उस की मां ने उसे समझाया, “मानस, जानवरों की देखभाल करना आसान नहीं है, यह एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी है. घर को साफ रखना और साथ ही पालतू जानवर की देखभाल करना काफी मुश्किल होता है. इस में मैं तुम्हारी मदद नहीं कर पाऊंगी. क्या तुम यह सब अकेले कर पाओगे?"
मानस को अपनी मां का जवाब बिलकुल पसंद नहीं आया.
"मां, मुझे एक पालतू जानवर चाहिए,” उस ने जिद की.
कुछ दिन बाद मानस ने फिर से पालतू जानवर की मांग की, तभी दरवाजे की घंटी बजी. जैसे ही उस की मां ने दरवाजा खोला, एक प्यारा सा सफेद बिल्ली का बच्चा अंदर आया. उसे देख कर उस की मां एक पल के लिए चौंक गईं, लेकिन फिर उन्होंने बिल्ली के बच्चे को ध्यान से देखा. वह बहुत प्यारा था और अच्छा पालतू जानवर लग रहा था.
उसकी मां ने बिल्ली के बच्चे को बाहर जाने के लिए दरवाजा खुला छोड़ दिया, लेकिन वह अंदर ही रहा. मानस अपनी मां की आवाज सुन कर अपने कमरे से बाहर आया.
" तो... क्या मां, आप ने बिल्ली का बच्चा औनलाइन मंगवाया ?" उस ने उत्साह से पूछा.
"नहीं, मानस, मैं ने इस बिल्ली के बच्चे को औनलाइन नहीं मंगवाया. बिल्ली के बच्चे औनलाइन नहीं मंगवाए जा सकते," उसकी मां ने हंसते हुए कहा.
"तो यह प्यारा सा सफेद बिल्ली का बच्चा कहां से आया?"
"जब घंटी बजी तो मैं ने दरवाजा खोला. डाकिया था, लेकिन यह बिल्ली का बच्चा अचानक कहीं से आया और दरवाजा खुला होने पर घर में घुस गया."
मानस ने बिल्ली के बच्चे को प्यार से देखा और मां से कहा, “वाह, मां, आप ने मेरी बात नहीं सुनी, लेकिन फिर भी मेरी इच्छा पूरी हो गई."
"यह शायद किसी का होगा. इस का मालिक जरूर इसे ढूंढ़ने आएगा और इसे वापस ले जाएगा. इसलिए बेहतर है कि तुम इस से ज्यादा प्यार मत करो. मैं इस के बारे में 'नेबरहुड वाच' यानी समुदाय समूह में एक संदेश पोस्ट करूंगी,” उस की मां ने कहा.
"मां, इस दौरान मुझे इस के साथ थोड़ा खेलने दो," मानस ने मां से विनती की.
"मानस, यह ठीक नहीं है. बिल्ली का बच्चा हमारा नहीं है."
"बस, थोड़ी देर के लिए," मानस ने जोर दे कर कहा.
Diese Geschichte stammt aus der December First 2024-Ausgabe von Champak - Hindi.
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रिटर्न गिफ्ट
\"डिंगो, बहुत दिन से हम ने कोई अच्छी पार्टी नहीं की है. कुछ करो दोस्त,\" गोल्डी लकड़बग्घा बोला.
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होशियारपुर के जंगल में डब्बू नाम का एक शरारती भालू रहता था. वह कभीकभी शहर आता था, जहां वह चाय की दुकान पर टीवी पर समाचार या रेस्तरां में देशदुनिया के बारे में बातचीत सुनता था. इस तरह वह अधिक जान कर और होशियार हो गया. वह स्वादिष्ठ भोजन का स्वाद भी लेता था, क्योंकि बच्चे उसे देख कर खुश होते थे और अपनी थाली से उसे खाना देते थे. डब्बू उन के बीच बैठता और उन के मासूम, क 'चतुर विचारों को अपना लेता.
चाय और छिपकली
पार्थ के पापा को चाय बहुत पसंद थी और वे दिन भर कई कप चाय पीने का मजा लेते थे. पार्थ की मां चाय नहीं पीती थीं. जब भी उस के पापा चाय पीते थे, उन के चेहरे पर अलग खुशी दिखाई देती थी.
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अपनी ठंडी, फूस वाली झोंपड़ी से राजी बाहर आई. उस के छोटे, नन्हे पैरों को खुरदरी, धूप से तपती जमीन झुलसा रही थी. उस ने सूरज की ओर देखा, वह अभी आसमान में बहुत ऊपर नहीं था. उस की स्थिति को देखते हुए राजी अनुमान लगाया कि लगभग 10 बज रहे होंगे.
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