लगातार लिखते हैं फिर चाहे वो कॉलम हो या किताबें। भोपाल में रहने वाले और एबीपी न्यूज में लंबे समय से स्टेट ब्यूरो संभाल रहे ब्रजेश राजपूत इस मामले में अलग हैं। पिछले सात सालों में वे पाँच किताबें लिख चुके हैं। इनमें दो किताबें मध्यप्रदेश के पिछले विधानसभा चुनावों पर तो, दो किताबें टेलीविजन के पर्दे के पीछे की छिपी हुई कहानियों पर हैं। दो साल पहले एमपी में हुए सत्ता परिवर्तन पर भी उनकी रोचक किताब 'वो सत्रह दिन' प्रकाशित हुई थी जिसे बहुत दिलचस्पी से पढ़ा गया। ब्रजेश राजपूत अपनी नयी किताब 'ऑफ़ द कैमरा लेकर आये हैं जिसमें टीवी रिपोर्टिंग के किस्से हैं। ये वो किस्से हैं जिनको उन्होंने टीवी रिपोर्टिंग के दौरान देखा और बाद में विस्तार से इन पर लिखा। ये किस्से कोरोना काल की करुण कथाएँ हैं तो सत्ता परिवर्तन की उठापटक और बदलावों में कितना और क्या बदला ये बताते हैं। 'ऑफ द कैमरा' किताब के इन पैंसठ किस्सों को पढ़कर आपको घटनास्थल पर खड़े होने का अहसास तो होगा ही, किस्सों में समाये दर्द को भी पाठक महसूस कर पायेंगे। समय पत्रिका ने लेखक ब्रजेश राजपूत से बात की:
यूरोप का पहला सफ़रनामा
18 वीं शताब्दी मुग़ल साम्राज्य के पतन के साथ-साथ यूरोपीय शक्तियों विशेष रूप से अंग्रेज़ों के उत्थान की शताब्दी है।
गरिमा और करुणा का संसार
इस संग्रह की कहानियों में ऐसी स्मृतियाँ और अनभिव विन्यस्त हैं जिनमें खिले हुए रंगीन फूलों की खुशबू और उन्माद है तो खुले घाव से रिसते दर्द की कसक भी है।
क्लासरूम में चाणक्य - विद्यार्थियों के लिए चाणक्य नीति
"काम, क्रोध, लोभ, स्वाद, शृंगार (रति), कौतुक (मनोरंजन), अति निद्रा एवं अति सेवा- विद्या की अभिलाषा रखनेवाले को इन आठ बातों का त्याग कर देना चाहिए।” - चाणक्य
आवाज़ें काँपती रहीं - मानवीय सम्बन्धों का मार्मिक आख्यान रचती कहानियाँ
हिन्दी कहानी के लिए यह परम्परा और परिवर्तन के बीच का संक्रमण-काल है।
शैडो - भटकती आत्माओं का रहस्य
सम्मोहन क्रिया, तंत्र विद्या और मृत आत्माओं के बारे में काल्पनिक साहित्य में प्राचीन काल से बहुत कुछ लिखा गया है।
लक्खा सिंह - थोड़ा है थोड़े की ज़रूरत है
एक कोलियरी(कोयला खान) में फिटर के पद पर कार्यरत सरदार लक्खा सिंह के हवाले से कोयलांचल में सीसीएल, बीसीसीएल, एनसीएल, एसईसीएल या ईस्टर्न कोल्फील्ड्स जैसे बैनर्स के तले जीवन बसर कर रहे साधारण लोगों की ज़िंदगी का लेखक ने बड़ा ही बेबाक और रोचक वर्णन किया है।
रुको मत, आगे बढ़ो
स्वामी विवेकानंद व्यक्ति को जाति, धर्म के नजरिए से न देखकर उन्हें समान से देखते थे। देश की भूखी और अज्ञानी जनता में आत्मविश्वास उत्पन्न करने के लिए वे कहते थे कि उठो, जागो और तब तक मत रुको, जब तक तुम अपने लक्ष्य को न पा लो।
ब्लैक वॉरंट तिहाड़ जेल के जेलर की इनसाइड स्टोरी
यह पुस्तक दरशाती है कि जेलरों को भी अपनी ही प्रणाली के हाथों कैद होना पड़ता है। अपर्याप्त वेतन और अधिक काम के बोझ से दबे वहाँ के कर्मचारी इतने अप्रशिक्षित एवं संसाधन-विहीन हैं कि वे कैदियों के सुधार को लागू कर पाने में पूर्णतया अक्षम हैं। उनमें से अधिकांश उत्पीड़ित लोग आगे चलकर स्वयं उत्पीड़क बन जाते हैं।
अंतर्मन की ओर - सांसारिक जीवन में ध्यान की आवश्यकता
