अचानक एक सुनसान इलाके में उस की कार खराब हो गई. कई प्रयास करने के बावजूद कार आगे नहीं बढ़ पाई.
राजा शेरसिंह को अहसास हुआ कि वह अपना मोबाइल महल में ही भूल आया है और अब वह मदद के लिए किसी को फोन भी नहीं कर सकता.
शाम होते होते जंगल में घना कोहरा छा गया. भारी बारिश को देख कर शेरसिंह ने कार से बाहर निकल कर किसी से मदद मांगने का फैसला किया. इस से पहले कि बहुत देर हो जाए, वह कड़ाके की ठंड में सुरक्षित जगह की तलाश करने लगा. कुछ दूर चलने के बाद उसे एक बड़ी बिल्डिंग दिखाई दी.
राहत महसूस करते हुए वह गेटकीपर जेफ्री जिराफ के पास पहुंचा. "नमस्ते, मैं चंपकवन का राजा शेरसिंह हूं. मेरी कार कुछ किलोमीटर आगे जा कर खराब हो गई है. मेरे यहां ठहरने का इंतजाम करो."
फ्री ने मुसकराते हुए कहा, "हां, महाराज, कृपया अंदर आइए हम आप की सेवा के लिए तैयार हैं."
जेफ्री शेरसिंह को एक कमरे में ले गया और जैसे ही शेरसिंह अंदर गया, जेफ्री ने बाहर से दरवाजा बंद कर दिया. शेरसिंह उस के इस व्यवहार से क्रोधित हो गया और खिड़की से चिल्लाया, "मूर्ख, क्या तुम नहीं जानते कि मैं राजा शेरसिंह हूं? मुझे यहां बंद करने की तुम्हें भारी कीमत चुकानी पड़ेगी. मैं तुम्हें नौकरी से निकलवा दूंगा."
शेरसिंह की बात सुन कर जेफ्री जोर से हंसा और बोला, "शायद तुम्हें मालूम नहीं कि यह चंपकवन का सब से बड़ा पागलखाना है और यहां हर पागल खुद को राजा बताने का दावा करता है. जब तुम ने खुद को 'राजा' बताया तो मैं समझ गया कि हमारे यहां एक नया मरीज और आ गया है. हमारे राजा शेरसिंह भला इस ठंड में अपने अंगरक्षकों के बिना अकेले यहां क्यों आएंगे?"
यह सुन कर शेरसिंह ने हताश हो कर अपना माथा पीट लिया. उसे अहसास हुआ कि गार्ड उसे मरीज समझ बैठा है. उस ने समझाने की काफी कोशिश की. लेकिन जेफ्री ने उसे चुप करा दिया. "हर मरीज तुम्हारी तरह कहानियां बनाता है. तुम्हें तुरंत इलाज जरूरत है. डा. मार्था पीकौक जल्द ही यहां आएंगी."
राजा शेरसिंह ने डा. मार्था का इंतजार करने का निर्णय लिया. जैसे ही डा. मार्था वहां पहुंची उन्होंने राजा शेरसिंह को पहचान लिया.
"महाराज, आप यहां क्या कर रहे हैं?" उस ने पूछा.
Diese Geschichte stammt aus der December Second 2024-Ausgabe von Champak - Hindi.
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शेरा ने बुरी आदत छोड़ी
दिसंबर का महीना था और चंदनवन में ठंड का मौसम था. प्रधानमंत्री शेरा ने देखा कि उन की आलीशान मखमली रजाई गीले तहखाने में रखे जाने के कारण उस पर फफूंद जम गई है. उन्होंने अपने सहायक बेनी भालू को बुलाया और कहा, \"इस रजाई को धूप में डाल दो. उस के बाद, तुम में उसके इसे अपने पास रख सकते हो. मैं ने जंबू जिराफ को अपने लिए एक नई रजाई डिजाइन करने के लिए बुलाया है. उस की रजाइयों की बहुत डिमांड है.\"