टिया बुलबुल ने अपने घोंसले से झांक कर देखा तो उस को अपनी दोस्त सावी कबूतर नहीं दिखी. "ओह, बगैर दोस्तों के बाहर निकलने का क्या मजा?" कह कर टिया ने अपनी आंखें बंद कर लीं.
थोड़ी देर बाद ही सावी की चहचहाट ने टिया को खुशी से भर दिया. टिया ने अंगडाई ली और पंख पसारे अपने घोंसले से बाहर आ गई.
"हैलो टिया, ये लो, मैं आप के लिए स्वादिष्ठ बीज लाई हूं."
"वाह, बीज, मजा आ गया," टिया ने दोस्त सावी को धन्यवाद दिया.
"सुनो टिया, कल तुम नारियल के बड़े अच्छे टुकड़े लाई थी. ये तुम्हें कहां मिले थे?" कल का स्वाद याद करते हुए सावी ने चहक कर कहा.
"अरे, ये यहां से थोड़ी सी दूरी पर हैं. तुम क्या कह कर रही हो."
"हम दोनों के पास पंख हैं. चलो, उड़ कर वहीं चलते हैं," सावी ने कहा और उड़ गई.
10 मिनट उड़ कर वे एक हरीभरी जगह पहुंच गए. यह शर्मा अंकल का बगीचा था जहां छोटीबड़ी हलकीफुलकी कई प्रकार की चिड़ियाओं के घोंसले थे.
बड़की बुलबुल, महकी मैना, कल्कि कोयल, नीली सन बर्ड, बहुत सारी गौरैया कुछ टेलर बर्ड के साथ चहचहाते मिलजुल कर रहते थे.
"ओह, यह तो बहुत सुंदर जगह है, टिया," कह कर सावी चहकने लगी.
"अरे बिलकुल, वह देखो, शर्मा अंकल ने नारियल के टुकड़े परोस कर रखे हैं. चलो, चुग कर उन का आनंद ले लें," टिया ने कहा तो सावी ने अनुमति दी.
"हां, चलो चलो," पर अंकल इतने नारियल हम को क्यों खिलाते हैं.
"अरे, मैं तो कल ही आई, मुझे नहीं पता, चलो, किसी से पूछते हैं," टिया ने कहा और सावी ने सहमति दी.
Diese Geschichte stammt aus der October First 2022-Ausgabe von Champak - Hindi.
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