खास किताब
यूपी चुनाव और राजनीति की तासीर
उत्तर प्रदेश चुनाव 2022
बच्चों को न सुनाने लायक बाल कथाए
माया ने घुमायो
पुलवामा अटैक
सच्ची घटनाओं पर आधारित उपन्यास
नर्मदा नदी की विलक्षण सांस्कृतिक कथा
यह उपन्यास नर्मदा के साथ हमें भारत की सनातनी संस्कृति के बारे में बहुत कुछ समझाने का प्रयास करता है।
कारगिल एक यात्री की जुबानी
शहीदों ने भी जब देश पर जान कुरबान की होगी तो उन्होंने सोचा ही होगा कि हमारे देशवासी हमारी स्मृति, हमारी सोच एवं हमारी वैभवपूर्ण विरासत को जीवित रखेंगे और यही सोच हमारी युवा पीढ़ी को देश की सेवा के लिए प्रेरित करती रहेगी।
अरब देशों के बारे में महात्मा गांधी की सोच
बीते कुछ दशकों में अरब देशों ने अतिवाद, हिंसा और आतंकवाद की सबसे घिनौनी और खौफनाक तसवीरों को देखा है, जिन्हें धर्म के नाम पर ध्रुवीकरण करनेवाली सोच और तकरीरों से भड़काया व उकसाया जाता है। ऐसे विचारों और तकरीरों से नफरत व खून-खराबा को बढ़ावा दिया जाता है, जिससे समाज बँट जाता है और सभ्यता की बुनियाद ही खतरे में पड़ जाती है। अगर ऐसी सोच का इलाज नहीं होगा, तो उनका अंतिम परिणाम खतरनाक बौद्धिक भटकाव के रूप में दिखेगा, जो सारे अरब देशों को निराशा, हताशा, संकट एवं विघटन के गर्त में धकेल देगा। इन मुश्किल और निराशाजनक परिस्थितियों के बीच लेखक महात्मा गांधी की बौद्धिक विरासत को फिर से याद करते हैं और उनके मुख्य संदेशों पर विचार करते हैं। उनके जीवन के विभिन्न चरणों के माध्यम से लेखक उन विरोधाभासी परिस्थितियों पर रोशनी डालते हैं, जो पहले से मौजूद थीं और जिनके कारण मुसलमानों की राय भारत से अलग हो गई, चाहे खिलाफत का मुद्दा हो या फिर गांधी के कुछ विचारों के प्रति मुसलमानों की आशंका। 'गांधी और इस्लाम' इस्लाम और मुस्लिम देशों के सामने आई चुनौतियों से गांधीवादी तरीके से निपटने का एक प्रयास है।
अनेक रहस्यों से पर्दा उठाती है 'वॉल स्ट्रीट और बोल्शेविक क्रांति'
वॉल स्ट्रीट और बोल्शेविक क्रांति
'इन कविताओं में एक अस्फुट, आवेगमय पुकार छुपी है'
चिन्मयी त्रिपाठी और उनकी कविताएँ
ग़ज़ल के ग़ौरतलब इशारे और मुक्तकों की महफ़िल
सोच अमीक रहा हूँ कि कारपोरेट दुनिया की आपाधापी से जुड़े 'अमीक़'अपने कार्य और लेखनी से संजीदगी के साथ कैसे न्याय करते हैं।
बीसवीं सदी के अनुभव और इक्कीसवीं सदी का यथार्थ
साहित्य में योगदान के लिए सम्मानित पंकज सुबीर का एक और कहानी संग्रह प्रकाशित हुआ है। इसमें उनकी दस कहानियां हैं।
संघर्ष, प्रेम और दर्द की बात करती रचनाएँ
अर्चना दानिश के संघर्ष, साहस, प्रेम, दर्द और उल्लास की गहन छाप इस संग्रह में देखने को मिलती है।
रहस्य और रोमांच की दुनिया
फ्लाई विंग्स प्रकाशन ने रहस्य और रोमांच के संसार की दो गाथाओं को प्रस्तुत किया है। अभिनव जैन के उपन्यास 'प्रतिहारी : कालचक्र का खेल' और अभिलाष दत्ता के उपन्यास 'अवतार : महारक्षकों का आगमन' खास किताबें हैं जिन्हें इन दिनों पढ़ा जा सकता है।
भारतीय सेना के सबसे सफल मिशन की सच्ची कहानी
क्या आप जानते हैं कि अफ्रीका के जंगलों में भारतीय सेना के 233 जवान लगभग तीन महीने तक की घेराबंदी में फँस गए थे और उनके पास खाने को कुछ भी नहीं था?
