पार्थ भी अपने पापा की तरह स्टाइलिश तरीके से कप पकड़ना चाहता था और एक खूबसूरत कप में गरम चाय पीना चाहता था.
मां ने उससे कहा था कि चाय पीने के लिए बड़ा होना पड़ता है. पार्थ को तो यह भी नहीं पता था कि चाय का स्वाद कैसा होता है.
वह अपनी मां से हर दिन कई बार चाय पीने की इजाजत मांगता था. वह इतना छोटा था कि उसे चाय पीने की अनुमति नहीं थी.
हालांकि उस के पापा ने उस की मां से अनुरोध किया कि वह इसे चाय पी कर आजमाने दे, लेकिन केवल दिन में एक बार.
अगले दिन पार्थ की मां ने उसे एक छोटा सा सिरेमिक कप उपहार में दिया, जिस में मुश्किल कुछ चम्मच चाय आ पाती थी. पार्थ को अपने छोटे से कप से चाय पीने में खुशी महसूस हुई, हालांकि उसे दिन में सिर्फ एक बार ही चाय पीने की अनुमति थी.
एक साल बाद पार्थ चौथी कक्षा में पढ़ने लगा और उसे अब चाय पसंद नहीं थी.
दिसंबर में एक सप्ताहांत पर पार्थ अपनी मां के साथ अपने दादा दादी से मिलने गया. उस ने वहां अपने परिवार के साथ खूब मौजमस्ती की और अपने दादा के साथ बैडमिंटन खेला. जब पार्थ और उसकी मां घर लौटे, तो उस के पापा ने उसे एक सुंदर साइकिल देकर हैरान कर दिया. वह बहुत खुश हुआ और साइकिल ले कर पूरे ब्लौक में घूमने के लिए तैयार हो गया.
अचानक उन्होंने ऊपर के बेडरूम से पार्थ की मां की चीख सुनी. पार्थ और उस के पापा डर कर भागे और देखा कि उसकी मां रो रही हैं. रोते हुए मां ने बताया, "एक बड़ी सी मोटी छिपकली कप के नीचे की चाय पी रही थी, उस का पूरा शरीर अंदर था और सिर्फ पूंछ बाहर निकली हुई थी, उफ, मुझे उल्टी आने जैसा लग रहा है."
पार्थ के पापा खिलखिला कर हंसे और बोले, “तुम्हें गलतफहमी हुई होगी. छिपकली कभी चाय पीती है क्या?"
उस की मां ने जवाब दिया, "मैं ने सचमुच उसे देखा था, केवल उस की पूंछ बाहर थी. जब उस ने मुझे देखा, तो भाग गई."
पार्थ के पापा ने हंसते हुए कहा, "कप के अंदर कोई कीड़ा रहा होगा, वह उसे पकड़ने आई होगी," लेकिन उसकी मां को यकीन नहीं हुआ. पार्थ को आश्चर्य हुआ कि कौन सही था.
Diese Geschichte stammt aus der December First 2024-Ausgabe von Champak - Hindi.
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रिटर्न गिफ्ट
\"डिंगो, बहुत दिन से हम ने कोई अच्छी पार्टी नहीं की है. कुछ करो दोस्त,\" गोल्डी लकड़बग्घा बोला.
चांद पर जाना
होशियारपुर के जंगल में डब्बू नाम का एक शरारती भालू रहता था. वह कभीकभी शहर आता था, जहां वह चाय की दुकान पर टीवी पर समाचार या रेस्तरां में देशदुनिया के बारे में बातचीत सुनता था. इस तरह वह अधिक जान कर और होशियार हो गया. वह स्वादिष्ठ भोजन का स्वाद भी लेता था, क्योंकि बच्चे उसे देख कर खुश होते थे और अपनी थाली से उसे खाना देते थे. डब्बू उन के बीच बैठता और उन के मासूम, क 'चतुर विचारों को अपना लेता.
चाय और छिपकली
पार्थ के पापा को चाय बहुत पसंद थी और वे दिन भर कई कप चाय पीने का मजा लेते थे. पार्थ की मां चाय नहीं पीती थीं. जब भी उस के पापा चाय पीते थे, उन के चेहरे पर अलग खुशी दिखाई देती थी.
शेरा ने बुरी आदत छोड़ी
दिसंबर का महीना था और चंदनवन में ठंड का मौसम था. प्रधानमंत्री शेरा ने देखा कि उन की आलीशान मखमली रजाई गीले तहखाने में रखे जाने के कारण उस पर फफूंद जम गई है. उन्होंने अपने सहायक बेनी भालू को बुलाया और कहा, \"इस रजाई को धूप में डाल दो. उस के बाद, तुम में उसके इसे अपने पास रख सकते हो. मैं ने जंबू जिराफ को अपने लिए एक नई रजाई डिजाइन करने के लिए बुलाया है. उस की रजाइयों की बहुत डिमांड है.\"
मानस और बिल्ली का बच्चा
अर्धवार्षिक परीक्षाएं समाप्त होने के बाद मानस को घर पर बोरियत होने लगी. उस ने जिद की कि उसे अपने साथ रहने के लिए कोई पालतू जानवर चाहिए, जो उस का साथ दे.
पहाड़ी पर भूत
चंपकवन में उस साल बहुत बारिश हुई थी. चीकू खरगोश और जंपी बंदर का घर भी बाढ़ के कारण बह गया था.
जो ढूंढ़े वही पाए
अपनी ठंडी, फूस वाली झोंपड़ी से राजी बाहर आई. उस के छोटे, नन्हे पैरों को खुरदरी, धूप से तपती जमीन झुलसा रही थी. उस ने सूरज की ओर देखा, वह अभी आसमान में बहुत ऊपर नहीं था. उस की स्थिति को देखते हुए राजी अनुमान लगाया कि लगभग 10 बज रहे होंगे.
एक कुत्ता जिस का नाम डौट था
डौट की तरह दिखने वाले कुत्ते चैन्नई की सड़कों पर बहुत अधिक पाए जाते हैं. दीया कभी नहीं समझ पाई कि आखिर क्यों उस जैसे एक खास कुत्ते ने जो किसी भी अन्य सफेद और भूरे कुत्ते की तरह हीथा, उस के दिल के तारों को छू लिया था.
स्कूल का संविधान
10 वर्षीय मयंक ने खाने के लिए अपना टिफिन खोला ही था कि उस के खाने की खुशबू पूरी क्लास में फैल गई.
तरुण की कहानी
\"कहानियां ताजी हवा के झोंके की तरह होनी चाहिए, ताकि वे हमारी आत्मा को शक्ति दें,” तरुण की दादी ने उस से कहा.