बाउल कवि लालन शाह
बाउल कवि कि 'लालन शाह साधना और साहित्य'
अब तो मुझको पसंद आ जाओ...
लेकिन पर एक सार
भारतीय सेना के अदम्य साहस की कहानियाँ
भारतीय सेना के प्रशंसकों के लिए यह सर्वोत्तम और पठनीय पुस्तक है। क्या आपने कभी सोचा है कि एक सैनिक का जीवन कैसा होता है? भारत के जाँबाज'भारतीय सेना के सबसे जाने-माने अधिकारियों में से एक की ओर से किया गया बेहद अनूठा वर्णन है। पुस्तक में जान की बाजी लगानेवाले अभियानों और साहसिक सर्जिकल स्ट्राइक की हैरतअंगेज कहानियाँ हैं। जंग लड़नेवाले सैनिक कितने कठोर प्रशिक्षण से गुजरते हैं; एल.ओ.सी. पर जीवन कैसा होता है, और कैसे होते हैं वे जवान, जो अपने देश के लिए सर्वोच्च बलिदान देते हैं-इनका अत्यंत प्रेरक और रोचक विवरण इस पुस्तक में प्रस्तुत है। इस पुस्तक में आप भारतीय सेना और हमारे शूरवीर जवानों को इतना करीब से देखेंगे जितना पहले कभी नहीं देखा होगा। भारतीय सैनिकों के अदम्य साहस, अप्रतिम त्याग-समर्पण और अद्भुत जिजीविषा का सजीव वर्णन करती पुस्तक, जो हर भारतीय को राष्ट्रप्रेम के लिए प्रेरित करेगी।
रोमांचक सक्सेस स्टोरी
जीवन को देखने का पीयूष का नजरिया कुछ ऐसा है कि आप उन्हें पढ़ते चले जाते हैं। जीवन के सबसे बेरंग अनुभवों में कल्पना के रंग भरना एक कला है और हमारा लेखक निश्चित रूप से एक कलाकार है
संघर्ष, सफलता और प्रेरणा
हौसले की ऊँची उड़ान
झाँसी की वीरांगना
झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई भारतवर्ष के सन् 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की नेत्री थीं। झाँसी के कण-कण में रानी लक्ष्मीबाई का त्याग और शौर्य विद्यमान है। यद्यपि बुंदेलखंड में कई वीरांगनाएँ हुईं पर उनमें लक्ष्मीबाई आज भी भारतीय आकाश में नक्षत्र की भाँति देदीप्यमान हैं। उन्होंने उफनती बेतवा नदी को घोड़े पर पार करके, पार्श्ववर्ती राज्य ओरछा को पराजित कर, अंग्रेज लेफ्टनेंट डॉकर को घायल करके, सिंधिया के ग्वालियर पर विजय प्राप्त कर तथा युद्धों में अपनी तलवार से शत्रु के सैकड़ों सैनिकों को मारकर तथा घायल करके अपने अद्वतीय रणपराक्रम तथा रणनीतिक कौशल को स्थापित किया जो आज भी प्रासंगिक हैं। उनकी सेना में सभी जातियों, धर्मों और कई देशों के सैनिकों तथा सेनानायकों को उनकी योग्यता के आधार पर शामिल किया गया। साथ-साथ उन्होंने स्थानीय महिलाओं को सैन्य रूप में संगठित करके नारी-शक्ति को बुलंद किया। उनका प्रशासन पूर्णतः विकेंद्रीकृत था। झाँसी राज्य की समृद्धि तथा राजकोषीय आय का उपयोग उन्होंने सन् 1857 की क्रांति के पृष्ठपोषण में किया। विश्व इतिहास में लक्ष्मीबाई सैन्य नेत्रियों में अग्रणी हैं। ऐसी विश्वनेत्री का व्यक्तित्व एवं कृतित्व भारत की स्वतंत्रता को अक्षुण्ण रखने हेतु भारतीयों के लिए अजस्र प्रेरणास्रोत और मार्गदर्शक हैं।
नई किताबें
इन दिनों पढ़ें कुछ खास किताबें